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राजस्थान के संगीत ग्रंथ

1. संगीत राज - महाराणा कुंभा

2. रसिक प्रिया { गीत गोविन्द पर टीका }- महाराणा कुंभा

3. अनूप संगीत विनोद - बीकानेर के महाराजा अनूप सिंह

4. अनूप संगीत रत्नाकर - पं. भावभट्ट

5. भाव मंजरी - पं. भावभट्ट

6. राग विवेक - पं. भावभट्ट

7. अनूप संगीत विलास - पं. भावभट्ट

8. संगीत अनूपांकुश - पं. भावभट्ट

9. अनूप राग सागर - पं. भावभट्ट

10. राग रत्नाकर - राधाकृष्ण

11. राग कल्पद्रुम - कृष्णानंद व्यास

12. राग मंजरी - पुण्डरीक विट्ठल

13. रागमाला - पुण्डरीक विट्ठल

14. मुरली प्रताप अनूप कुश - पं. भावभट्ट

15. राधा गोविन्द संगीत सार - सवाई प्रताप सिंह

16. श्रृंगारहार - आचार्य ब्रहस्पति

Comments

  1. खरगोश का संगीत राग रागेश्री
    पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद
    और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी
    किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता
    है...

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
    कि चहचाहट से मिलती है...
    Also visit my site - फिल्म

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

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