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चतुर्थ राज्य वित्त आयोग एवं उसके कार्य

चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का संगठन-

अध्यक्ष - डॉ. बी. डी. कल्ला

सदस्य- राजपाल सिंह शेखावत एवं जे. पी. चन्देलिया

सदस्य सचिव- डॉ. पी. एल. अग्रवाल


कार्यकाल- 31 दिसम्बर, 2011 तक

प्रमुख कार्य-

> सभी स्तरों पर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन।

> राज्य के और सभी स्तरों की पंचायतों के मध्य, राज्य द्वारा उद्ग्रहणीय ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों के शुद्ध आगमों का वितरण, ऐसे आगमों के सभी स्तरों की पंचायतों के मध्य उनके अपने अपने अंशों का आवंटन के विषय सहित ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों का अवधारण जो सभी स्तरों पर की पंचायतों को समनुदेशित किए जा सकेंगे या उनके द्वारा विनियोजित किए जा सकेंगे।

> राज्य की संचित निधि में से सभी स्तरों पर की पंचायतों को सहायता, अनुदान तथा पंचायतों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक उपाय सम्बन्धी विषयों पर सिफारिश करना।

> नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का भी पुनरावलोकन करना।

> राज्य के और नगरपालिकाओं के मध्य, राज्य द्वारा उद्ग्रहणीय ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों के शुद्ध आगमों का वितरण।

> ऐसे आगमों के सभी स्तरों की नगरपालिकाओं के मध्य उनके अपने अपने अंशों का आवंटन के विषय सहित ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों का अवधारण जो नगरपालिका द्वारा समनुदेशित किये जा सकेंगे या उनके द्वारा विनियोजित किये जा सकेंगे सम्बन्धी विषय पर विचार करना ।

> राज्य की संचित निधि में से नगरपालिकाओं को सहायता अनुदान तथा नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक उपाय सम्बन्धी विषयों पर सिफारिश करना।

> राज्य सरकार के वित्तीय संसाधन, स्रोत एवं उनसे अपेक्षाएं विशेषतः राज्य के गैर आयोजना खाते में घाटे एवं आधिक्य को ध्यान में रखते हुए राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए आयोजनागत व्यय के लिए अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की अनिवार्यता पर विचार।

> पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय स्थानीय निकायों को उन्हें सौपे गये दायित्वों को समुचित रूप से निभाने के लिए उनकी वित्तीय आवश्यकताओं पर सिफारिश करना।

> 13 वें राष्ट्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय स्थानीय निकायों को देय अनुदान की राशियों का उनकी आय में समायोजन के बारे में सुझाव देना।

> पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय स्थानीय निकायों द्वारा अतिरिक्त कर अर्जित किए जाने सहित वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए विद्यमान शक्तियों पर विचार कर सुझाव देना।

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