जैसलमेर में विश्वविख्यात मरु महोत्सव का आगाज दिनांक 5 फरवरी 2012 को लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में मंगला आरती व भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। सैलानियों की भीड़ और लोक संगीत की धुनों के बीच निकली आकर्षक शोभायात्रा में देश-प्रदेश से आए लोक कलाकारों की प्रस्तुति ने बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच लिया। पहले दिन की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता मिस्टर डेजर्ट में पोकरण के शशि कुमार ने खिताब जीता जबकि मिस मूमल का खिताब जैसलमेर की रूपम खत्री को मिला। जैसलमेर के प्रभारी मंत्री हेमाराम चौधरी ने चंग व ढोल की थाप बजाकर इस उत्सव का उद्घाटन किया तथा श्री चौधरी ने गडसीसर सरोवर पर हरी झंडी दिखाकर शोभायात्रा को रवाना किया। शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई शोभा यात्रा पूनम सिंह स्टेडियम पहुंची। यहां मूमल-महेंद्रा, मूंछ प्रतियोगिता, देसी-विदेशी साफा बांधों प्रतियोगिता, मिस मूमल प्रतियोगिता और मि. डेजर्ट प्रतियोगिताएं हुईं।
मरु महोत्सव के दूसरे दिन 6 फरवरी को भी स्वर्णनगरी जैसलमेर में प्रतियोगिताओं की धूम रही। दिन के कार्यक्रमों में देदानसर मैदान में रेगिस्तान के जहाज ऊँट प्रतियोगिताएं व पारंपरिक खेल हुए। सबसे रोचक प्रतियोगिता रस्साकसी की रही। इसमें इस बार भी विदेशी पुरुष व महिलाएं, भारतीयों पर हावी रहे। दोनों ही मुकाबलों में विदेशियों ने बाजी मारी।
पुरुष वर्ग में जहां विदेशियों ने 2-1 के अंतर से मात दी तो महिलाओं की प्रतियोगिता में भी यही हाल रहा। ऊँट श्रंगार व शान-ए-मरुधरा प्रतियोगिता ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। पहली बार खेले गए कबड्डी मैच में जैसलमेर की टीम ने गंगानगर की टीम को शिकस्त दी। इस दौरान देदानसर मैदान में हजारों की तादाद में देसी-विदेशी पर्यटक उपस्थित थे। दूसरे दिन के कार्यक्रमों में ऊँट पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल ने जीत दर्ज की। शाम को पूनमसिंह स्टेडियम में सीमा सुरक्षा बल के ऊंटों ने रोमांचक करतब दिखाकर सैलानियों को अचंभित कर दिया। बीएसएफ के प्रशिक्षित ऊँटों पर बैठे जवानों ने विभिन्न करतब दिखाए। इस दौरान विश्व की एक मात्र कैमल माउंटेन बैंड की धुनों पर प्रशिक्षित ऊँटों के नृत्य ने तालियां बटोरी। सांस्कृतिक संध्या में मुख्य अतिथि संसदीय सचिव जयदीप डूडी एवं जिला कलेक्टर एम. पी. स्वामी ने पद्मश्री प्राप्त होने पर लोक कलाकार साकर खां को शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। साकर खां पश्चिमी राजस्थान के पहले ऐसे मांगणियार लोक कलाकार है, जिन्हें पद्मश्री का गौरव प्राप्त हुआ है।
कार्यक्रम की शुरुआत जैसलमेर जिले
में कलाकारों के गाँव के रूप में मशहूर गाँव हमीरा के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार पद्मश्री साकर खा ने कमायचा वादन किया तथा माण्ड गायन ‘पधारो म्हारे देस’ की सुमधुर प्रस्तुति दी, जिनके साथ सुरणई पर संगत पेपे खां ने की।
जयपुर की कथक नृत्य अकादमी की अभिलाषा जैन के निर्देशन में बालिका कलाकारों ने कथक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति दी। जैसलमेर जिले के बइया गाँव निवासी लोक कलाकार अनवार खाँ ने राजस्थानी लोकगीतों की बारिश करते हुये समा बांधा। उनके लोक गीत ‘दमादम मस्त कलंदर’ ने खूब दाद पायी।
मूलत: जोधपुर निवासी सरोद वादक सुरेश व्यास ने सरोद वादन से रसिकों को को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसलमेर जिले के मूलसागर निवासी अन्तरराष्ट्रीय अलगोजा वादक तगाराम भील की राजस्थानी लोक धुनों की प्रस्तुति से माहौल में राजस्थानी माधुर्य का सागर प्रवाहित हुआ।
उदयपुर के मशहूर गजल गायक डा. प्रेम भण्डारी ने गजले पेश की और कथक केन्द्र जयपुर की ओर से पेश पणिहारी नृत्य भी खूब सराहा गया।
अन्तर्राष्ट्रीय मरु महोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रमों का समापन दिनांक 7 फरवरी को रात्रि में सम के धोरों में हुआ, जहाँ पर हजारों देशी विदेशी सैलानियों की उपस्थिति में सुमधुर सांस्कृतिक संध्या तथा आकर्षक आतिशबाजी का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या के प्रारंभ में पाली जिले के पादरला की गंगा देवी एवं दल ने तेरहताली भाव नृत्य प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले जैसलमेर जिले के बरणा गांव के अन्तर्राष्ट्रीय लोक कलाकार गाजी खां एवं उनके साथी कलाकारों ने डेजर्ट सिफनी में विभिन्न लोक वाद्ययंत्रों की लय ताल व नादों का परिचय कराते हुए ‘दमादम मस्त कलंदर एवं नींबूडा गीत सहित अपनी मनभावन प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ब्रज की तृप्ति द्विवेदी एवं अन्य कलाकारों ने राधा को रिझाने के लिए कृष्ण द्वारा किए गए मयूर नृत्य की प्रस्तुति देते हुए द्वापर युग का आभास कराया। मध्यप्रदेश के अरविन्द यादव एवं साथी कलाकारों ने नवरात्रि पर देवी आराधना से जुड़े कुमारिकाओं के नौरता नृत्य की भावपूर्ण झांकी पेश की। सर पर ज्योति कलश लिए कुमारिकाओं ने बाँसुरी वादन पर मनमोहक नृत्य पेश किया।
उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद के मशहुर लोकगायक फौजदारसिंह जौनपुरी ने पौराणिक मिथकों से लेकर सम सामयिक परिवेशीय वीर गाथाओं पर ओजस्वी लोक गीत प्रस्तुत किया और तलवार की कलाबाजियां दिखाते हुए वीर रस का दरिया बहाया।
इस केन्द्र से ही संबंधित हरियाणा के प्रसिद्ध लोक कलाकार राजेश गांगुली ने फाग घूमर नृत्य एवं लट्ठमार होली नृत्य पेश कर सम के धोरों पर फागुनी रसों का सागर उँडेला। जोधपुर की श्रीमती सुवा सपेरा एवं दल ने कालबेलिया नृत्य कर अपनी पारंपरिक कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
डडाड के रामप्रसाद शर्मा एवं साथियों ने दो बाँसुरियों पर सांस्कृतिक धुनों पर लोकनृत्य से समा बांध दिया। दिल्ली की श्रीमती नेहा कसौटिया ने भवई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। बाड़मेर के मशहूर लोक कलाकार पुष्कर प्रदीप ने ‘जंवाई जी पांवणा..’ गीत के बिम्बों का सुन्दर चित्रण इस प्रकार किया कि दर्शक हँसते हँसते लोटपोट हो गए। सांस्कृतिक संध्या के बाद आसमान में आतिशबाजी के सुनहरे रंगों और धमाकों के साथ मरु महोत्सव समाप्त हुआ।
मरु महोत्सव के दूसरे दिन 6 फरवरी को भी स्वर्णनगरी जैसलमेर में प्रतियोगिताओं की धूम रही। दिन के कार्यक्रमों में देदानसर मैदान में रेगिस्तान के जहाज ऊँट प्रतियोगिताएं व पारंपरिक खेल हुए। सबसे रोचक प्रतियोगिता रस्साकसी की रही। इसमें इस बार भी विदेशी पुरुष व महिलाएं, भारतीयों पर हावी रहे। दोनों ही मुकाबलों में विदेशियों ने बाजी मारी।
पुरुष वर्ग में जहां विदेशियों ने 2-1 के अंतर से मात दी तो महिलाओं की प्रतियोगिता में भी यही हाल रहा। ऊँट श्रंगार व शान-ए-मरुधरा प्रतियोगिता ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। पहली बार खेले गए कबड्डी मैच में जैसलमेर की टीम ने गंगानगर की टीम को शिकस्त दी। इस दौरान देदानसर मैदान में हजारों की तादाद में देसी-विदेशी पर्यटक उपस्थित थे। दूसरे दिन के कार्यक्रमों में ऊँट पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल ने जीत दर्ज की। शाम को पूनमसिंह स्टेडियम में सीमा सुरक्षा बल के ऊंटों ने रोमांचक करतब दिखाकर सैलानियों को अचंभित कर दिया। बीएसएफ के प्रशिक्षित ऊँटों पर बैठे जवानों ने विभिन्न करतब दिखाए। इस दौरान विश्व की एक मात्र कैमल माउंटेन बैंड की धुनों पर प्रशिक्षित ऊँटों के नृत्य ने तालियां बटोरी। सांस्कृतिक संध्या में मुख्य अतिथि संसदीय सचिव जयदीप डूडी एवं जिला कलेक्टर एम. पी. स्वामी ने पद्मश्री प्राप्त होने पर लोक कलाकार साकर खां को शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। साकर खां पश्चिमी राजस्थान के पहले ऐसे मांगणियार लोक कलाकार है, जिन्हें पद्मश्री का गौरव प्राप्त हुआ है।
कार्यक्रम की शुरुआत जैसलमेर जिले
में कलाकारों के गाँव के रूप में मशहूर गाँव हमीरा के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार पद्मश्री साकर खा ने कमायचा वादन किया तथा माण्ड गायन ‘पधारो म्हारे देस’ की सुमधुर प्रस्तुति दी, जिनके साथ सुरणई पर संगत पेपे खां ने की।
जयपुर की कथक नृत्य अकादमी की अभिलाषा जैन के निर्देशन में बालिका कलाकारों ने कथक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति दी। जैसलमेर जिले के बइया गाँव निवासी लोक कलाकार अनवार खाँ ने राजस्थानी लोकगीतों की बारिश करते हुये समा बांधा। उनके लोक गीत ‘दमादम मस्त कलंदर’ ने खूब दाद पायी।
मूलत: जोधपुर निवासी सरोद वादक सुरेश व्यास ने सरोद वादन से रसिकों को को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसलमेर जिले के मूलसागर निवासी अन्तरराष्ट्रीय अलगोजा वादक तगाराम भील की राजस्थानी लोक धुनों की प्रस्तुति से माहौल में राजस्थानी माधुर्य का सागर प्रवाहित हुआ।
उदयपुर के मशहूर गजल गायक डा. प्रेम भण्डारी ने गजले पेश की और कथक केन्द्र जयपुर की ओर से पेश पणिहारी नृत्य भी खूब सराहा गया।
अन्तर्राष्ट्रीय मरु महोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रमों का समापन दिनांक 7 फरवरी को रात्रि में सम के धोरों में हुआ, जहाँ पर हजारों देशी विदेशी सैलानियों की उपस्थिति में सुमधुर सांस्कृतिक संध्या तथा आकर्षक आतिशबाजी का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या के प्रारंभ में पाली जिले के पादरला की गंगा देवी एवं दल ने तेरहताली भाव नृत्य प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले जैसलमेर जिले के बरणा गांव के अन्तर्राष्ट्रीय लोक कलाकार गाजी खां एवं उनके साथी कलाकारों ने डेजर्ट सिफनी में विभिन्न लोक वाद्ययंत्रों की लय ताल व नादों का परिचय कराते हुए ‘दमादम मस्त कलंदर एवं नींबूडा गीत सहित अपनी मनभावन प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ब्रज की तृप्ति द्विवेदी एवं अन्य कलाकारों ने राधा को रिझाने के लिए कृष्ण द्वारा किए गए मयूर नृत्य की प्रस्तुति देते हुए द्वापर युग का आभास कराया। मध्यप्रदेश के अरविन्द यादव एवं साथी कलाकारों ने नवरात्रि पर देवी आराधना से जुड़े कुमारिकाओं के नौरता नृत्य की भावपूर्ण झांकी पेश की। सर पर ज्योति कलश लिए कुमारिकाओं ने बाँसुरी वादन पर मनमोहक नृत्य पेश किया।
उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद के मशहुर लोकगायक फौजदारसिंह जौनपुरी ने पौराणिक मिथकों से लेकर सम सामयिक परिवेशीय वीर गाथाओं पर ओजस्वी लोक गीत प्रस्तुत किया और तलवार की कलाबाजियां दिखाते हुए वीर रस का दरिया बहाया।
इस केन्द्र से ही संबंधित हरियाणा के प्रसिद्ध लोक कलाकार राजेश गांगुली ने फाग घूमर नृत्य एवं लट्ठमार होली नृत्य पेश कर सम के धोरों पर फागुनी रसों का सागर उँडेला। जोधपुर की श्रीमती सुवा सपेरा एवं दल ने कालबेलिया नृत्य कर अपनी पारंपरिक कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
डडाड के रामप्रसाद शर्मा एवं साथियों ने दो बाँसुरियों पर सांस्कृतिक धुनों पर लोकनृत्य से समा बांध दिया। दिल्ली की श्रीमती नेहा कसौटिया ने भवई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। बाड़मेर के मशहूर लोक कलाकार पुष्कर प्रदीप ने ‘जंवाई जी पांवणा..’ गीत के बिम्बों का सुन्दर चित्रण इस प्रकार किया कि दर्शक हँसते हँसते लोटपोट हो गए। सांस्कृतिक संध्या के बाद आसमान में आतिशबाजी के सुनहरे रंगों और धमाकों के साथ मरु महोत्सव समाप्त हुआ।
sir ji aaj hi aapka blog dekha itani achi va satik jankari ke liye sadhuvad.
ReplyDeletemohan suthar jaisalmer.
sadhuvad
ReplyDeletesadhuvad
ReplyDeletesir ji aaj hi aapka blog dekha itani achi va satik jankari ke liye sadhuvad.
ReplyDeletemohan suthar jaisalmer.
धन्यवाद और आभार मोहन जी।
ReplyDelete