स्वर्णनगरी जैसलमेर में बहुरंगी लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आयोजित हुआ मरू महोत्सव-
राजस्थान पर्यटन निगम तथा जिला प्रशासन के तत्वावधान में विश्वविख्यात तीन दिवसीय मरू महोत्सव स्वर्णनगरी जैसलमेर में 16 फरवरी को प्रारंभ हुआ।
>इसमें सर्वप्रथम शोभायात्रा निकाली गई जिसमें पारम्परिक वेशभूषा, आंचलिक संस्कृति, लोकजीवन, लोकवाद्यों, गीत-नृत्यों, मूमल-महेन्द्रा झांकियाँ शामिल थी। शोभायात्रा में शहनाई वादन, सजे-धजे ऊंटों पर सवार कलाकारों द्वारा बांकिया वादन व मशक वादन, मशहूर कलाकारों द्वारा कालबेलिया नृत्य, कच्छी घोड़ी नृत्य, गैर नृत्य, उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि लोकनृत्यों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंटों पर सवार बी.एस.एफ.के जांबाजों के दल भी थे।
>यहां वायुसेना के जांबाजों ने पैरा जंपिंग का प्रदर्शन कर पर्यटकों को हतप्रभ किया।
>इस मरू मेले के पहले दिन आयोजित प्रतिष्ठापूर्ण मिस्टर डेजर्ट प्रतियोगिता का खिताब श्यामदेव कल्ला ने जीता तथा मिस मूमल दिव्या जंगा बनी।
>दूसरे दिन दिनांक 17 फरवरी को देदानसर मैदान में महोत्सव में पहली बार लीडर नीतिन खन्ना के निर्देशन में एयरो मॉडल फ्लाईंग प्रदर्शन दर्शकों को मोहित कर गया।
>पणिहारी मटका रेस में महिलाओं को सिर पर रखी ईडाणी पर पानी से भरी हुई मटकी को उठाकर दौड़ लगाई। विदेशी महिलाओं सहित 19 महिलाओं ने इस रेस में भाग लिया, जिसमें ग्रामीण बालिका शीला विश्नोई प्रथम, मीरा मोयल द्वितीय एवं मिस रीना तृतीय रही।
>पुरुष व महिला रस्साकस्सी प्रतियोगिता में विदेशी पुरुषों एवं महिलाओं ने भारतीय मेजबानों पर विजयश्री हासिल की।
>मरु महोत्सव में ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता अत्यधिक आकर्षण का केन्द्र रही एवं दर्शक ऊँट के श्रृंगार से रूबरू हुए। ऊँटों को मोरी, गोरबन्ध, कंठमाल, लूम, परची, पिलाण, तंग, मोड़, पायल, घूघरा, पूँछ बंधनी इत्यादि श्रृंगारों से सजाया और उन पर सजे धजे सवार भी थे।
>भारतीय कैमल पोलो संघ एवं सीमा सुरक्षा बल की टीमों के मध्य खेले गए कैमल पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल की टीम ने 2 गोल दाग कर विजय प्राप्त की।
>शान-ए-मरूधरा प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
>मरू महोत्सव का समापन
तीन दिवसीय मरू महोत्सव-2011 शुक्रवार 18 फरवरी को जैसलमेर से 40 किमी दूर स्थित 'सम' के मखमली धोरों पर "बेस्ट ऑफ राजस्थान" नामक भव्य सांस्कृतिक संध्या एवं शानदार आतिशबाजी के साथ सम्पन्न हुआ।
नागौर का प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला संपन्न
श्री रामदेव पशु मेला राज्य स्तरीय पशु मेला है जिसमें राज्य ही नहीं अपितु देश व विदेश से पर्यटक आते हैं। यह मेला नागौरी नस्ल के बैलो के लिये प्रसिद्व है। जिनकी ख्याति प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में भी है। यह मेला माघ शुक्ला प्रतिपदा 4 फरवरी से माघ शुक्ला पूर्णिमा 18 फरवरी तक आयोजित किया गया जिसमें चौकियों की स्थापना 1 फरवरी को, झण्डारोहण 4 फरवरी को, सफेद चिट्ठी 6 फरवरी से तथा पशु रवन्ना चिठ्ठी 11 फरवरी से शुरू की गई। मेले में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनियों का आयोजन 8 से 10 फरवरी तक तथा उच्च स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम 4 से 10 फरवरी तक आयोजित किए गए। मेले में पशुओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन 8 व 9 फरवरी को हुआ तथा 10 फरवरी को पारितोषिक वितरित किए गए। मेले में आने वाले पशुपालकों एवं व्यापारियों के लिये आवास, सस्ती दर पर भोजन, पेयजल, रोशनी, सुरक्षा आदि के पुख्ता इंतजाम किए गए।
एशिया भर में प्रसिद्ध इस मेले में इस बार पशुओं की अच्छी खासी बिक्री हुई है। इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक पशुओं की आवक के कारण पिछले साल की तुलना में चार गुणा पशुओं की बिक्री हुई।
रामदेवरा में बाबा रामदेव का माघ मेला संपन्न
यूँ तो बाबा रामदेव जी का मुख्य मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकादशी तक होता है लेकिन रामदेवजी के माघ मेले का भी बहुत महत्व है। जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील के रामदेवरा गांव में माघ शुक्ल एकम से माघ पूर्णिमा तक पखवाड़े भर चलने वाला बाबा रामदेव का यह माघ मेला दिनांक 4 फरवरी से चलकर 18 फरवरी 2011 को संपन्न हुआ। मेले में देश के कोने - कोने से आए हजारों श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। पूर्णिमा के अवसर पर भी देश के विभिन्न भागों से आए श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार पहुंचकर समाधि के दर्शन किए। माघ मेले के अंतिम दिन अधिकांश श्रद्धालुओं ने रामदेवरा मंदिर के पास स्थित रामसरोवर में डुबकी लगाई। साथ ही गत दिनों संपन्न हुए विवाह समारोहों के बाद राजस्थान भर के गांवों व शहरों मेँ नवदाम्पत्य सूत्र में बंधे जोड़े भी पूर्णिमा पर रामदेवरा पहुँचें तथा बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन किए व पूजा-अर्चना कर सफल दाम्पत्य जीवन, सुख, समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
राजस्थान पर्यटन निगम तथा जिला प्रशासन के तत्वावधान में विश्वविख्यात तीन दिवसीय मरू महोत्सव स्वर्णनगरी जैसलमेर में 16 फरवरी को प्रारंभ हुआ।
>इसमें सर्वप्रथम शोभायात्रा निकाली गई जिसमें पारम्परिक वेशभूषा, आंचलिक संस्कृति, लोकजीवन, लोकवाद्यों, गीत-नृत्यों, मूमल-महेन्द्रा झांकियाँ शामिल थी। शोभायात्रा में शहनाई वादन, सजे-धजे ऊंटों पर सवार कलाकारों द्वारा बांकिया वादन व मशक वादन, मशहूर कलाकारों द्वारा कालबेलिया नृत्य, कच्छी घोड़ी नृत्य, गैर नृत्य, उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि लोकनृत्यों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंटों पर सवार बी.एस.एफ.के जांबाजों के दल भी थे।
>यहां वायुसेना के जांबाजों ने पैरा जंपिंग का प्रदर्शन कर पर्यटकों को हतप्रभ किया।
>इस मरू मेले के पहले दिन आयोजित प्रतिष्ठापूर्ण मिस्टर डेजर्ट प्रतियोगिता का खिताब श्यामदेव कल्ला ने जीता तथा मिस मूमल दिव्या जंगा बनी।
>दूसरे दिन दिनांक 17 फरवरी को देदानसर मैदान में महोत्सव में पहली बार लीडर नीतिन खन्ना के निर्देशन में एयरो मॉडल फ्लाईंग प्रदर्शन दर्शकों को मोहित कर गया।
>पणिहारी मटका रेस में महिलाओं को सिर पर रखी ईडाणी पर पानी से भरी हुई मटकी को उठाकर दौड़ लगाई। विदेशी महिलाओं सहित 19 महिलाओं ने इस रेस में भाग लिया, जिसमें ग्रामीण बालिका शीला विश्नोई प्रथम, मीरा मोयल द्वितीय एवं मिस रीना तृतीय रही।
>पुरुष व महिला रस्साकस्सी प्रतियोगिता में विदेशी पुरुषों एवं महिलाओं ने भारतीय मेजबानों पर विजयश्री हासिल की।
>मरु महोत्सव में ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता अत्यधिक आकर्षण का केन्द्र रही एवं दर्शक ऊँट के श्रृंगार से रूबरू हुए। ऊँटों को मोरी, गोरबन्ध, कंठमाल, लूम, परची, पिलाण, तंग, मोड़, पायल, घूघरा, पूँछ बंधनी इत्यादि श्रृंगारों से सजाया और उन पर सजे धजे सवार भी थे।
>भारतीय कैमल पोलो संघ एवं सीमा सुरक्षा बल की टीमों के मध्य खेले गए कैमल पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल की टीम ने 2 गोल दाग कर विजय प्राप्त की।
>शान-ए-मरूधरा प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
>मरू महोत्सव का समापन
तीन दिवसीय मरू महोत्सव-2011 शुक्रवार 18 फरवरी को जैसलमेर से 40 किमी दूर स्थित 'सम' के मखमली धोरों पर "बेस्ट ऑफ राजस्थान" नामक भव्य सांस्कृतिक संध्या एवं शानदार आतिशबाजी के साथ सम्पन्न हुआ।
नागौर का प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला संपन्न
श्री रामदेव पशु मेला राज्य स्तरीय पशु मेला है जिसमें राज्य ही नहीं अपितु देश व विदेश से पर्यटक आते हैं। यह मेला नागौरी नस्ल के बैलो के लिये प्रसिद्व है। जिनकी ख्याति प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में भी है। यह मेला माघ शुक्ला प्रतिपदा 4 फरवरी से माघ शुक्ला पूर्णिमा 18 फरवरी तक आयोजित किया गया जिसमें चौकियों की स्थापना 1 फरवरी को, झण्डारोहण 4 फरवरी को, सफेद चिट्ठी 6 फरवरी से तथा पशु रवन्ना चिठ्ठी 11 फरवरी से शुरू की गई। मेले में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनियों का आयोजन 8 से 10 फरवरी तक तथा उच्च स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम 4 से 10 फरवरी तक आयोजित किए गए। मेले में पशुओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन 8 व 9 फरवरी को हुआ तथा 10 फरवरी को पारितोषिक वितरित किए गए। मेले में आने वाले पशुपालकों एवं व्यापारियों के लिये आवास, सस्ती दर पर भोजन, पेयजल, रोशनी, सुरक्षा आदि के पुख्ता इंतजाम किए गए।
एशिया भर में प्रसिद्ध इस मेले में इस बार पशुओं की अच्छी खासी बिक्री हुई है। इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक पशुओं की आवक के कारण पिछले साल की तुलना में चार गुणा पशुओं की बिक्री हुई।
रामदेवरा में बाबा रामदेव का माघ मेला संपन्न
यूँ तो बाबा रामदेव जी का मुख्य मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकादशी तक होता है लेकिन रामदेवजी के माघ मेले का भी बहुत महत्व है। जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील के रामदेवरा गांव में माघ शुक्ल एकम से माघ पूर्णिमा तक पखवाड़े भर चलने वाला बाबा रामदेव का यह माघ मेला दिनांक 4 फरवरी से चलकर 18 फरवरी 2011 को संपन्न हुआ। मेले में देश के कोने - कोने से आए हजारों श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। पूर्णिमा के अवसर पर भी देश के विभिन्न भागों से आए श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार पहुंचकर समाधि के दर्शन किए। माघ मेले के अंतिम दिन अधिकांश श्रद्धालुओं ने रामदेवरा मंदिर के पास स्थित रामसरोवर में डुबकी लगाई। साथ ही गत दिनों संपन्न हुए विवाह समारोहों के बाद राजस्थान भर के गांवों व शहरों मेँ नवदाम्पत्य सूत्र में बंधे जोड़े भी पूर्णिमा पर रामदेवरा पहुँचें तथा बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन किए व पूजा-अर्चना कर सफल दाम्पत्य जीवन, सुख, समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
जानकारी का अच्छा कलेक्शन |यह उपयोगी भी है |बधाई
ReplyDeleteआशा
सराहना के लिए आभार आशाजी।
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