हाड़ौती में मिले शैल चित्र
रावतभाटा-गांधी सागर मार्ग पर बने कचोटी के नाले की कंदराओं में लगभग 30 हजार साल पुराने शैलचित्र मिले हैं। हाल ही में मिले एक शैलचित्र में एक चट्टान पर बैल की आकृति उकेरी गई है, जिसके सामने एक व्यक्ति शिकार की मुद्रा में खड़ा है। विशेषज्ञों द्वारा इसकी आयु 30 हजार वर्ष बताई गई है जिसका पता पुराअन्वेषकों द्वारा "कार्बन डेंटिंग विधि" से गणना कर किया है। यह हाड़ौती क्षेत्र में एक नई खोज है। इससे पहले यहाँ लाल रंग के भालू का सुंदर व दुर्लभ शैलचित्र भी मिल चुका है। पुरा अन्वेषकों के अनुसार सामान्यतया शैलचित्रों में भालू की रॉक पेंटिंग कम मिलती है।
प्राचीन काल में आदिमानव चट्टान या पत्थर पर चित्र उकेरता था इसे शैलचित्र कहा जाता है। कचोटी के नाले में हुई शैल चित्रों की खोज में मानव शिकार के अलावा वन्य जीवन की पूरी झलक नजर आती है। यहां इनके चित्रांकन में वन्य पशु, शिकार, शिकारी सहित अन्य चित्र भी हैं। यहां सबसे प्राचीन चित्र एक बैल का है जो उत्तर प्राचीन काल का 30 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इस चित्र का रंग हरा एवं काला मिश्रित है। यहाँ के शैल चित्रों में कत्थई- गेरू रंग के साथ बीच में सफेद रंग से भरा हुआ है।
नहीं रहे जयपुर के पूर्व महाराजा
जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के सबसे बड़े पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह का 17 अप्रैल देर रात गुडगांव के मेडिसिटी अस्पताल में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। श्री सिंह करीब एक माह से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे।
जीवन परिचय-
कच्छवाह वंश के ब्रिगेडियर भवानी सिंह पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय एवं उनकी पहली पत्नी मरुधर कंवर के पुत्र थे। इनका जन्म 22 अक्टूबर 1931 को जयपुर में हुआ। पूर्व महाराजा भवानी सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा शेषनाग स्कूल कश्मीर, दून स्कूल देहरादून व इंग्लैण्ड के हॉरो स्कूल में हुई।
> शिक्षा प्राप्त करने के बाद भवानी सिंह भारतीय सेना की सेवा में गए जहाँ वे
1951 में सेना की तीसरी केवेलरी में सैकंड लेफ्टिनेंट नियुक्त हुए और दुश्मन के छक्के छुड़ाए।
> 1954 में प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड में तथा 1963 में पैरा ब्रिगेड में शामिल हुए और
1967 में नवगठित सेना की पैरा मिलेट्री फोर्स ज्वाइन की।
> 1970 में बांग्लादेश बनने से पहले मुक्तिवाहिनी सेना के प्रशिक्षण में सहयोग किया तथा 1971 के भारत पाक युद्ध में वीरता पूर्वक लड़ते हुए छाछरो पर कब्जा किया। उन्हें महावीर चक्र प्रदान किया गया।
>1974 में सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
> श्री भवानी सिंह का विवाह 10 मार्च 1967 को सिरमौर के महाराजा प्रकाश बहादुर की पुत्री पद्मनी देवी से हुआ तथा 1970 में उनकी पुत्री दीया का जन्म हुआ।
> 1997 में पुत्री दीया का विवाह नरेन्द्र सिंह से हुआ और 22 नवम्बर 2002 में दोहिते पद्मनाभ को गोद लिया।
> 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा।
>1993 से 1997 तक ब्रुनई में उच्चायुक्त नियुक्त हुए।
जयपुर में खुली भूपति टेनिस एकेडमी
राजस्थान की प्रथम "महेश भूपति टेनिस एकेडमी" का शुभारंभ दिनांक 25 अप्रैल को स्टेप बाई स्टेप इंटरनेशनल स्कूल महापुरा, जयपुर में हुआ, इस एकेडमी का उद्घाटन भारत के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति द्वारा किया गया। इस एकेडमी का टेनिस कोर्ट अमरीकी मापदंडों के अनुसार तैयार किया गया है।
रावतभाटा-गांधी सागर मार्ग पर बने कचोटी के नाले की कंदराओं में लगभग 30 हजार साल पुराने शैलचित्र मिले हैं। हाल ही में मिले एक शैलचित्र में एक चट्टान पर बैल की आकृति उकेरी गई है, जिसके सामने एक व्यक्ति शिकार की मुद्रा में खड़ा है। विशेषज्ञों द्वारा इसकी आयु 30 हजार वर्ष बताई गई है जिसका पता पुराअन्वेषकों द्वारा "कार्बन डेंटिंग विधि" से गणना कर किया है। यह हाड़ौती क्षेत्र में एक नई खोज है। इससे पहले यहाँ लाल रंग के भालू का सुंदर व दुर्लभ शैलचित्र भी मिल चुका है। पुरा अन्वेषकों के अनुसार सामान्यतया शैलचित्रों में भालू की रॉक पेंटिंग कम मिलती है।
प्राचीन काल में आदिमानव चट्टान या पत्थर पर चित्र उकेरता था इसे शैलचित्र कहा जाता है। कचोटी के नाले में हुई शैल चित्रों की खोज में मानव शिकार के अलावा वन्य जीवन की पूरी झलक नजर आती है। यहां इनके चित्रांकन में वन्य पशु, शिकार, शिकारी सहित अन्य चित्र भी हैं। यहां सबसे प्राचीन चित्र एक बैल का है जो उत्तर प्राचीन काल का 30 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इस चित्र का रंग हरा एवं काला मिश्रित है। यहाँ के शैल चित्रों में कत्थई- गेरू रंग के साथ बीच में सफेद रंग से भरा हुआ है।
नहीं रहे जयपुर के पूर्व महाराजा
जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के सबसे बड़े पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह का 17 अप्रैल देर रात गुडगांव के मेडिसिटी अस्पताल में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। श्री सिंह करीब एक माह से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे।
जीवन परिचय-
कच्छवाह वंश के ब्रिगेडियर भवानी सिंह पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय एवं उनकी पहली पत्नी मरुधर कंवर के पुत्र थे। इनका जन्म 22 अक्टूबर 1931 को जयपुर में हुआ। पूर्व महाराजा भवानी सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा शेषनाग स्कूल कश्मीर, दून स्कूल देहरादून व इंग्लैण्ड के हॉरो स्कूल में हुई।
> शिक्षा प्राप्त करने के बाद भवानी सिंह भारतीय सेना की सेवा में गए जहाँ वे
1951 में सेना की तीसरी केवेलरी में सैकंड लेफ्टिनेंट नियुक्त हुए और दुश्मन के छक्के छुड़ाए।
> 1954 में प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड में तथा 1963 में पैरा ब्रिगेड में शामिल हुए और
1967 में नवगठित सेना की पैरा मिलेट्री फोर्स ज्वाइन की।
> 1970 में बांग्लादेश बनने से पहले मुक्तिवाहिनी सेना के प्रशिक्षण में सहयोग किया तथा 1971 के भारत पाक युद्ध में वीरता पूर्वक लड़ते हुए छाछरो पर कब्जा किया। उन्हें महावीर चक्र प्रदान किया गया।
>1974 में सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
> श्री भवानी सिंह का विवाह 10 मार्च 1967 को सिरमौर के महाराजा प्रकाश बहादुर की पुत्री पद्मनी देवी से हुआ तथा 1970 में उनकी पुत्री दीया का जन्म हुआ।
> 1997 में पुत्री दीया का विवाह नरेन्द्र सिंह से हुआ और 22 नवम्बर 2002 में दोहिते पद्मनाभ को गोद लिया।
> 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा।
>1993 से 1997 तक ब्रुनई में उच्चायुक्त नियुक्त हुए।
जयपुर में खुली भूपति टेनिस एकेडमी
राजस्थान की प्रथम "महेश भूपति टेनिस एकेडमी" का शुभारंभ दिनांक 25 अप्रैल को स्टेप बाई स्टेप इंटरनेशनल स्कूल महापुरा, जयपुर में हुआ, इस एकेडमी का उद्घाटन भारत के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति द्वारा किया गया। इस एकेडमी का टेनिस कोर्ट अमरीकी मापदंडों के अनुसार तैयार किया गया है।
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