चार तहसीलों में आधुनिक संयंत्रों से भू-अभिलेख सर्वे के लिए मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति
(राजस्थान समसामयिक सामान्य ज्ञान)
राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत चयनित चार जिलों बाड़मेर, भीलवाड़ा, जोधपुर एवं टौंक जिलों की एक-एक तहसील में आधुनिक यंत्रों से भू-अभिलेखों का सर्वे कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को दिनांक 5 जनवरी को स्वीकृति प्रदान की। इसके तहत भू-प्रबंध विभाग के माध्यम से बाहरी एजेन्सी से आधुनिक यंत्रों से सर्वे कार्य करवाने की भी स्वीकृति दी गई है।
कार्यक्रम के तहत शामिल तहसील निम्नांकित है-
*. गुढ़ामलानी (बाड़मेर)
*. बनेड़ा (भीलवाड़ा)
*. बिलाड़ा (जोधपुर)
*. उणियारा (टोंक)
राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत निम्नांकित कार्य करना शामिल किया गया है-
> आधुनिक रिकार्ड रूम की स्थापना।
> सभी तहसील मुख्यालयों को इंटरनेट से जोड़ना।
> सभी पुराने रिकार्ड की स्कैनिंग कर इंटरनेट पर उपलब्ध कराना।
> सभी खसरों का आधुनिक सर्वे उपकरणों यथा डी.जी.पी.टी. एवं ई.टी.एस. से सर्वे कराना।
इन कार्यों में सर्वे को छोड़ कर शेष कार्य शुरू हो चुके हैं।
इसके तहत टेबल प्लान के स्थान पर ई.टी.एस. एवं डी.जी.पी.एस. उपकरणों से सर्वे करवाए जाएँगे। ई.टी.एस. से मौके के अनुसार प्रत्येक खसरे को डिजीटली नापा जाएगा जो मानवीय त्रुटि से रहित होगा। इस डिजीटल डाटा पर लोंगीट्यूड एवं लेटीट्यूड से जियो-टेफरेंस किया जा सकेगा एवं इसके खेत एवं खसरा जियो कोर्डिनेट परमानेंट होंगे, जो यू.टी.एस. प्रोजेक्शन पर होंगे।
खेत एवं खसरे की वर्तमान स्थिति एवं पूर्व के नक्शे में क्षेत्रफल या आकृति में यदि अंतर है तो खाताधारक काश्तकार को समझाया जाएगा, जिससे जमाबंदी में सही अंकन हो सकेगा। यदि क्षेत्रफल का अन्तर 5 प्रतिशत से अधिक हो तो मौके पर ग्राम स्तरीय सलाहकार समिति के माध्यम से समाधान का प्रयास कर स्थायी समाधान निकाला जाएगा। काश्तकार (खाता धारक) से सर्वे के साथ-साथ पर्चा नोटिस मय नक्शा उपलब्ध कराया जायेगा। इस सर्वे के लिए भू-प्रबंध विभाग को 70 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2015-16 तक प्रदेश के सभी जिलों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को दिनांक 5 जनवरी को स्वीकृति प्रदान की। इसके तहत भू-प्रबंध विभाग के माध्यम से बाहरी एजेन्सी से आधुनिक यंत्रों से सर्वे कार्य करवाने की भी स्वीकृति दी गई है।
कार्यक्रम के तहत शामिल तहसील निम्नांकित है-
*. गुढ़ामलानी (बाड़मेर)
*. बनेड़ा (भीलवाड़ा)
*. बिलाड़ा (जोधपुर)
*. उणियारा (टोंक)
राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत निम्नांकित कार्य करना शामिल किया गया है-
> आधुनिक रिकार्ड रूम की स्थापना।
> सभी तहसील मुख्यालयों को इंटरनेट से जोड़ना।
> सभी पुराने रिकार्ड की स्कैनिंग कर इंटरनेट पर उपलब्ध कराना।
> सभी खसरों का आधुनिक सर्वे उपकरणों यथा डी.जी.पी.टी. एवं ई.टी.एस. से सर्वे कराना।
इन कार्यों में सर्वे को छोड़ कर शेष कार्य शुरू हो चुके हैं।
इसके तहत टेबल प्लान के स्थान पर ई.टी.एस. एवं डी.जी.पी.एस. उपकरणों से सर्वे करवाए जाएँगे। ई.टी.एस. से मौके के अनुसार प्रत्येक खसरे को डिजीटली नापा जाएगा जो मानवीय त्रुटि से रहित होगा। इस डिजीटल डाटा पर लोंगीट्यूड एवं लेटीट्यूड से जियो-टेफरेंस किया जा सकेगा एवं इसके खेत एवं खसरा जियो कोर्डिनेट परमानेंट होंगे, जो यू.टी.एस. प्रोजेक्शन पर होंगे।
खेत एवं खसरे की वर्तमान स्थिति एवं पूर्व के नक्शे में क्षेत्रफल या आकृति में यदि अंतर है तो खाताधारक काश्तकार को समझाया जाएगा, जिससे जमाबंदी में सही अंकन हो सकेगा। यदि क्षेत्रफल का अन्तर 5 प्रतिशत से अधिक हो तो मौके पर ग्राम स्तरीय सलाहकार समिति के माध्यम से समाधान का प्रयास कर स्थायी समाधान निकाला जाएगा। काश्तकार (खाता धारक) से सर्वे के साथ-साथ पर्चा नोटिस मय नक्शा उपलब्ध कराया जायेगा। इस सर्वे के लिए भू-प्रबंध विभाग को 70 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2015-16 तक प्रदेश के सभी जिलों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
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