1. महिलाओं के प्रशिक्षण एवं रोजगार कार्यक्रम हेतु सहायता (स्टेप)–
भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना के अंतर्गत अल्प आयवर्ग की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने हेतु भारत सरकार द्वारा स्वयंसेवी संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है।
योजना के उद्देश्य-
- महिलाओं को छोटे व्यावसायिक दलों में संगठित करना तथा प्रशिक्षण और ऋण के माध्यम से सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- महिलाओं में कौशल वृद्धि के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
- महिला दलों को सक्षम बनाना, ताकि वे स्वयं रोजगार तथा आयोत्पादक कार्यक्रम चला सके।
- महिलाओं के लिए प्रशिक्षण तथा रोजगार की परिस्थितियों में और अधिक सुधार करने के लिए समर्थन सेवाएं उपलब्ध कराना।
कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण–
यह योजना सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों, संघों, सहकारी तथा स्वैच्छिक संगठनों, गैर–सरकारी स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से चलाई जाती है। इस स्कीम के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले निकाय, संगठन अथवा अभिकरण ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए भले ही उनके मुख्यालय शहरी क्षेत्रों में स्थित हो।
लक्ष्य वर्ग-
इस कार्यक्रम के तहत शामिल किए जाने वाले लक्ष्य वर्ग सीमान्त, सम्पति विहीन ग्रामीण तथा शहरी निर्धन महिलाएं है। इस परियोजना के अन्तर्गत अ.जा/अ.ज.जा. परिवारों तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों पर विशेष बल दिया जाता है।
2. कलेवा योजना–
बजट घोषणा 2010-11 अन्तर्गत मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कलेवा योजना प्रारम्भ की गई है। योजना अन्तर्गत राज्य की समस्त 368 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव कराने वाली प्रसूताओं को प्रथम दो दिवस तक गरम एवं पौष्टिक भोजन महिला स्वायं सहायता समूह द्वारा पकाकर उपलब्ध करवाया जा रहा है। इससे संस्थागत प्रसव में वृद्धि के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूहों को स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है। अब तक लाखों महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
3. सामूहिक विवाहों हेतु अनुदान योजना–
समाज में विवाहों पर अनावश्यक व्यय की बढ़ती प्रवृति पर नियंत्रण के लिए सामूहिक विवाहों के आयोजन किए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा ऐसे कार्यक्रमों के प्रोत्साहन हेतु वर्ष 1996 में सामूहिक विवाह अनुदान नियम बनाए गए। इन नियमों को और प्रभावी बनाए जाने हेतु राजस्थान सामूहिक विवाह नियमन एवं अनुदान नियम, 2009 दिनांक 20.01.10 से लागू किए गए हैं। इन नवीन नियम के मुख्य बिन्दु निम्नानुसार है -
इन नियमों के अन्तर्गत संस्था को सामूहिक विवाह आयोजन के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति प्राप्त करनी होगी।
इन नियमों के अन्तर्गत राशि रुपए 6000/- प्रति जोड़ा अनुदान देय है, जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए है।
सामूहिक विवाह आयोजन में जोडों की न्यूनतम संख्या 10 होनी चाहिए।
इस तरह एक सामूहिक विवाह में अधिकतम 166 जोड़ों को अनुदान दिया जा सकता है।
प्रति जोडा अनुदानित राशि में से 25 प्रतिशत राशि (वर्तमान में रुपए 1500/- संस्था को विवाह के आयोजन के लिए देय होगी जबकि 78 प्रतिशत राशि (वर्तमान आधार पर रूपये 4500/-) नवविवाहित (वधू) के नाम से डाकघर या बैंक में न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि के लिए सावधि जमा कराई जाएगी।
4. सात सूत्रीय महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम–
समाज में महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा को स्थापित करने तथा उन्हें प्रत्येक दृष्टि से सशक्त करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बजट भाषण वर्ष 2009-10 में सात सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की–
1. सुरक्षित मातृत्व
2. शिशु मृत्यु दर में कमी लाना
3. जनसंख्या स्थिरीकरण
4. बाल विवाहों की रोकथाम
5. लड़कियों का कम से कम कक्षा 10 तक ठहराव
6. महिलाओं को सुरक्षा तथा सुरक्षित वातावरण प्रदान करना
7. स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर प्रदान करते हुए आर्थिक सशक्तिकरण
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर प्रकोष्ठ बनाकर इस कार्यक्रम की मोनिटरिंग की जा रही है।
इस कार्यक्रम के प्रबोधन, समीक्षा एवं समन्वयन हेतु निम्न दो राज्य स्तरीय समितियों का गठन किया गया है-
1. राज्य स्तरीय प्रबोधन समिति जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं।
2. राज्य स्तरीय समन्वय समिति जिसके मुख्य सचिव अध्यक्ष हैं।
इस 7 सूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत संबंधित विभागों द्वारा विशेष कार्ययोजना बनाई गई है।
5. स्वावलम्बन योजना–
इस योजना में महिलाओं को पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक व्यवसायों में सार्वजनिक उपक्रमों/निगमों/गैर सरकारी संगठनों/ स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार उपलब्ध कराए जाते हैं।
योजना का उद्देश्य-
- महिलाओं को परम्परागत तथा गैर परम्परागत क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिलवाकर उनके लिए स्वरोजगार सुनिश्चित कर आत्मनिर्भर बनाना है।
- निर्धन, विधवा, परित्यक्ताओं, ग्रामीण एवं गरीब महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार करना है।
कार्यान्वयन अभिकरण-
यह योजना सार्वजनिक उपक्रम/निगमों, विश्व विद्यालयों/सरकारी/ गैर–सरकारी संगठन/ महिला स्वयं सहायता समूह संस्थान/ महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है।
लक्षित वर्ग या लाभार्थी-
1. एकल नारी/विधवाएं/ एड्स पीड़ित/परित्यक्ता।
2. पिछडे तबकों की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं एवं स्वयं सहायता समूह।
6. महिला विकास कार्यक्रम–
महिलाओं के समग्र विकास के उद्देश्य से वर्ष 1984 में प्रयोगात्मक रूप में राज्य के 7 जिलों यथा जयपुर, अजमेर, जोधपुर, भीलवाडा, उदयपुर, बांसवाडा व कोटा में महिला विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था। कार्यक्रम की सफलता एवं महिलाओं के इसमें रूझान की दृष्टिगत कार्यक्रम का विभिन्नय चरणों में विस्तार किया जाकर वर्तमान में यह कार्यक्रम राज्य के समस्त जिलों में संचालित किया जा रहा है। इसका मुख्य ध्येय महिलाओं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढाना एवं विभिन्न विभागों की योजनाओं और नीतियों का लाभ लेना है।
महिला अधिकारिता निदेशालय : मुख्य कार्य
- महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए कार्यक्रम लागू करने के लिए महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्रों की स्थापना व विभिन्न विभागों से समन्वय
- जिला स्तरीय महिला सहायता समितियों के माध्यम से उत्पीडित महिलाओं को अविलम्ब राहत पहुंचाना
- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, सामाजिक बुराइयां यथा दहेज प्रथा, बाल विवाह, अशिक्षा, कन्या भू्रण हत्या आदि को समाप्त करने हेतु महिलाओं को जागरूक करने के लिए महिला विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन
- महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह आन्दोलन के माध्यम से कार्यक्रम का क्रियान्वयन
- स्वयं सहायता समूह संस्थान की स्थापना
- सभी संभाग स्तर पर महिला संदर्भ केन्द्रों की स्थापना
- किशोरी बालिकाओं को जीवन कौशल शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु किशोरी शक्ति योजना का संचालन
- सामूहिक विवाह प्रोत्साहन, बाल विवाह निषेध आदि योजनाओं द्वारा सामाजिक परिलाभ प्रदान करना।
Comments
Post a Comment
Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार