Pushkar is a holy place of Rajasthan about 11 km far from Ajmer. The Pushkar animal or Camel Fair is one of the largest in India and the only one of its kind in the entire world. During the fair, Lakhs of people from rural India flock to Pushkar, along with camel and cattle for several days of livestock trading, horse dealing, pilgrimage and religious festival. This small town, becomes a cultural phenomenon when colourfully dressed devotees, musicians, acrobats, folk dancers, traders, comedians, ‘sadhus’ and tourists reach here during Pushkar fair. According to Hindu chronology, it takes place in the month of Kartika (October or November) beginning on ‘Prabodhani ekadashi' 11th day of Lunar Calendar and continues till full moon (‘Poornima’). The camel and cattle trading is at its peak during the first half of festival period. During the later half, religious activities dominate the scenario. Devotees take dips in the holy "Sarovar" lake, as the sacred water is known to bestow salvation.
पुष्कर की कथा-
राजस्थान के अजमेर जिले की प्राचीन धार्मिक नगरी पुष्कर में स्थित भगवान ब्रह्मा का मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह विश्व में ब्रह्मा जी एकमात्र मंदिर है। भगवान ब्रह्मा को हिन्दू धर्म में संसार का रचनाकार माना जाता है। इतिहासकारों द्वारा यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार यह मंदिर लगभग 2000 वर्ष प्राचीन है। संगमरमर और पत्थर से बना यह मंदिर पुष्कर झील के पास स्थित है जिसका शिखर लाल रंग से रंग हुआ है। इस मंदिर के केंद्र में भगवान ब्रह्मा के साथ उनकी दूसरी पत्नी गायत्री कि प्रतिमा भी स्थापित है। यहाँ के गुर्जर समुदाय का इस मंदिर से विशेष लगाव है। मंदिर की देख-रेख एवं पूजा अर्चना में लगे पुरोहित वर्ग भी गुर्जर समुदाय के लोग ही हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी गायत्री भी गुर्जर समुदाय से थी।
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के मुताबिक धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। ब्रह्मा जी ने जब उसका वध किया तो उनके हाथों से तीन जगहों पर पुष्प गिरा। इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बनी। इसी कारण इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने का फैसला किया।
पूर्णाहुति के लिए उनके साथ उनकी पत्नी सरस्वती का साथ होना जरूरी था लेकिन उनके न मिलने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण कर रहे थे तभी उस समय देवी सरस्वती वहाँ पहुंची तथा ब्रह्मा के वामांग में दूसरी स्त्री को बैठा देख क्रोधित हो गई और ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। हालाँकि बाद में इस श्राप के असर को कम करने के लिए उन्होंने यह वरदान दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी उपासना संभव होगी। चूंकि भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी इसलिए देवी सरस्वती ने उन्हें यह श्राप दिया कि उन्हें अपनी पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा। इसी कारण उन्हें राम के रूप में मानव जन्म लेना पड़ा तथा 14 वर्ष के वनवास के समय उन्हें अपनी पत्नी सीता से अलग रहना पड़ा था।
पुष्कर की कथा-
राजस्थान के अजमेर जिले की प्राचीन धार्मिक नगरी पुष्कर में स्थित भगवान ब्रह्मा का मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह विश्व में ब्रह्मा जी एकमात्र मंदिर है। भगवान ब्रह्मा को हिन्दू धर्म में संसार का रचनाकार माना जाता है। इतिहासकारों द्वारा यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार यह मंदिर लगभग 2000 वर्ष प्राचीन है। संगमरमर और पत्थर से बना यह मंदिर पुष्कर झील के पास स्थित है जिसका शिखर लाल रंग से रंग हुआ है। इस मंदिर के केंद्र में भगवान ब्रह्मा के साथ उनकी दूसरी पत्नी गायत्री कि प्रतिमा भी स्थापित है। यहाँ के गुर्जर समुदाय का इस मंदिर से विशेष लगाव है। मंदिर की देख-रेख एवं पूजा अर्चना में लगे पुरोहित वर्ग भी गुर्जर समुदाय के लोग ही हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी गायत्री भी गुर्जर समुदाय से थी।
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के मुताबिक धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। ब्रह्मा जी ने जब उसका वध किया तो उनके हाथों से तीन जगहों पर पुष्प गिरा। इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बनी। इसी कारण इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने का फैसला किया।
पूर्णाहुति के लिए उनके साथ उनकी पत्नी सरस्वती का साथ होना जरूरी था लेकिन उनके न मिलने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण कर रहे थे तभी उस समय देवी सरस्वती वहाँ पहुंची तथा ब्रह्मा के वामांग में दूसरी स्त्री को बैठा देख क्रोधित हो गई और ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। हालाँकि बाद में इस श्राप के असर को कम करने के लिए उन्होंने यह वरदान दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी उपासना संभव होगी। चूंकि भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी इसलिए देवी सरस्वती ने उन्हें यह श्राप दिया कि उन्हें अपनी पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा। इसी कारण उन्हें राम के रूप में मानव जन्म लेना पड़ा तथा 14 वर्ष के वनवास के समय उन्हें अपनी पत्नी सीता से अलग रहना पड़ा था।
enjoyable story. In old time so many curse gave by people
ReplyDeletegood please tell time of fair
ReplyDeleteThanks Chander, The time of fair is given in this post. It is as-
ReplyDelete"It takes place in the month of Kartika (October or November) beginning on ‘Prabodhani ekadashi' 11th day of Lunar Calendar and continues till full moon (‘Poornima’)."