Skip to main content

समसामयिक घटना चक्र-
वर्ष 2012 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा-
राजस्थान के भी सात रत्न पुरस्कृत होंगे

वर्ष 2012 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। सूची इस प्रकार है-

पद्म विभूषण पुरस्कार

1. केजी सुब्रमण्यन-
कला-पेंटिंग एवं मूर्तिकला

2. दिवंगत मारियो डी मिरांडा -
कला-कार्टूनिस्ट

3. दिवंगत भूपेन हजारिका-
कला-गायन

4. कांतिलाल हस्तिमल संचेती-
मेडिसिन-आथरेपेडिक्स

5. टीवी राजेश्वर-
सिविल सेवा


पद्म भूषण पुरस्कार

1. शबाना आजमी
- कला-सिनेमा

2. खालिद चौधरी-
कला-थियेटर

3. जतिन दास-
कला-पेंटिंग

4. पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता-
कला-वाद्य संगीत-सरोद

5. धर्मेन्द्र-
कला-सिनेमा

6. टी विश्वनाथन गोपालकृष्णन-
कला- शास्त्रीय गायन एवं वाद्य संगीत

7. मीरा नायर-
कला- सिनेमा

8. एमएस गोपालकृष्णन-
कला- वाद्य संगीत- वायलिन

9. अनीश कपूर-
कला- मूर्तिकला- इंग्लैंड

10. सत्य नारायण गोयनका-
समाज सेवा

11. न्यायमूर्ति पी चंद्रशेखर राव-
सार्वजनिक मसले- जर्मनी

12. जॉर्ज योंग बून येओ-
सार्वजनिक मसले- सिंगापुर

13. प्रो. शशिकुमार-
विज्ञान इंजीनियरिंग

14. डॉ. एमएस रघुनाथन-
विज्ञान इंजीनियरिंग

15. सुबैया मुरुगप्पा वेल्लयन-
व्यापार उद्योग

16. बालासुब्रह्मण्यन मुथूरमण-
व्यापार उद्योग

17. डॉ. सुरेश एच आडवाणी-
चिकित्सा- ऑनकोलॉजी

18. डॉ. नोशीर एच वाडिया-
चिकित्सा- न्यूरोलॉजी

19. डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी-
चिकित्सा- कार्डियोलॉजी

20. प्रो. शांताराम बलवंत मजूमदार-
साहित्य शिक्षा

21. प्रो. विद्या देहेजिय-
साहित्य शिक्षा-अमेरिका

22. प्रो. अरविंद पानगड़िया-
साहित्य शिक्षा- अमेरिका

23. डॉ. जोस पेरेरिया-
साहित्य शिक्षा- अमेरिका

24. डॉ. होमी के भाभा-
साहित्य शिक्षा- ब्रिटेन

25. एन विट्टल-
सिविल सेवा

26. माता प्रसाद-
सिविल सेवा

27. रोनेन सेन-
सिविल सेवा


पद्मश्री पुरस्कार

1. वनराज भाटिया-
कला- संगीत

2. जिया फरीदुद्दीन डागर-
कला-संगीत-गायन

3. एन आई देवी-
कला-संगीत

4. रामचंद्र एस हेगड़े चित्तानी-
कला- यक्षगान नृत्य नाटिका

5. मोतीलाल केम्मू-
कला- प्लेराइट

6. शाहिद परवेज खान-
कला- वाद्य संगीत- सितार

7. मोहन लाल कुम्हार-
कला-टेराकोटा

8. साकर खान मांगणियार-
कला- राजस्थानी लोक संगीत

9. जाय माइकल-
कला- थियेटर

10. डॉ. मिनाती मिश्रा-
कला- भारतीय शास्त्रीय नृत्य-ओडिसी

11. नातेसन मुत्थुस्वामी-
कला- थियेटर

12. आर नागरथनम्मा-
कला- थियेटर

13. कलामंडल सिवान नम्बूतिरी-
कला- भारतीय शास्त्रीय नृत्य

14. यमुनाबाई वाइकर-
कला- भारतीय लोक संगीत- लावनी

15. सतीश अलेकर- कला- प्लेराइट

16. पंडित गोपाल प्रसाद दुबे-
कला- छाउ नृत्य

17. रमाकांत गुंदेचा और उमाकांत गुंदेचा-
कला- भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन

18. अनूप जलोटा-
कला- भारतीय शास्त्रीय संगीत-गायन

19. सोमन नायर प्रियदर्शन-
कला- सिनेमा-निर्देशन

20. सुनील जानाह-
(कला- फोटोग्राफी)

21. श्रीमती लैला तैयबजी-
कला- हस्तशिल्प

22. विजय शर्मा-
कला-पेंटिंग

23. श्रीमती शमशाद बेगम-
समाज सेवा

24. रीता देवी-
समाज सेवा

25. डॉ. पी के गोपाल-
समाजसेवा

26. फूलबसन बाई यादव-
समाज सेवा

27. डॉ. जी मुनिरत्नम-
समाज सेवा

28. निरंजन प्राणशंकर पांडया-
समाज सेवा

29. डॉ. उमा टूली-
समाज सेवा

30. सतपाल वर्मा-
समाज सेवा

31. श्रीमती बिन्नी यांगा:-
समाज सेवा

32. एजदी हिरजी मालेगम-
सार्वजनिक मामले

33. प्रवीन एच पारेख-
सार्वजनिक मामले

34. डॉ. वी आदिमूर्ति-
विज्ञान इंजीनियरिंग

35. डॉ. कृष्ण लाल चड्ढा-
विज्ञान इंजीनियरिंग-कृषि

36. प्रो वीरेंदर सिंह चौहान-
विज्ञान इंजीनियरिंग

37. रामेश्वर नाथ कौल बामजई-
विज्ञान इंजीनियरिंग

38. विजय पाल सिंह-
विज्ञान इंजीनियरिंग-कृषि अनुसंधान

39. डॉ. लोकेश कुमार सिंघल-
विज्ञान इंजीनियरिंग

40. डॉ. यग्नस्वामी सुंदरराजन-
विज्ञान इंजीनियरिंग

41. प्रो जगदीश शुक्ला-
विज्ञान इंजीनियरिंग-अमेरिका

42. सुश्री प्रिया पाल-
व्यापार उद्योग

43. शोजी शिबा-
व्यापार उद्योग- जापान

44. गोपीनाथ पिल्लै-
व्यापार उद्योग- सिंगापुर।

45. अरुण हस्तिमल फिरोदिया-
व्यापार उद्योग

46. स्वाति पिरामल-
व्यापार उद्योग

47. प्रो महदी हसन-
चिकित्सा-शरीर विज्ञान

48. डॉ. विश्वनाथन मोहन-
चिकित्सा- मधुमेह विशेषज्ञ

49. डॉ. जे. हरीन्द्रन नायर-
चिकित्सा-आयुर्वेद

50. डॉ. वल्लारपुरम एस नटराजन-
चिकित्सा

51. डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह-
चिकित्सा-कैंसर विशेषज्ञ।

52. डॉ. श्रीनिवास वैश्य-
चिकित्सा- स्वास्थ्य रक्षा

53. डॉ. नित्य आनंद-
चिकित्सा- औषधि अनुसंधान

54. दिवंगत डॉ. जुगल किशोर-
चिकित्सा-होम्योपैथी

55. डॉ. मुकेश बत्रा-
चिकित्सा- होम्योपैथी

56. डॉ. एबरहार्ड फिशर-
साहित्य शिक्षा (स्विटजरलैंड)

57. केदार गुरूंग-
साहित्य शिक्षा

58. सुरजीत सिंह पातर-
साहित्य शिक्षा

59. विजय दत्त श्रीधर-
साहित्य शिक्षा-पत्रकारिता

60. इरविन अल्लान सीली-
साहित्य शिक्षा

61. सुश्री गीता धर्मराजन-
साहित्य शिक्षा।

62. सच्च्चिदानंद सहाय-
साहित्य शिक्षा

63. श्रीमती पेपिता सेठ-
साहित्य शिक्षा

64. डॉ. राल्टे एल थनमाविया-
साहित्य शिक्षा

65. अजीत बजाज-
खेल-स्कीइंग

66. श्रीमती झूलन गोस्वामी-
खेल- महिला क्रिकेट

67. ज़फ़र इकबाल-
खेल-हॉकी

68. देवेंद्र झांझड़िया-
खेल- एथलेटिक्स (पैराओलंपिक में)

69. लिंबा राम-
खेल-तीरंदाजी

70. सैयद मुहम्मद आरिफ-
खेल- बैडमिंटन

71. रवि चतुर्वेदी-
खेल-कमेंटरी

72. प्रभाकर वैद्य-
खेल-शारीरिक शिक्षा

73. टी वेंकटपति रेड्डियार-
बागवानी

74. डॉ. के उल्लास कारंत-
वन्य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण

75. के पड्डाया-
पुरातत्व

76. स्वप्न गुहा-
सिरेमिक्स

77. डॉ. कार्तिकेय वी साराभाई-
पर्यावरण शिक्षा

नोट- राजस्थान से पुरस्कृत होने वालों का विवरण पूर्व की पोस्ट में दिया गया है।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...