19 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस संपन्न, पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने भी की बच्चों से बातचीत
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग राजस्थान सरकार और भारत सरकार तथा जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में 19 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन दिनांक 27 से 31 दिसंबर तक जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम का आगाज एक दिन पूर्व दिनांक 26 दिसंबर को विज्ञान संचेतना रैली के साथ हुआ जो अमर जवान ज्योति से प्रारंभ हुई तथा अंबेडकर सर्किल, जनपथ होती हुई स्टेच्यू सर्किल पहुंची। यहां बच्चों ने मोमबत्तियां प्रज्ज्वलित की तथा बैंड की स्वर लहरियों के साथ विज्ञान गीत गाकर संपूर्ण वातावरण को विज्ञानमय किया।
राजस्थान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा एवं जयपुर महापौर श्रीमती ज्योति खण्डेलवाल ने अमर जवान ज्योति पर झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। रैली में देश भर से आए बाल वैज्ञानिक "विज्ञान की गति, देश की प्रगति/ विज्ञान विकास है, यह नहीं विनाश है/ विज्ञान प्रौद्योगिकी आया, ज्ञान और शांति लाया" जैसे विज्ञान के विकास से संबंधित नारे लगाते हुए तथा तख्तियां लेकर चल रहे थे। रैली में तीन हजार से अधिक स्कूली बच्चे शामिल हुए। इस बाल विज्ञान कांग्रेस का सफर 1990 में ग्वालियर से प्रयोग के रूप में शुरू हुआ था तथा 1993 में प्रथम बार नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया।
राजस्थान के राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल ने 26 दिसंबर को जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जगतपुरा में 19वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री विलास राव देशमुख एवं प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा थे। पांच दिवसीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के बाद विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। इस बाल विज्ञान कांग्रेस में भारत के सभी प्रांतों के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, आस्ट्रेलिया सहित 12 देशों के विद्यार्थी भी शामिल हुए। भूमि संसाधन व समृद्धि के लिए प्रयोग करें, भविष्य के लिए बचाएं विषय पर आधारित इस बाल विज्ञान कांग्रेस में बच्चों ने अपनी शोध प्रायोजनाएं प्रस्तुत की तथा उन्हें देश भर प्रसिद्ध वैज्ञानिकों से भी बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ। पांच दिन तक चली इस कांग्रेस में बच्चों की शोध के प्रस्तुतिकरण सहित 19 प्रकार की गतिविधियां आयोजित हुई। इसमें 28 व 29 दिसंबर, 2011 भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र मुंबई की ओर से बाल वैज्ञानिकों की एक लिखित क्विज आयोजित की गई।
इस बाल विज्ञान कांग्रेस के अंतिम दिन पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी करीब डेढ़ घंटे तक बाल वैज्ञानिकों से रूबरू हुए तथा उनसे चर्चा की। बच्चों के साथ बातचीत करते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि परिश्रम के बल पर कोई भी बच्चा अच्छा वैज्ञानिक बन सकता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक सीवी रमन और अलबर्ट आइंस्टीन की पारिवारिक पृष्ठभूमि मजबूत नहीं होने के बावजूद वे अपने परिश्रम के बलबूते नोबल पुरस्कार से सम्मानित हुए। यहां उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल विकास की प्रक्रिया पर जोर देते हुए जल, भूमि प्रबंधन एवं रीसाइकिलिंग की आवश्यकता जताई और कहा कि प्रकृति से हमें जो मिला है उसका प्रबंधन नितांत आवश्यक है। भू संसाधनों व धरती के बेहतर प्रबंधन के बारे में उन्होंने कहा कि यदि दुनिया का प्रत्येक नागरिक उत्तर अमेरिकी नागरिकों की तरह रहने लगे तो छह पृथ्वियों की आवश्यकता होगी। उत्तर अमरीका का नागरिक लगभग 10 हेक्टेयर भूमि का उपयोग करता है जबकि भारत में यह आंकड़ा तकरीबन 1.6 हेक्टेयर है। सबके विकास के लिए विज्ञान के उपयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान को आम लोगों खासकर ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों की जरूरतों पर भी ध्यान देना चाहिए। विज्ञान ने विश्व को बहुत कुछ दिया है तथा ब्रम्हांड के रहस्य भी खगोल विज्ञान के कारण ही उजागर हुए हैं। "देश के विकास में शिक्षक कैसे अपनी भूमिका निभा सकते हैं" इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे जो शिक्षक मिलें, वे तो आज अपवाद है, लेकिन हर स्कूल में ऎसे कुछ शिक्षक जरूर होते हैं, जो बच्चों को सही मार्ग दिखाते हैं और उनकी उड़ान को पंख लगाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को सही दिशा में प्रेरित करने में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने गुरू सुब्रह्मण्यम अय्यर को याद करते हुए डॉ कलाम ने बताया कि जब वे 10 वर्ष के थे तब उनके शिक्षक ने पक्षियों के उड़ने की प्रक्रिया पहले चित्रांकन से समझाई तथा फिर स्कूल से बाहर समुद्र के किनारे ले जाकर उसे और अधिक स्पष्ट किया। उसी समय मेरे मन में भी उड़ान की प्रेरणा मिली तथा मैंने तय किया कि मुझे भी उड़ना है। मैंने अपने गुरू की प्रेरणा से ही बाद में विज्ञान का उच्च अध्ययन किया तथा एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद तो जैसे मेरे पंख लग गए तथा मैं पक्षी की तरह उड़ने लगा। उन्होंने बाल वैज्ञानिकों से कहा कि वे भी ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख लगाएं। एक बच्चे उनसे पूछा कि मैं अदृश्य मिसाइल बनाना चाहता हूं। क्या यह संभव है? डॉ कलाम ने इसके उत्तर में कहा कि पहले उड़ान कल्पनाओं में ही संभव थी, लेकिन राइट बंधुओं ने हवाई जहाज का आविष्कार कर इस कल्पना को संभव किया। इसलिए असंभव कुछ भी नहीं है।
डॉ. कलाम ने कहा कि बच्चे उन्हें अपना सवाल एपीजे एट द रेट अब्दुल कलाम डॉट कॉम पर मेल कर सकते हैं। उनके प्रत्येक सवाल का मैं जवाब दूँगा।
बाल विज्ञान कांग्रेस के इस अवसर पर गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री एए खान, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा भी उपस्थित थे।
राजस्थान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा एवं जयपुर महापौर श्रीमती ज्योति खण्डेलवाल ने अमर जवान ज्योति पर झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। रैली में देश भर से आए बाल वैज्ञानिक "विज्ञान की गति, देश की प्रगति/ विज्ञान विकास है, यह नहीं विनाश है/ विज्ञान प्रौद्योगिकी आया, ज्ञान और शांति लाया" जैसे विज्ञान के विकास से संबंधित नारे लगाते हुए तथा तख्तियां लेकर चल रहे थे। रैली में तीन हजार से अधिक स्कूली बच्चे शामिल हुए। इस बाल विज्ञान कांग्रेस का सफर 1990 में ग्वालियर से प्रयोग के रूप में शुरू हुआ था तथा 1993 में प्रथम बार नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया।
राजस्थान के राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल ने 26 दिसंबर को जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जगतपुरा में 19वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री विलास राव देशमुख एवं प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा थे। पांच दिवसीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के बाद विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। इस बाल विज्ञान कांग्रेस में भारत के सभी प्रांतों के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, आस्ट्रेलिया सहित 12 देशों के विद्यार्थी भी शामिल हुए। भूमि संसाधन व समृद्धि के लिए प्रयोग करें, भविष्य के लिए बचाएं विषय पर आधारित इस बाल विज्ञान कांग्रेस में बच्चों ने अपनी शोध प्रायोजनाएं प्रस्तुत की तथा उन्हें देश भर प्रसिद्ध वैज्ञानिकों से भी बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ। पांच दिन तक चली इस कांग्रेस में बच्चों की शोध के प्रस्तुतिकरण सहित 19 प्रकार की गतिविधियां आयोजित हुई। इसमें 28 व 29 दिसंबर, 2011 भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र मुंबई की ओर से बाल वैज्ञानिकों की एक लिखित क्विज आयोजित की गई।
इस बाल विज्ञान कांग्रेस के अंतिम दिन पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी करीब डेढ़ घंटे तक बाल वैज्ञानिकों से रूबरू हुए तथा उनसे चर्चा की। बच्चों के साथ बातचीत करते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि परिश्रम के बल पर कोई भी बच्चा अच्छा वैज्ञानिक बन सकता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक सीवी रमन और अलबर्ट आइंस्टीन की पारिवारिक पृष्ठभूमि मजबूत नहीं होने के बावजूद वे अपने परिश्रम के बलबूते नोबल पुरस्कार से सम्मानित हुए। यहां उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल विकास की प्रक्रिया पर जोर देते हुए जल, भूमि प्रबंधन एवं रीसाइकिलिंग की आवश्यकता जताई और कहा कि प्रकृति से हमें जो मिला है उसका प्रबंधन नितांत आवश्यक है। भू संसाधनों व धरती के बेहतर प्रबंधन के बारे में उन्होंने कहा कि यदि दुनिया का प्रत्येक नागरिक उत्तर अमेरिकी नागरिकों की तरह रहने लगे तो छह पृथ्वियों की आवश्यकता होगी। उत्तर अमरीका का नागरिक लगभग 10 हेक्टेयर भूमि का उपयोग करता है जबकि भारत में यह आंकड़ा तकरीबन 1.6 हेक्टेयर है। सबके विकास के लिए विज्ञान के उपयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान को आम लोगों खासकर ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों की जरूरतों पर भी ध्यान देना चाहिए। विज्ञान ने विश्व को बहुत कुछ दिया है तथा ब्रम्हांड के रहस्य भी खगोल विज्ञान के कारण ही उजागर हुए हैं। "देश के विकास में शिक्षक कैसे अपनी भूमिका निभा सकते हैं" इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे जो शिक्षक मिलें, वे तो आज अपवाद है, लेकिन हर स्कूल में ऎसे कुछ शिक्षक जरूर होते हैं, जो बच्चों को सही मार्ग दिखाते हैं और उनकी उड़ान को पंख लगाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को सही दिशा में प्रेरित करने में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने गुरू सुब्रह्मण्यम अय्यर को याद करते हुए डॉ कलाम ने बताया कि जब वे 10 वर्ष के थे तब उनके शिक्षक ने पक्षियों के उड़ने की प्रक्रिया पहले चित्रांकन से समझाई तथा फिर स्कूल से बाहर समुद्र के किनारे ले जाकर उसे और अधिक स्पष्ट किया। उसी समय मेरे मन में भी उड़ान की प्रेरणा मिली तथा मैंने तय किया कि मुझे भी उड़ना है। मैंने अपने गुरू की प्रेरणा से ही बाद में विज्ञान का उच्च अध्ययन किया तथा एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद तो जैसे मेरे पंख लग गए तथा मैं पक्षी की तरह उड़ने लगा। उन्होंने बाल वैज्ञानिकों से कहा कि वे भी ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख लगाएं। एक बच्चे उनसे पूछा कि मैं अदृश्य मिसाइल बनाना चाहता हूं। क्या यह संभव है? डॉ कलाम ने इसके उत्तर में कहा कि पहले उड़ान कल्पनाओं में ही संभव थी, लेकिन राइट बंधुओं ने हवाई जहाज का आविष्कार कर इस कल्पना को संभव किया। इसलिए असंभव कुछ भी नहीं है।
डॉ. कलाम ने कहा कि बच्चे उन्हें अपना सवाल एपीजे एट द रेट अब्दुल कलाम डॉट कॉम पर मेल कर सकते हैं। उनके प्रत्येक सवाल का मैं जवाब दूँगा।
बाल विज्ञान कांग्रेस के इस अवसर पर गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री एए खान, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा भी उपस्थित थे।
itni important jankari ke sath Rajasthan se participate karne wale bachcho k nam bhi de to bahut achcha rahega
ReplyDeleteमेरी जानकारी में नहीं है। आप शायद इसमें प्रतिभागी की गाइड थे। कृपया यह जानकारी आप ही बता दें तो कृपा रहेगी।
ReplyDeleteऔर हाँ रश्मि जी। ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार।
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