Skip to main content

राजस्थान के निर्माण या राजनैतिक एकीकरण के सात चरण एक दृष्टि में -
Seven Stages of formation or Political Integration of Rajasthan (1948-1956 )


संघ का नाम, सम्मिलित हुई रियासतें / राज्य , एकीकरण दिनांक-
( Name of Group, States, Date of Integration )-

1.
मत्स्य संघ Matsya Union-

अलवर भरतपुर धौलपुर करौली Alwar, Bharatpur, Dholpur, Karauli

दिनांक 17-03-1948

2.
 राजस्थान संघ Rajasthan Union -

बाँसवाड़ा बूँदी डूंगरपुर झालावाड़ किशनगढ़ कोटा प्रतापगढ़ शाहपुरा और टौंक Banswara, Bundi, Dungarpur, Jhalawar, Kishangarh, Kota, Pratapgarh, Shahpura, Tonk.

दिनांक 25-03-1948

3.
संयुक्त राजस्थान संघ United State of Rajasthan-

उदयपुर रियासत का संयुक्त राजस्थान में विलय Udaipur also joined with the other Union of Rajasthan.

दिनांक 18-04-1948

4. वृहद् राजस्थान Greater Rajasthan -

बीकानेर जयपुर जैसलमेर जोधपुर भी संयुक्त राजस्थान में जुड़े

Bikaner, Jaipur, Jaisalmer & Jodhpur also joined with the United State of Rajasthan.

दिनांक 30-03-1949

5.
संयुक्त वृहद् राजस्थान United State of Greater Rajasthan -

मत्स्य संघ का वृहद् राजस्थान में विलय Matsya Union also merged in Greater Rajasthan

दिनांक 15-05-1949

6.
राजस्थान संघ United Rajasthan -

आबू और दिलवाडा को छोड़ कर सिरोही राज्य का संयुक्त वृहद् राजस्थान के 18 राज्यो में विलय

18 States of United Rajasthan merged with Princely State Sirohi except Abu & Delwara.

दिनांक 26-01-1950

7.
पुनर्गठित राजस्थान या आधुनिक राजस्थान Re-organised Rajasthan-

इसमें State Re-organisation Act,1956 the erstwhile part ‘C’ के तहत अजमेर तथा रियासतकालीन राज्य सिरोही का अंग रहे आबूरोड तालुका { आबू व दिलवाड़ा } जो पूर्व में बंबई राज्य में मिल चुका था एवं पूर्व मध्य भारत के अंग रहे सुनेल टप्पा का राजस्थान संघ में विलय। साथ ही झालावाड़ जिले के सिरोंज उप जिला को मध्य प्रदेश में शामिल किया गया।

Under the State Re-organisation Act,1956 the erstwhile part ‘C’ State of Ajmer, Abu Road Taluka, former part of princely State Sirohi which was merged in former Bombay State & Sunel Tappa region of the former Madhya Bharat merged with Rajasthan & Sironj sub district of Jhalawar district was transferred to Madhya Pradesh.

दिनांक 01-11-1956

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...