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उदयपुर के मेनार में होता तलवारों से गैर नृत्य

आज आपको राजस्थान के एक अनोखे रंग से परिचय करवाते हैं और वो है तलवार से गैर नृत्य। यूँ तो गैर नृत्य मारवाड के बाड़मेर तथा मेवाड़ के उदयपुर व राजसमंद के गाँवों में आयोजित किया जाता है किंतु उदयपुर जिले में जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 76 पर स्थित मेनार गाँव में तलवारों से गैर नृत्य किया जाता है। मेनार मूलतः मेनारिया ब्राह्मणों का गाँव है। कहा जाता है कि एक बार इस गाँव के लोगों ने मुगल सेना को हराया था। तलवारों का यह गैर नृत्य मुगल आक्रमणकारियों पर स्थानीय वीरों की विजय की खुशी में जमरा बीज (चैत्र कृष्ण द्वितीया) पर्व पर किया जाता है। मेवाड़ में होली के उपरांत आने वाली चैत्र कृष्ण द्वितीया को जमरा बीज कहा जाता है तथा इसे उत्साह से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष पारम्परिक रीति रिवाज के अनुसार मेनार गाँव के सभी लोग जमरा बीज पर्व पर तलवार से गैर नृत्य करते हैं। ये लोग रण वाद्य कहे जाने वाले बांकिये और ढोल की लय पर एक हाथ में तलवार और दूसरे में लाठी लेकर पारम्परिक पोशाक धोती, कुर्ता व पगड़ी में गैर खेलते हैं तो हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों में भी अजीब सा जोश भर देते है। इस दिन पूरे गाँव को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। भव्य रोशनी की व्यवस्था की जाती है। घरों में विविध प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।

गैर के लिए रात्रि में गाँव के विभिन्न रास्तों से लोग अलग अलग दलों में हाथों में मशालें, तलवार और बन्दूकें लेकर बंदूक दागते हुए सेना के रूप में गाँव के चारभुजा मंदिर के सामने के मुख्य चौराहे पर एकत्र होते हैं। महिलायें सिर पर लोटा धारण कर वीर रस के गीतों का गान करती पुरूषों के पीछे चलती रहती हैं। बाद में जैन समाज के लोग गुलाल की बरसात करते हैं। महिलाएँ होलीका दहन स्थल पर ढोल की थाप पर होली के ठण्डी करने की रस्म पूरी करती है। इस अवसर पर गाँव में आतिशबाजी भी की जाती है। यहाँ दीपावली से भी ज्यादा उत्साह जमरा बीज पर नजर आता है। कहा जाता है कि अन्य राज्यों में कार्यरत गाँव के युवा भले ही दीपावली पर गाँव न भी आएं, लेकिन जमरा बीज का पर्व पर अवश्य ही गाँव में आते हैं।

Comments


  1. Hello
    Bro your blogs article is very nice please keep it its very useful for peoples Thanks for share this Hindi article

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  2. There should be video on jamara beej

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