"हर घर में इल्म की शमा रोशन करेंगे" के नारे के साथ अपने उद्देश्य को उद्घाटित करते राजस्थान मदरसा बोर्ड का मुख्यालय जयपुर में राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल के झालाना संस्थानिक क्षेत्र के भवन में ही स्थित है।
इसके वर्तमान अध्यक्ष मौलाना मौहम्मद फज्ले-हक़
हैं जिन्हें सरकार द्वारा राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है।
राजस्थान में मदरसा शिक्षा का ऐतिहासिक परिपेक्ष्य:-
मदरसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक शिक्षा के परम्परागत केन्द्र रहे हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे इन मदरसों में तालीम (शिक्षा) हासिल करते रहे हैं। प्रारंभ में दीनी (धार्मिक) तथा दुनियावी दोनों प्रकार की तालीम हुआ करती थी। परन्तु 1857 के पश्चात् उत्पन्न राजनीतिक एवं सामाजिक पारिस्थितियों में ये मदरसे आधुनिक शिक्षा की पहुंच से दूर होते चले गए। नतीजतन इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे केवल दीन की तालीम तक ही सीमित रहे। दीन की तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा की जरूरत एवं अहमियत को आजादी के बाद शिद्दत से महसूस किया जाने लगा। आइन (संविधान) में मुल्क के हर बच्चे को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई है एवं इसमें प्रत्येक शहरी (नागरिक) को विकास के समान अवसर प्रदान करने के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धता जाहिर की गई और जब मुस्लिम समुदाय का शैक्षिक एवं आर्थिक पिछड़ापन उजागर हुआ, तो इन मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा प्रारंभ करने के समाज एवं सरकार के स्तर पर प्रयास होने लगे। इन्हीं प्रयासों की कड़ी में मदरसों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अंन्तर्गत जिन मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम की व्यवस्था नहीं थी, उनमें मदरसा इन्तजामिया (मेनेजमेंट) और समुदाय को प्रेरित कर आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था करने की इच्छा एवं प्रतिबद्धता सरकार द्वारा ज़ाहिर की गई। सरकार एवं समुदाय की इस पहल को देश के कई प्रान्तों में खास तौर से राजस्थान में मुस्लिम समुदाय और मदरसा इन्तजामिया द्वारा सहर्ष तस्लीम किया जाने लगा | 1995 में राजस्थान में लोक जुम्बिश परियोजना के तहत मेवात क्षेत्र के कामां विकास खण्ड में सर्वप्रथम यह मदरसा शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मदरसा शिक्षा कार्यक्रम के इस नवीन एवं अनोखे तजुर्बे का फायदा आम करने के लिए राजस्थान सरकार एवं मुस्लिम समाज के स्तर पर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ हुआ।
मदरसा बोर्ड का गठन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा जनवरी, 2003 में किया गया। उस समय इसमें कुल 1635 मदरसे वक्फ बोर्ड से स्थानांतरित होकर आए। मदरसा बोर्ड के गठन से लेकर अब तक कुल 3025 मदरसों का पंजीकरण किया गया है तथा यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
इसके वर्तमान अध्यक्ष मौलाना मौहम्मद फज्ले-हक़
हैं जिन्हें सरकार द्वारा राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है।
राजस्थान में मदरसा शिक्षा का ऐतिहासिक परिपेक्ष्य:-
मदरसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक शिक्षा के परम्परागत केन्द्र रहे हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे इन मदरसों में तालीम (शिक्षा) हासिल करते रहे हैं। प्रारंभ में दीनी (धार्मिक) तथा दुनियावी दोनों प्रकार की तालीम हुआ करती थी। परन्तु 1857 के पश्चात् उत्पन्न राजनीतिक एवं सामाजिक पारिस्थितियों में ये मदरसे आधुनिक शिक्षा की पहुंच से दूर होते चले गए। नतीजतन इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे केवल दीन की तालीम तक ही सीमित रहे। दीन की तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा की जरूरत एवं अहमियत को आजादी के बाद शिद्दत से महसूस किया जाने लगा। आइन (संविधान) में मुल्क के हर बच्चे को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई है एवं इसमें प्रत्येक शहरी (नागरिक) को विकास के समान अवसर प्रदान करने के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धता जाहिर की गई और जब मुस्लिम समुदाय का शैक्षिक एवं आर्थिक पिछड़ापन उजागर हुआ, तो इन मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा प्रारंभ करने के समाज एवं सरकार के स्तर पर प्रयास होने लगे। इन्हीं प्रयासों की कड़ी में मदरसों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अंन्तर्गत जिन मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम की व्यवस्था नहीं थी, उनमें मदरसा इन्तजामिया (मेनेजमेंट) और समुदाय को प्रेरित कर आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था करने की इच्छा एवं प्रतिबद्धता सरकार द्वारा ज़ाहिर की गई। सरकार एवं समुदाय की इस पहल को देश के कई प्रान्तों में खास तौर से राजस्थान में मुस्लिम समुदाय और मदरसा इन्तजामिया द्वारा सहर्ष तस्लीम किया जाने लगा | 1995 में राजस्थान में लोक जुम्बिश परियोजना के तहत मेवात क्षेत्र के कामां विकास खण्ड में सर्वप्रथम यह मदरसा शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मदरसा शिक्षा कार्यक्रम के इस नवीन एवं अनोखे तजुर्बे का फायदा आम करने के लिए राजस्थान सरकार एवं मुस्लिम समाज के स्तर पर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ हुआ।
मदरसा बोर्ड का गठन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा जनवरी, 2003 में किया गया। उस समय इसमें कुल 1635 मदरसे वक्फ बोर्ड से स्थानांतरित होकर आए। मदरसा बोर्ड के गठन से लेकर अब तक कुल 3025 मदरसों का पंजीकरण किया गया है तथा यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
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