जयपुरी ख्याल -
अन्य ख्यालों से अलग जयपुरी ख्याल की कुछ अपनी विशेषताएँ है जो इस प्रकार है-
(i) स्री पात्रों की भूमिका स्रियाँ निभाती हैं।
(ii) यह शैली रुढ़ नहीं है बल्कि मुक्त तथा लचीली है। यह कलाकारों को नए प्रयोगों की पर्याप्त संभावनाएँ प्रदान करती है
(iii) इसमें कविता, संगीत, नृत्य तथा गान व अभिनय का सुंदर समानुपातिक समावेश है।
गुणवान कलाकार जयपुरी ख्यालों में हिस्सा लिया करते थे। इस शैली के कुछ लोकप्रिय ख्याल निम्नलिखित है -
(१) जोगी-जोगन
(२) कान-गूजरी
(३) मियाँ-बीबू
(४) पठान
(५) रसीली तम्बोलन।
सन् 1981 में "ख्याल भारमली" के कथ्य पर नई शैली में एक नाटक लिखा गया। इसके लेखक राजस्थान के प्रयोगवादी नाटककार श्री हमीदुल्ला हैं। यह नाटक राजस्थान के अलावा हैदराबाद, बैंगलोर, चैन्नई, मुम्बई, दिल्ली और लखनऊ आदि स्थानों पर भी खेला गया। इसके बहुरंगी लोक वातावरण के कारण इसे सभी स्थानों पर सराहा गया तथा कुछ प्रांतीय भाषाओं में इसका अनुवाद भी हुआ।
अन्य ख्यालों से अलग जयपुरी ख्याल की कुछ अपनी विशेषताएँ है जो इस प्रकार है-
(i) स्री पात्रों की भूमिका स्रियाँ निभाती हैं।
(ii) यह शैली रुढ़ नहीं है बल्कि मुक्त तथा लचीली है। यह कलाकारों को नए प्रयोगों की पर्याप्त संभावनाएँ प्रदान करती है
(iii) इसमें कविता, संगीत, नृत्य तथा गान व अभिनय का सुंदर समानुपातिक समावेश है।
गुणवान कलाकार जयपुरी ख्यालों में हिस्सा लिया करते थे। इस शैली के कुछ लोकप्रिय ख्याल निम्नलिखित है -
(१) जोगी-जोगन
(२) कान-गूजरी
(३) मियाँ-बीबू
(४) पठान
(५) रसीली तम्बोलन।
सन् 1981 में "ख्याल भारमली" के कथ्य पर नई शैली में एक नाटक लिखा गया। इसके लेखक राजस्थान के प्रयोगवादी नाटककार श्री हमीदुल्ला हैं। यह नाटक राजस्थान के अलावा हैदराबाद, बैंगलोर, चैन्नई, मुम्बई, दिल्ली और लखनऊ आदि स्थानों पर भी खेला गया। इसके बहुरंगी लोक वातावरण के कारण इसे सभी स्थानों पर सराहा गया तथा कुछ प्रांतीय भाषाओं में इसका अनुवाद भी हुआ।
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