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राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-

Important Rajasthan Current GK

राजस्थान की नेहा भटनागर और दीपिका राठौड़ ने किया एवरेस्ट फतह

भारतीय सेना के एक पर्वतारोही दल ने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर ली है जिसमें चार महिलाएं भी हैं। इनमें से दो महिलाएं मेजर नेहा भटनागर और केप्टन दीपिका राठौड़ राजस्थान की हैं। इस दल ने शुक्रवार दिनांक 25 मई को प्रातः एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता हासिल की। एक जूनियर कमिशन अधिकारी (जेसीओ) ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचा। कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में 22 सदस्यीय दल 12 मार्च को इस अभियान पर रवाना हुआ था। एवरेस्ट पर पहली बार सेना के दल ने 2001 में चढ़ाई की थी। नेहा जयपुर के महारानी कॉलेज की छात्रा रही है। नेहा की बचपन से ही सेना में जाने की इच्छा थी। इस दल की साहसी दीपिका राठौड़ नागौर जिले की डीडवाना तहसील के भवादिया गाँव की है।

अरविंद सिंह मेवाड़ को वूमेन टूगेदर अवार्ड फॉर ''कंट्रीब्यूशन टू युनिवर्सल कल्चर ऑफ द युनाइटेड नेशंस''

उदयपुर के पूर्व राजघराने के वंशज महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ को वूमेन टूगेदर अवार्ड फॉर ''कंट्रीब्यूशन टू युनिवर्सल कल्चर ऑफ द युनाइटेड नेशंस'' के लिए चुना गया गया है। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं।
यह पुरस्कार उन्हें, महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन, उदयपुर के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए प्रदान किया जा रहा है। पांच जून को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इस चैरिटेबल प्रतिष्ठान की स्थापना महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ ने की थी। वूमेन टूगेदर ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इस पुरस्कार के लिए इस संस्था को आम सहमति से चुना। गैर सरकारी संगठन वूमेन टूगेदर, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद का हिस्सा है। उदयपुर की जनता द्वारा श्रीजी हुजूर के नाम से पुकारे जाने वाले अरविंद सिंह मेवाड़ सिसोदिया वंश के महाराणा सांगा, महाराणा कुंभा और महाराणा प्रताप के वंशज है।

दरगाह शरीफ अजमेर पर डाक टिकट जारी

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ अजमेर में इस बार मनाए जाने वाले 800 वें उर्स के मंगलमय पर्व पर रविवार दिनांक 27 मई को केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल व केन्द्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट ने भारतीय डाक विभाग के दो बहुरंगी डाक टिकटों का सेट एवं मिनिएचर शीट जारी की है। एक डाक टिकट ख्वाजा साहब की दरगाह का 20 रुपए का एवं दूसरा टिकट जन्नती दरवाजे का पांच रुपए मूल्य का है। दोनों डाक टिकटों पर 800 वां उर्स दरगाह शरीफ अजमेर अंकित है। इस अवसर पर दोनों डाक टिकटों को बिक्री के लिए भी स्टाल भी लगाया गया। अजमेर की दरगाह शरीफ पर इससे पूर्व 1989 में भी एक रुपए का डाक टिकट जारी किया गया था।
गरीब नवाज के नाम से मशहूर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत के प्रसिद्ध सूफी संतों में से एक थे। भारत में चिश्ती पंथ के संस्थापक भी थे। पर्सिया से आने के बाद वे अजमेर में बस गए और सूफी मत के सिद्धांतों का उपदेश दिया।

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

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हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

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