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राजस्थान राजस्‍व मंडल


स्वाधीनता से पूर्व की राजस्व बंदोबस्त से संबंधित विभिन्न समस्‍याओं को हल करने के लिए तथा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 1949 में राजस्‍थान में शामिल होने वाली रियासतों के उच्‍च बन्‍दोबस्‍त एवं भू-अभिलेख विभाग का पुनर्गठन एवं एकीकरण किया गया। उस समय इस विभाग का एक ही अधिकारी था जो कई रूपों में कार्य करता था, यथा-

> बन्‍दोबस्‍त आयुक्‍त,

> भू-अभिलेख निदेशक,

> राजस्‍थान का पंजीयन महानिरीक्षक एवं

> मुद्रा अधीक्षक आदि।

एक वर्ष बाद, मार्च 1950 में भू-अभिलेख, पंजीयन एवं मुद्रा विभागों को बन्‍दोबस्‍त विभाग से पृथक कर दिया गया। भू-अभिलेख विभाग के निदेशक को ही पदेन मुद्रा एवं पंजीयन महानिरीक्षक बना दिया गया। भू-अभिलेख निदेशक की सहायता के लिए तीन सहायक भू अभिलेख निदेशक नियुक्‍त किए गए। इन सभी निकाय गठित किया गया। इसे राजस्‍व मंडल कहा गया। इसका कार्य राजस्‍व वादों का भय एवं पक्षपात रहित होकर उच्‍चतम स्‍तर पर निर्णय करना था।
संयुक्‍त राजस्‍थान राज्‍य के निर्माण के पश्‍चात महामहिम राजप्रमुख ने 7 अप्रैल 1949 को एक अध्‍यादेश द्वारा राजस्‍थान के राजस्‍व मंडल { Board of Revenue for Rajasthan } की स्‍थापना की। यह अध्‍यादेश 1 नवम्‍बर 1949 को प्रवर्तित हुआ था।

इस अध्यादेश द्वारा प्रवर्तित राजस्थान राजस्व मंडल ने बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, मत्‍स्‍य तथा पूर्व राजस्‍थान के राजस्‍व मंडलों का स्‍थान ले लिया। ये राजस्‍व मंडल विविध विधियों के अधीन रियासतों में कार्य कर रहे थे। 1 नवम्‍बर, 1949 से इन राजस्व मंडलों ने कार्य करना बन्‍द कर दिया। इनके पास बकाया वादों को संभाग के 'अतिरिक्‍त आयुक्‍तों' को स्‍थानान्‍तरित कर दिया गया। इस प्रकार राजस्‍व मंडल राजस्‍थान, राजस्‍व मामलों में अपील रिवीजन (पुर्नव्‍याख्‍या) तथा सन्‍दर्भ (रेफेरेन्‍स) का उच्‍चतम न्‍यायालय बन गया। साथ ही उसे भू-अभिलेख प्रशासन तथा अन्‍य विधियों का प्रशासन भी सौंपा गया।
अधिकांश राजस्‍व अधिकारी कार्यपालिका अधिकारी तथा न्‍यायालय होने के नाते द्विपक्षीय कार्य करते है। इसलिए यह आवश्‍यक है कि उनके व्‍यक्तिगत निर्णयों को किसी बहुल निकाय के विचार-विमर्श से उपजात निर्णयों का सहारा दिया जाए। राजस्‍व मंडल को डांवाडोल राजनीति के पक्षपात से मुक्‍त प्रशासनिक अनुभव का अत्‍यन्‍त समृद्ध न्‍यायिक निकाय बनाया गया ताकि गरीब, अनपढ, अबोध तथा दूरस्‍थ काश्‍तकारों के हितों की रक्षा हो सके।
इस प्रकार स्थापित राजस्व मंडल राजस्थान का मुख्यालय अजमेर में रखा गया।

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