महाराणा प्रताप आवास योजना (गाड़िया लौहारों को भवन निर्माण हेतु अनुदान सहायता)-
यह योजना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित की जा रही है जिसमें गाड़िया लौहारों को स्थायी रूप से बसाने हेतु राज्य सरकार द्वारा भूखण्ड रियायती दर पर / नि:शुल्क आवंटित किया जाता है तथा मकान निर्माण के लिए अनुदान भी दिया जाता है।
> ''गाड़िया लौहार'' से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसके पास में स्वयं का मकान नहीं है तथा वह एवं उसका परिवार बैलगाड़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए किसी स्थान विशेष पर अस्थाई रूप से निवास कर लौहारगिरी का व्यवसाय करता है।
> इस योजना में गाड़िया लौहारों को ग्रामीण क्षेत्र में 150 वर्ग गज भूमि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा रियायती दर पर उपलब्ध करवाई जाती है एवं शहरी क्षेत्र में 50 वर्ग गज भूमि नगरीय विकास विभाग द्वारा नि:शुल्क आवंटित किए जाने का प्रावधान है।
> समाज कल्याण विभाग द्वारा गाड़िया लौहारों को मकान निर्माण हेतु अनुदान सहायता राशि नियम, 1997 को वर्ष 1999-2000 में संशोधित करते हुए इस योजनान्तर्गत अनुदान सहायता राशि को बढ़ाकर इन्दिरा आवास योजना के अनुरूप 17,500 रुपए किया गया। इस राशि को दिनांक 24.7.2007 द्वारा बढ़ाकर 25,000 रुपए प्रति मकान कर दिया गया।
तदुपरान्त दिनांक 13.8.09 द्वारा उक्त सहायता राशि बढ़ाकर 35,000 रुपए प्रति मकान कर दिया गया। यह वृद्धि वर्ष 2009-10 से स्वीकृत किए जाने वाले नए भवन निर्माण प्रकरणों पर ही लागू है।
> संशोधित आदेश दिनांक 20.1.2011 के अनुसार यह राशि तीन किश्तों में देय है। प्रथम किश्त 10,000 रुपए, द्वितीय किश्त 15,000 रुपए एवं तृतीय किश्त 10,000 रुपए दी जाती है।
> वर्ष 2006 में विभाग की अधिसूचना दिनांक 30.10.06 द्वारा इस योजना का नाम '' महाराणा प्रताप आवास योजना '' किया गया।
> सहायता राशि प्राप्त करने के लिये निर्धारित आवेदन-पत्र समाज कल्याण अधिकारी/ सहायक निदेशक / उपनिदेशक को प्रस्तुत करना होता है।
गाड़िया लौहारों को कच्चा माल खरीदने के लिये अनुदान योजना- वर्ष 1991
राज्य सरकार ने गाड़िया लौहारों के आर्थिक विकास हेतु यह योजना वर्ष 1991 से संचालित की गई। इसके तहत उनके व्यवसाय में सहायता प्रदान करने हेतु कच्चा माल क्रय करने के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपए अनुदान स्वीकृत किए जाने का प्रावधान था, जिसे दिनांक 1.10.2007 द्वारा बढ़ाकर 1000 रुपए तथा दिनांक 4.5.2011 द्वारा बढ़ाकर 2,500 रुपए कर दिया गया।
> यह योजना गाड़िया लौहारों को कच्चा माल खरीदने के लिये अनुदान योजना- वर्ष 1991 कहलाती है।
> यह योजना ''समाज कल्याण विभाग'' द्वारा संचालित है। आवेदन निर्धारित प्रपत्र में सम्बन्धित जिले के समाज कल्याण अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है।
> इसमें आवेदनकर्ता गाड़िया लोहार जाति से होना चाहिए।
यह योजना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित की जा रही है जिसमें गाड़िया लौहारों को स्थायी रूप से बसाने हेतु राज्य सरकार द्वारा भूखण्ड रियायती दर पर / नि:शुल्क आवंटित किया जाता है तथा मकान निर्माण के लिए अनुदान भी दिया जाता है।
> ''गाड़िया लौहार'' से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसके पास में स्वयं का मकान नहीं है तथा वह एवं उसका परिवार बैलगाड़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए किसी स्थान विशेष पर अस्थाई रूप से निवास कर लौहारगिरी का व्यवसाय करता है।
> इस योजना में गाड़िया लौहारों को ग्रामीण क्षेत्र में 150 वर्ग गज भूमि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा रियायती दर पर उपलब्ध करवाई जाती है एवं शहरी क्षेत्र में 50 वर्ग गज भूमि नगरीय विकास विभाग द्वारा नि:शुल्क आवंटित किए जाने का प्रावधान है।
> समाज कल्याण विभाग द्वारा गाड़िया लौहारों को मकान निर्माण हेतु अनुदान सहायता राशि नियम, 1997 को वर्ष 1999-2000 में संशोधित करते हुए इस योजनान्तर्गत अनुदान सहायता राशि को बढ़ाकर इन्दिरा आवास योजना के अनुरूप 17,500 रुपए किया गया। इस राशि को दिनांक 24.7.2007 द्वारा बढ़ाकर 25,000 रुपए प्रति मकान कर दिया गया।
तदुपरान्त दिनांक 13.8.09 द्वारा उक्त सहायता राशि बढ़ाकर 35,000 रुपए प्रति मकान कर दिया गया। यह वृद्धि वर्ष 2009-10 से स्वीकृत किए जाने वाले नए भवन निर्माण प्रकरणों पर ही लागू है।
> संशोधित आदेश दिनांक 20.1.2011 के अनुसार यह राशि तीन किश्तों में देय है। प्रथम किश्त 10,000 रुपए, द्वितीय किश्त 15,000 रुपए एवं तृतीय किश्त 10,000 रुपए दी जाती है।
> वर्ष 2006 में विभाग की अधिसूचना दिनांक 30.10.06 द्वारा इस योजना का नाम '' महाराणा प्रताप आवास योजना '' किया गया।
> सहायता राशि प्राप्त करने के लिये निर्धारित आवेदन-पत्र समाज कल्याण अधिकारी/ सहायक निदेशक / उपनिदेशक को प्रस्तुत करना होता है।
गाड़िया लौहारों को कच्चा माल खरीदने के लिये अनुदान योजना- वर्ष 1991
राज्य सरकार ने गाड़िया लौहारों के आर्थिक विकास हेतु यह योजना वर्ष 1991 से संचालित की गई। इसके तहत उनके व्यवसाय में सहायता प्रदान करने हेतु कच्चा माल क्रय करने के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपए अनुदान स्वीकृत किए जाने का प्रावधान था, जिसे दिनांक 1.10.2007 द्वारा बढ़ाकर 1000 रुपए तथा दिनांक 4.5.2011 द्वारा बढ़ाकर 2,500 रुपए कर दिया गया।
> यह योजना गाड़िया लौहारों को कच्चा माल खरीदने के लिये अनुदान योजना- वर्ष 1991 कहलाती है।
> यह योजना ''समाज कल्याण विभाग'' द्वारा संचालित है। आवेदन निर्धारित प्रपत्र में सम्बन्धित जिले के समाज कल्याण अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है।
> इसमें आवेदनकर्ता गाड़िया लोहार जाति से होना चाहिए।
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