दिनांक 23 जून को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पहल पर राज्य मंत्रिमंडल ने प्रदेश के निःशक्तजनों के हित में एक अभूतपूर्व निर्णय करते हुए ‘राजस्थान निःशक्त व्यक्तियों के नियम- 2011‘ को स्वीकृति दी है।
इस नियम के प्रभाव में आने से प्रदेश में निःशक्तजनों को राजकीय क्षेत्र में नौकरी के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। उन्हें सभी राजकीय विभागों, उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्रों एवं अनुदानित संस्थाओं में नौकरी के लिए आरक्षण निर्धारित रोस्टर बिन्दुओं के द्वारा उपलब्ध होगा। मंत्रिमंडल के इस निर्णय से भविष्य में भारत सरकार द्वारा सरकारी नियुक्तियों में देय आरक्षण के अनुरूप ही अब प्रदेश में भी निःशक्तजनों को आरक्षण उपलब्ध हो सकेगा।
राज्य में निवासरत निःशक्तजनों हेतु राजकीय विभागों, उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्रों एवं अनुदानित संस्थाओं में नियोजन के लिए अब तक ‘राजस्थान निःशक्त व्यक्तियों का नियोजन नियम- 2000‘ लागू था। नए नियम को स्वीकृति दिए जाने से अब पुराना नियम निरसित हो जाएगा।
इस निर्णय के बाद अब सभी राजकीय, सहकारी, निजी एवं अनुदानित संस्थाओं में इसी क्रम में निःशक्तजन को नियुक्ति दिया जाना अनिवार्य होगा।
नियम के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान-
> निःशक्तजनों कोपूर्व में निःशक्तता प्रमाण पत्र तीन चिकित्सकों के चिकित्सा बोर्ड द्वारा दिए जाने का प्रावधान था। निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में संशोधन कर एकल निःशक्तता हेतु प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक को निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया एवं बहुनिःशक्तता होने पर मेडिकल बोर्ड को निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया है।
> निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने या नहीं करने के विरूद्ध निःशक्त व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत मेडिकल अथोरिटी के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सकेगा।
> एक राज्य समन्वय समिति के गठन किए जाने का प्रावधान है जो प्रत्येक छह माह में बैठक कर निःशक्तजनों के हितों से संबंधित विषयों की समीक्षा करेगी।
> इसमें एक राज्य कार्यकारी समिति का भी प्रावधान है, जो प्रत्येक तिमाही बैठक करेगी।
> नियमों में नेत्रहीन व दृष्टिअल्पता, श्रवण बाधित, लोकोमोटर डिसएबल्टी या सेरेब्रल पॉल्सी श्रेणी के निःशक्तों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
> राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा की जाने वाली किसी नियुक्तियों के लिए आयोग के अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामित सदस्य की अध्यक्षता में गठित समिति की अभिशंषा के बाद ही निःशक्त आरक्षण में छूट देय होगी जबकि राजस्थान लोक सेवा आयोग के क्षेत्राधिकार के बाहर की जाने वाली किसी नियुक्ति के लिए निःशक्तजन आरक्षण में छूट कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की अभिशंषा के बाद ही दी जा सकेगी।
> निःशक्तजनों को किसी भी भर्ती परीक्षा की अर्हता में 5 प्रतिशत की छूट किसी एक विषय में और कुल प्राप्तांकों में दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों को अस्थाई नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण, परीक्षा और अनुभव की अर्हता से मुक्त रखा गया है। यदि किसी अस्थाई नियुक्ति में प्रशिक्षण आवश्यक हो, वहाँ निःशक्तजनों को प्रशिक्षण दो वर्ष में पूर्ण करना होगा।
> अधिकतम आयु सीमा में सामान्य श्रेणी के निःशक्तों को दस वर्ष, अन्य पिछडा वर्ग एवं विशेष पिछडा वर्ग के निःशक्तों को 13 वर्ष, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के निःशक्तों को 15 वर्ष की छूट प्रदान की गई है।
> निःशक्तजन को रोजगार हेतु प्रतियोगी परीक्षा एवं साक्षात्कार में सम्मिलित होने पर नियमानुसार बस या रेल किराए के पुनर्भरण का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों के कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के पंजीयन के लिए जिले के अतिरिक्त जिला कलक्टर को अधिकृत किया गया है।
> नियोक्ताओं को प्रत्येक तिमाही में नियुक्ति संबंधी सूचना विशेष रोजगार कार्यालय को दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों को उनकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया।
विकलांग तैराक किरण टांक को मुख्यमंत्री ने दिया 80 हजार का विशेष अनुदान
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता तैराक सुश्री किरण टांक को उच्च अध्ययन हेतु हाल ही में 80 हजार रुपए का विशेष अनुदान स्वीकृत किया। विकलांग खिलाड़ी सुश्री किरण टांक ने अपने खेल कौशल को निखारने के लिए राष्ट्रीय खेल संस्थान (एन.आई.एस.) से डिप्लोमा करने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन गरीबी की वजह से वह शुल्क चुकाने में असमर्थ थी।
इस नियम के प्रभाव में आने से प्रदेश में निःशक्तजनों को राजकीय क्षेत्र में नौकरी के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। उन्हें सभी राजकीय विभागों, उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्रों एवं अनुदानित संस्थाओं में नौकरी के लिए आरक्षण निर्धारित रोस्टर बिन्दुओं के द्वारा उपलब्ध होगा। मंत्रिमंडल के इस निर्णय से भविष्य में भारत सरकार द्वारा सरकारी नियुक्तियों में देय आरक्षण के अनुरूप ही अब प्रदेश में भी निःशक्तजनों को आरक्षण उपलब्ध हो सकेगा।
राज्य में निवासरत निःशक्तजनों हेतु राजकीय विभागों, उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं, निजी क्षेत्रों एवं अनुदानित संस्थाओं में नियोजन के लिए अब तक ‘राजस्थान निःशक्त व्यक्तियों का नियोजन नियम- 2000‘ लागू था। नए नियम को स्वीकृति दिए जाने से अब पुराना नियम निरसित हो जाएगा।
इस निर्णय के बाद अब सभी राजकीय, सहकारी, निजी एवं अनुदानित संस्थाओं में इसी क्रम में निःशक्तजन को नियुक्ति दिया जाना अनिवार्य होगा।
नियम के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान-
> निःशक्तजनों कोपूर्व में निःशक्तता प्रमाण पत्र तीन चिकित्सकों के चिकित्सा बोर्ड द्वारा दिए जाने का प्रावधान था। निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में संशोधन कर एकल निःशक्तता हेतु प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक को निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया एवं बहुनिःशक्तता होने पर मेडिकल बोर्ड को निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया है।
> निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने या नहीं करने के विरूद्ध निःशक्त व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत मेडिकल अथोरिटी के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सकेगा।
> एक राज्य समन्वय समिति के गठन किए जाने का प्रावधान है जो प्रत्येक छह माह में बैठक कर निःशक्तजनों के हितों से संबंधित विषयों की समीक्षा करेगी।
> इसमें एक राज्य कार्यकारी समिति का भी प्रावधान है, जो प्रत्येक तिमाही बैठक करेगी।
> नियमों में नेत्रहीन व दृष्टिअल्पता, श्रवण बाधित, लोकोमोटर डिसएबल्टी या सेरेब्रल पॉल्सी श्रेणी के निःशक्तों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
> राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा की जाने वाली किसी नियुक्तियों के लिए आयोग के अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामित सदस्य की अध्यक्षता में गठित समिति की अभिशंषा के बाद ही निःशक्त आरक्षण में छूट देय होगी जबकि राजस्थान लोक सेवा आयोग के क्षेत्राधिकार के बाहर की जाने वाली किसी नियुक्ति के लिए निःशक्तजन आरक्षण में छूट कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की अभिशंषा के बाद ही दी जा सकेगी।
> निःशक्तजनों को किसी भी भर्ती परीक्षा की अर्हता में 5 प्रतिशत की छूट किसी एक विषय में और कुल प्राप्तांकों में दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों को अस्थाई नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण, परीक्षा और अनुभव की अर्हता से मुक्त रखा गया है। यदि किसी अस्थाई नियुक्ति में प्रशिक्षण आवश्यक हो, वहाँ निःशक्तजनों को प्रशिक्षण दो वर्ष में पूर्ण करना होगा।
> अधिकतम आयु सीमा में सामान्य श्रेणी के निःशक्तों को दस वर्ष, अन्य पिछडा वर्ग एवं विशेष पिछडा वर्ग के निःशक्तों को 13 वर्ष, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के निःशक्तों को 15 वर्ष की छूट प्रदान की गई है।
> निःशक्तजन को रोजगार हेतु प्रतियोगी परीक्षा एवं साक्षात्कार में सम्मिलित होने पर नियमानुसार बस या रेल किराए के पुनर्भरण का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों के कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के पंजीयन के लिए जिले के अतिरिक्त जिला कलक्टर को अधिकृत किया गया है।
> नियोक्ताओं को प्रत्येक तिमाही में नियुक्ति संबंधी सूचना विशेष रोजगार कार्यालय को दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
> निःशक्तजनों को उनकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया।
विकलांग तैराक किरण टांक को मुख्यमंत्री ने दिया 80 हजार का विशेष अनुदान
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता तैराक सुश्री किरण टांक को उच्च अध्ययन हेतु हाल ही में 80 हजार रुपए का विशेष अनुदान स्वीकृत किया। विकलांग खिलाड़ी सुश्री किरण टांक ने अपने खेल कौशल को निखारने के लिए राष्ट्रीय खेल संस्थान (एन.आई.एस.) से डिप्लोमा करने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन गरीबी की वजह से वह शुल्क चुकाने में असमर्थ थी।
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