Skip to main content

समसामयिक घटनाचक्र -
CURRENT AFFAIRS


सिविल सर्विसेज मुख्य परीक्षा 2010 के परिणाम घोषित

संघ लोक सेवा आयोग { यू पी एस सी }
ने सिविल सर्विस { मुख्य परीक्षा } 2010 के परिणाम घोषित कर दिए हैं। इस परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों को
22 मार्च, 2011 से शुरू हो रहे पर्सनेलिटी टेस्ट में शामिल होना होगा। इस टेस्ट की दिनांक तथा समय के बारे में सफल अभ्यर्थियों को व्यक्तिगत तौर पर जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा यह जानकारी आयोग की वेबसाइट पर भी यह उपलब्ध कराई जाएगी। पर्सनैलिटी टेस्ट नई दिल्ली के शाहजहां रोड पर स्थित धौलपुर हाउस में आयोजित किए जाएंगे। प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो ने ये नतीजे घोषित किए। ये परिणाम आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

सीकर में भूकंप के झटके

राजस्थान के सीकर क्षेत्र में 26 फरवरी रात करीब
9 बज कर 10 मिनट पर भूकंप का मामूली झटका महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता रिऐक्टर स्केल पर 3.0 थी।
मौसम विभाग के अनुसार भूकंप का केंद्र सीकर जिले में नीम का थाना था।

वसुंधरा राजे फिर बनी विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर विधानसभा की प्रतिपक्ष की नेता चुनी गईं। उनका चुनाव
26 फरवरी को भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक में किया गया।

विंटेज एवं क्लासिक कार रैली जयपुर में आयोजित

पर्यटन विभाग की ओर से जयपुर में 13 वीं विंटेज एवं क्लासिक कार रैली का आयोजन दिनांक
27 व 28 फरवरी को किया गया। जिसको देखने का लोगों में जबर्दस्त उत्साह रहा। यह रैली दिनांक
27 फरवरी को सुबह जयमहल पैलेस से प्रारंभ हुई। इसमें 100 विंटेज गाडियां शामिल हुईं। इस 13 वीं विंटेज और क्लासिक कार रैली को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फ्लैग ऑफ किया। पहले दिन इन कारों का काफिला चारदीवारी, जलमहल, आमेर, कूकस और रामगढ़ रिसोर्ट से अल्बर्ट हॉल होते हुए होटल क्लार्क्‍स आमेर तक गया।

टाइगरमेन फतहसिंह राठौड़ का निधन

जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ और सवाई माधोपुर बाघ परियोजना के पूर्व निदेशक तथा टाइगर मेन के नाम से विख्यात श्री फतेहसिंह का दिनांक
1 मार्च को सवाई माधोपुर में निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। सिंह को राजस्थान में बाघ परियोजना क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान के ‍लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्हें फरवरी माह में ही लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

राज्य स्तरीय मेला प्राधिकरण और जिला स्तरीय मेला समिति के गठन का फैसला-

दिनांक 2 मार्च 2011 को राज्य सरकार के मंत्रिमंडल ने प्रदेश भर में बड़े मेलों के आयोजन के लिए " राज्य स्तरीय मेला प्राधिकरण " और "जिला स्तरीय मेला समितियों" के गठन करने का फैसला किया है। इस प्राधिकरण के गठन का मुख्य उद्देश्य विशेष पर्वों एवं धार्मिक स्थलों के मेलों के सुचारू आयोजन में सहयोग करने और धार्मिक स्थलों पर जाने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
इस हेतु इसके अलावा हर जिले में जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। राज्य मेला प्राधिकरण और जिला मेला समितियों का गठन प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा किया जाएगा जबकि इनका संचालन व प्रशासन पर्यटन विभाग द्वारा किया जाएगा। प्राधिकरण में 8 विभागों के शासन सचिव एवं 6 गैर सरकारी व्यक्ति सदस्य के रूप में होंगे। प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

पंचायतों का ऑडिट भी कैग से कराने के प्रस्ताव का अनुमोदन-

राजस्थान मंत्रिमंडल की केबिनेट की बैठक में राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 75 की उपधारा (4) में संशोधन करने का अनुमोदन किया गया। इस संशोधन के बाद पंचायती राज संस्थाओं के खातों की ऑडिट का अधिकार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक { C. A. G.-कैग } को मिल जाएगा। कैग द्वारा प्रतिवर्ष इस ऑडिट का प्रतिवेदन विधानसभा में रखा जाएगा। इस संशोधन का विधेयक विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में ही रखा जाएगा।

नीमराना (अलवर) में बनेगी रेफल्स यूनिवर्सिटी

रेफल्स यूनिवर्सिटी, नीमराना ( अलवर ) के प्रतिस्थापक विधेयक अध्यादेश, 2010 के ड्राफ्ट को दिनांक 2 मार्च को राजस्थान कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान की। यह विधेयक भी मौजूदा सत्र में विधानसभा में लाया जाएगा।

गोकुल भाई भट्ट के नाम पर बाँध

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सिरोही जिले के हथल गाँव के निकट चल रहे सुकली - सेलवाड़ा सिंचाई योजना का नाम श्री गोकुल भाई भट्ट बाँध करने का निर्णय गया। स्वाधीनता सेनानी स्वर्गीय श्री गोकुल भाई भट्ट जिन्हें राजस्थान का गाँधी भी कहते हैं, का जन्म हथल गाँव में हुआ था। उन्होंने जल संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

Scheduled Areas of State of Rajasthan - राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण

राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (जनगणना 2011 के अनुसार)-   अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणना अनुसार इस अनुसूचित क्षेत्र की जनसंख्या 64.63 लाख है, जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.51 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है। सहरिया आदिम जाति क्षेत्र- राज्य की एक मात्र आदिम जाति सहरिया है जो बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित किया जाकर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 37.44 प्रतिशत है।  अनुसूचित क्षेत्र में राजकीय सेवाओं में आरक्षण सम्बन्धित प्रावधान-  कार्मिक (क-...