विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के अधीन स्थापित "राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद्- नेटवर्क (NCSTC- Network)" द्वारा आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस इस बार राजस्थान में होगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार संभवतः इसका आयोजन राजधानी जयपुर में होगा। यह कार्यक्रम वर्ष 1993 से प्रारंभ किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष 27-31 दिसंबर तक आयोजित किया जाता है जिसमें पूरे देश से लगभग 500 बच्चे भाग लेते हैं।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को राज्य में प्रथम बार इस राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस आयोजित करने एवं इसके लिए 70 लाख रुपए के अतिरिक्त बजट प्रावधान को स्वीकृति दी है।
श्री गहलोत ने बजट भाषण वर्ष 2011-12 में इसकी घोषणा की थी।
बच्चों में स्वयं करके सीखने को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की जाने वाली इस राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजन से बच्चों में जहां विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ेगी, वहीं देश के जाने-माने वैज्ञानिकों से मिलने तथा विज्ञान सम्बन्धी जिज्ञासाओं को दूर करने का अवसर मिलेगा। इस कार्यक्रम से राज्य के बच्चों को अन्य राज्यों के बाल वैज्ञानिकों द्वारा की गई उत्कृष्ट विज्ञान शोध प्रायोजनाओं से अवगत होने का अवसर भी मिलेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता का आयोजन जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है जिसमें स्कूली बच्चे अपनी शोध प्रायोजनाओं को प्रस्तुत करते हैं। जिला स्तर की उत्कृष्ट शोध को राज्य स्तर पर तथा राज्य स्तर की शोध को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है। प्रत्येक स्तर की प्रतियोगिता में विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। जिला स्तर की बाल विज्ञान कांग्रेस माह अक्टूबर में तथा राज्य स्तर की नवंबर में आयोजित होती है। इसमें 10-17 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे भाग ले सकते हैं। ये बच्चे इस प्रतियोगिता हेतु व्यक्तिगत रूप से अथवा तीन चार के समूह में शोध प्रोजेक्ट कर सकते हैं। प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता की एक केन्द्रीय थीम तथा उस पर आधारित उपथीम होती है जिन पर बच्चे अपने प्रोजेक्ट कर सकते हैं।
इसके निर्धारित उद्देश्य निम्नांकित हैं-
*. बाल वैज्ञानिकों को अपनी नैसर्गिक जिज्ञासा के समाधान के लिए फोरम प्रदान करना तथा खुले सिरे की समस्याओं पर प्रयोगों द्वारा सृजनात्मकता की पिपासा के शमन के लिए मंच प्रदान करना;
*. यह अनुभव देना कि विज्ञान आपके आसपास है तथा आप अपनी अधिगम प्रक्रिया को अपने पड़ोस के भौतिक और सामाजिक पर्यावरण से संबंधित करके बहुत सारी समस्याओं को हल करने के साथ साथ ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।
*. पूरे देश में बच्चों को देश के भविष्य को दृष्टिमान करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा संवेदनशील व उत्तरदायी नागरिकों की पीढ़ी के निर्माण में सहायता करना।
*. बच्चों में प्रेक्षण लेने, आँकड़ों का संग्रहण, प्रयोग व विश्लेषण करके निष्कर्षों तक पहुँचने और अपने निष्कर्षों को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया से वैज्ञानिक विधि को सीखने की क्रिया तथा वैज्ञानिक प्रकृति (temperament) उद्दीप्त करना।
विस्तृत जानकारी के लिए परियोजना अधिकारी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, राजस्थान सरकार, मिनी सचिवालय, बनीपार्क, जयपुर अथवा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय उदयपुर/ जोधपुर/ बीकानेर/ कोटा से संपर्क कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को राज्य में प्रथम बार इस राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस आयोजित करने एवं इसके लिए 70 लाख रुपए के अतिरिक्त बजट प्रावधान को स्वीकृति दी है।
श्री गहलोत ने बजट भाषण वर्ष 2011-12 में इसकी घोषणा की थी।
बच्चों में स्वयं करके सीखने को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की जाने वाली इस राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजन से बच्चों में जहां विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ेगी, वहीं देश के जाने-माने वैज्ञानिकों से मिलने तथा विज्ञान सम्बन्धी जिज्ञासाओं को दूर करने का अवसर मिलेगा। इस कार्यक्रम से राज्य के बच्चों को अन्य राज्यों के बाल वैज्ञानिकों द्वारा की गई उत्कृष्ट विज्ञान शोध प्रायोजनाओं से अवगत होने का अवसर भी मिलेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता का आयोजन जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है जिसमें स्कूली बच्चे अपनी शोध प्रायोजनाओं को प्रस्तुत करते हैं। जिला स्तर की उत्कृष्ट शोध को राज्य स्तर पर तथा राज्य स्तर की शोध को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है। प्रत्येक स्तर की प्रतियोगिता में विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। जिला स्तर की बाल विज्ञान कांग्रेस माह अक्टूबर में तथा राज्य स्तर की नवंबर में आयोजित होती है। इसमें 10-17 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे भाग ले सकते हैं। ये बच्चे इस प्रतियोगिता हेतु व्यक्तिगत रूप से अथवा तीन चार के समूह में शोध प्रोजेक्ट कर सकते हैं। प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता की एक केन्द्रीय थीम तथा उस पर आधारित उपथीम होती है जिन पर बच्चे अपने प्रोजेक्ट कर सकते हैं।
इसके निर्धारित उद्देश्य निम्नांकित हैं-
*. बाल वैज्ञानिकों को अपनी नैसर्गिक जिज्ञासा के समाधान के लिए फोरम प्रदान करना तथा खुले सिरे की समस्याओं पर प्रयोगों द्वारा सृजनात्मकता की पिपासा के शमन के लिए मंच प्रदान करना;
*. यह अनुभव देना कि विज्ञान आपके आसपास है तथा आप अपनी अधिगम प्रक्रिया को अपने पड़ोस के भौतिक और सामाजिक पर्यावरण से संबंधित करके बहुत सारी समस्याओं को हल करने के साथ साथ ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।
*. पूरे देश में बच्चों को देश के भविष्य को दृष्टिमान करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा संवेदनशील व उत्तरदायी नागरिकों की पीढ़ी के निर्माण में सहायता करना।
*. बच्चों में प्रेक्षण लेने, आँकड़ों का संग्रहण, प्रयोग व विश्लेषण करके निष्कर्षों तक पहुँचने और अपने निष्कर्षों को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया से वैज्ञानिक विधि को सीखने की क्रिया तथा वैज्ञानिक प्रकृति (temperament) उद्दीप्त करना।
विस्तृत जानकारी के लिए परियोजना अधिकारी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, राजस्थान सरकार, मिनी सचिवालय, बनीपार्क, जयपुर अथवा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय उदयपुर/ जोधपुर/ बीकानेर/ कोटा से संपर्क कर सकते हैं।
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