1. मशहूर सरोद वादक पद्म विभूषण प्राप्त अमजद अली खान को उनकी उपलब्धियों के लिए मल्लिकार्जुन भीमरायप्पा मंसूर पुरस्कार 2011 से धारवाड़ (कर्नाटक) में सम्मानित किया गया है। प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी गायक मल्लिकार्जुन मंसूर की स्मृति में दिए जाने वाले इस पुरस्कार की शुरुआत कर्नाटक सरकार द्वारा की गई थी जिसके तहत एक लाख रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। श्री खान ने यह पुरस्कार मल्लिकार्जुन मंसूर के पुत्र राजशेखर मंसूर ग्रहण किया तथा उन्होंने मंसूर से आग्रह किया कि वह अपने पिता की विरासत को बनाए रखें।
2. बोधगया (बिहार) में आयोजित 10 दिवसीय कालचक्र पूजा के चौथे दिन तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को बुधवार को महात्मा गांधी शांति एवं सदभावना अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2003 से प्रारंभ किए गए पुरस्कार को गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पौत्री इला गांधी ने दलाई लामा को बौद्धगया के कालचक्र मैदान में देकर सम्मानित किया। गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष इला गांधी स्वयं इस पुरस्कार को प्रदान करने के लिए दक्षिण अफ्रीका से बोध गया आई थी। राष्ट्रपिता द्वारा प्रारंभ किए गए पत्र इंडियन ओपनियन के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर महात्मा गांधी के नाम पर इस पुरस्कार की शुरुआत 2003 में की गई थी। दलाई लामा को यह पुरस्कार नवंबर 2011 में डरबन में प्रदान किया जाना था, लेकिन वीजा संबंधी दिक्कतों के कारण वे वहाँ नहीं जा सके थे इस कारण यह सम्मान उन्हें यहाँ आकर दिया गया।
2. बोधगया (बिहार) में आयोजित 10 दिवसीय कालचक्र पूजा के चौथे दिन तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को बुधवार को महात्मा गांधी शांति एवं सदभावना अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2003 से प्रारंभ किए गए पुरस्कार को गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पौत्री इला गांधी ने दलाई लामा को बौद्धगया के कालचक्र मैदान में देकर सम्मानित किया। गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट की अध्यक्ष इला गांधी स्वयं इस पुरस्कार को प्रदान करने के लिए दक्षिण अफ्रीका से बोध गया आई थी। राष्ट्रपिता द्वारा प्रारंभ किए गए पत्र इंडियन ओपनियन के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर महात्मा गांधी के नाम पर इस पुरस्कार की शुरुआत 2003 में की गई थी। दलाई लामा को यह पुरस्कार नवंबर 2011 में डरबन में प्रदान किया जाना था, लेकिन वीजा संबंधी दिक्कतों के कारण वे वहाँ नहीं जा सके थे इस कारण यह सम्मान उन्हें यहाँ आकर दिया गया।
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