चित्र- इसरो से साभार
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भारतीय
अन्तरिक्ष कार्यक्रम का विकास महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की संकल्पना एवं दूरदृष्टि
का प्रतिफल है, इसीलिए उन्हें 'भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक' कहा जाता है।
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स्वप्नदर्शी अंतरिक्ष वैज्ञानिक नायक डॉ. विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की असीम संभावनाओं अनुभव करते हुए विचार व्यक्त किया कि शक्तिशाली अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय विकास करने के साथ-साथ यह
तकनीकी आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने में अर्थपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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देश में अंतरिक्ष गतिविधियों का श्रीगणेश 1960 दशक के प्रारंभ में हुआ, जब तिरुवनंतपुरम के निकट थुंबा पर से गुज़रने वाली चुंबकीय भूमध्यरेखा के ऊपर छोटे परिज्ञापी रॉकेटों के उपयोग से वायुमंडल और आयनमंडल के वैज्ञानिक अन्वेषण प्रारंभ किया गया।
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1961 में भारत
सरकार ने अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया तथा
अन्तरिक्ष अनुसन्धान को 'परमाणु उर्जा विभाग' के अधीन प्रारंभ करने का निर्णय
किया।
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भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इनकोस्पार) का गठन-
भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ सन 1962 में "भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति"
संक्षेप में 'इनकोस्पार' (The Indian National Committee for Space
Research-INCOSPAR ) के गठन से हुआ। डॉ॰ साराभाई को इस समिति का सभापति बनाया गया।
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इसरो की स्थापना-
भारतीय अंतरिक्ष
अनुसन्धान संगठन (इसरो) की स्थापना वर्ष 1969
को हुई।
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देश में अंतरिक्ष कार्यकलापों के शुभारंभ के साथ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम द्वारा
निम्नांकित पर ध्यान केंद्रित किया-
1. दूरदर्शन प्रसारण
2. दूरसंचार और मौसम विज्ञानीय उपयोगों के लिए संचार उपग्रह
3. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए सुदूर संवेदन उपग्रहों का निर्माण
4. प्रमोचन के लिए स्वावलंबी बनने और विकास क्षमता प्राप्त करना
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इसरो का उद्देश्य है-
विभिन्न राष्ट्रीय कार्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उसके उपयोगों का विकास।
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इसरो की दो प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियाँ-
1. इन्सैट प्रणाली -
संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम विज्ञानीय सेवाओं के लिए
2. भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आईआरएस)-
संसाधनों की मॉनीटरिंग तथा प्रबंधन करने के लिए तथा प्राकृतिक संपदा प्रबंधन के लिए।
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इसरो के दो उपग्रह प्रमोचन
यान प्रणालियाँ-
1. ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन
यान (पीएसएलवी)-
आईआरएस प्रकार
के उपग्रहों
के प्रमोचन
के लिए
2. भूस्थिर उपग्रह प्रमोचन
यान (जीएसएलवी)-
इन्सैट प्रकार
के उपग्रहों
के प्रमोचन
के लिए
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अंतरिक्ष आयोग-
शोध कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए
वर्ष 1972 में अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग का गठन हुआ।
अंतरिक्ष आयोग के कार्य-
1. नीतियों को सूत्रबद्ध करना
2. देश के सामाजिक-आर्थिक लाभ हेतु अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की मोनिटरिंग।
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भारत सरकार का अंतरिक्ष विभाग-
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को अंतरिक्ष विभाग द्वारा संचालित किया
जाता है। यह मुख्य रूप से निम्नांकित संस्थाओं के
माध्यम से कार्य करता है-
1. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
2. भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल)
3. राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल)
4. उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-सैक)
5. सेमी
कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल)
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भारत के प्रथम उपग्रह “आर्यभट्ट” का प्रक्षेपण 19 अप्रैल 1975 को को किया गया इस प्रकार भारत कृत्रिम उपग्रह का प्रक्षेपण करने वाला विश्व का 11वाँ देश
बन गया।
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“पृथ्वी के सर्वेक्षण” के लिए भारत द्वारा भास्कर-1 उपग्रह का प्रक्षेपण 1979 में किया गया।
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कृत्रिम उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण
यानों (एस.एल.वी.) का उपयोग होता है।
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भारतीय उपग्रह प्रमोचक यान-
भारत ने सर्वप्रथम एस.एल.वी-3
प्रक्षेपणयान का विकास किया जिसके द्वारा
वर्ष 1980 में रोहणी (आरएस-1) उपग्रह प्रक्षेपित किया गया।
वर्तमान में भारत में जी.एस.एल.वी
और पी.एस.एल.वी प्रक्षेपणयानों के विभिन्न संस्करण कार्यरत है।
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देश के INSAT श्रेणी के प्रथम उपग्रह इनसैट-1ए का प्रक्षेपण 10 अप्रैल,
1982 को अमरीका के डेल्टा यान द्वारा किया गया।
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भारतीय राष्ट्रीय
उपग्रह (INSAT) के उपयोग-
INSAT एक बहुउद्देशीय तथा
बहुप्रयोजनीय उपग्रह प्रणाली है जिसके मुख्य उपयोग निम्न हैं-
1. घरेलू दूरसंचार
2. मौसम की जानकारी
3. आकाशवाणी, और दूरदर्शन का प्रसारण
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एन्ट्रिक्स कार्पोरेशन-
1992 में सरकार के स्वामित्व वाली व्यावसायिक कंपनी के रूप में 'एन्ट्रिक्स कार्पोरेशन' की स्थापना की गई, जिसका कार्य अंतरिक्ष उत्पाद और सेवाओं का विपणन करना है।
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भारतीय क्रायोजनिक
इंजन -
अतिनिम्न तापमान
पर भरे गए प्रणोदक (ईंधन) का उपयोग करने वाले इंजन को क्रायोजनिक इंजन कहा जाता है।
स्वदेशी तकनीक से
विकसित प्रथम क्रायोजनिक इंजन का परीक्षण फरवरी 2002 में किया गया।
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सुदूर
संवेदन तकनीक (Remote Sensing Technique)-
यह एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है जिसके द्वारा किसी
वस्तु को स्पर्श किये बिना विकिरण (विद्युत् चुम्बकीय तरंगों) द्वारा पृथ्वी की
ऊपरी सतह एवं सतह के भीतर की विश्वसनीय भौगोलिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
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मैटसेट (कल्पना-1)-
इस उपग्रह का प्रक्षेपण पी.एस.एल.वी.सी-4 यान
द्वारा मौसम के पर्यवेक्षण के लिए वर्ष 2002 में किया गया।
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“स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा” प्रथम भारतीय है जो अप्रैल 1984 में अन्तरिक्ष
में गए।
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रिसोर्ससेट–1
इस उपग्रह को पी.एस.एल.वी.सी- 5
अंतरिक्ष यान द्वारा सुदूर संवेदन के क्षेत्र में अनुसन्धान के लिए प्रक्षेपित
किया गया।
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एडुसैट उपग्रह-
देश
में शैक्षिक विकास के लिए 20.09.2004 को इस उपग्रह
को जी.एस.एल.वी यान से प्रक्षेपित किया गया।
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कार्टोसैट-I
सुदूर संवेदन द्वारा प्राप्त चित्रों
से मानचित्र का निर्माण करने के उद्देश्य से इस उपग्रह को पी.एस.एल.वी-सी 6 द्वारा
मई 2005 में प्रक्षेपित किया गया।
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चंद्रयान-1
इसे 22 अक्टूबर, 2008 को श्रीहरिकोटा स्थित एसडीएससी, शार अन्तरिक्ष केंद्र से पी.एस.एल.वी- सी11 द्वारा चन्द्रमा की कक्षा में जाने के लिए प्रक्षेपित किया गया, जिससे चन्द्रमा के तल पर
भविष्य की संभावनाओं को बल मिला।
इस अंतरिक्षयान ने चंद्रमा
के रासायनिक, खनिजीय और प्रकाश-भौमिकी
मानचित्रण के लिए
चंद्र
सतह से 100 कि.मी. की ऊँचाई पर चंद्रमा
की परिक्रमा की तथा महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रेषित की।
इस अंतरिक्षयान में भारत, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन,
जर्मनी, स्वीडन और बल्गेरिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरणों कार्यरत थे।
इसमें भू-भाग मानचित्रण
कैमरा, हाइपर स्पेक्ट्रमी प्रतिबिंबक, लूनार लेज़र रेंजिंग उपकरण, उच्च शक्ति
एक्स-किरण स्पेक्ट्रममापी, चंद्र संघट्ट प्रोब (Moon Impact Probe), निकट अवरक्त
स्पेक्ट्रममापी, परमाणु परावर्तन विष्लेषित्र, लघु संश्लेषी द्वारक राडार, चंद्र
खनिज विज्ञान मानचित्रित्र, विकिरण डोज मॉनिटर जैसे उच्चस्तरीय वैज्ञानिक उपकरण
लगे हुए थे।
इस मिशन की कालावधि 2 वर्ष
थी।
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ओशनसैट-2
समुद्री अनुसन्धान के उद्देश्यों
के साथ इस उपग्रह को सितम्बर 2009 में प्रक्षेपित किया गया।
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मंगलयान-
इसका औपचारिक नाम- Mars Orbiter Mission या MOM (मार्स ऑर्बिटर मिशन या मंगल
कक्षित्र मिशन)है। यह भारत का प्रथम मंगल अभियान है।
मंगल ग्रह
की परिक्रमा करने हेतु इसे 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 'ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण
यान (पीएसऍलवी)
सी-25' के द्वारा
सफलतापूर्वक छोड़ा गया।
यह 24 सितंबर 2014 को मंगल की
कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा।
इसके
पहुँचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास
में ही मंगल अभियान में सफल होने वाला पहला देश बन गया है।
भारत का ये
मंगल-यान मंगल पर भेजा गया विश्व
का सबसे सस्ता मंगल अभियान है।
प्रतिष्ठित
'टाइम' पत्रिका ने भारत के मंगलयान को वर्ष 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में सम्मिलित किया है।
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जुगनू-
इसरो
के मार्गदर्शन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (I.I.T.), कानपुर द्वारा
डिजाइन और निर्मित किया गया यह उपग्रह मात्र 3 कि.ग्रा भारवाला एक नैनो उपग्रह है, जिसे 12.10.2011 को
प्रक्षेपित किया गया ।
इस उपग्रह का उद्देश्य-
1.
पृथ्वी का निकट अवरक्त क्षेत्र में प्रतिबिंबन करने के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित कैमरा प्रणाली को सिद्ध करना और
प्रतिबिंबन संसाधन एलोगरिथ्म की जाँच करना।
2.
उपग्रह नौवहन में उपयोग करने हेतु जीपीएस अभिग्राही का मूल्यांकन
3.
अन्तरिक्ष में जडत्वीय मापन यूनिट (आईएमयू) आधारित स्वदेश में विकसित एमईएमएस की जाँच करना
|
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एसआरएमसेट-
12.10.2011
को प्रमोचित ये उपग्रह एसआरएम विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों द्वारा
विकसित किया गया है।
10.9 कि.ग्रा.
भारवाला 'नैनो उपग्रह एसआरएमसैट', वैश्विक
ताप तथा कार्बन डाइआक्साइड तथा जलवाष्प का मानिटरन करते हुए
वायुमण्डल में प्रदूषण के स्तर की समस्या
पर विचार करने के लिए प्रायोगिक मिशन है।
|
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यूथसैट-
20.04.2011 को
प्रमोचित यूथसैट, स्नातक और
स्नातकोत्तर स्तर के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान विद्यार्थियों
की भागीदारी के साथ तारकीय और वायुमण्डलीय अध्ययन के लिए भारत और रूस का एक संयुक्त उपग्रह है।
सौर
परिवर्तनशीलता और तापमण्डल-आयनमण्डल परिवर्तनों के बीच के संबंध का पता लगाना, यूथसैट मिशन का उद्देश्य है।
|
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स्टुडसैट-
विद्यार्थी उपग्रह (स्टुडसैट) कर्नाटक और
आन्ध्रप्रदेश में सात अभियांत्रिकी
महाविद्यालयों के समागम में विद्यार्थियों द्वारा देश में विकसित किया गया प्रथम
पिको-उपग्रह है।
12.07.2010 को छोड़े गए स्टुडसैट का वजन 1 कि.ग्रा. से भी कम है।
इसका प्राथमिक लक्ष्य शैक्षिक संस्थाओं में
अंतरिक्ष तकनीक में अभिवृद्धि
करना,
लघु उपग्रहों में अनुसंधान और विकास
को प्रोत्साहन देना, उपग्रह तथा
भू-केंद्रो के बीच संपर्क स्थापित करना, 90 मीटर के विभेदन सहित पृथ्वी की तस्वीरें लेना और नीतभार तथा
टेलीमिट्री आँकड़ा को भू-केंद्र को संचारित करना है।
|
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अनुसैट-
इसरो
के समग्र मार्गनिर्देशन में तैयार व 20.04.2009 को छोड़ा
गया अनुसैट (अन्ना विश्वविद्यालय उपग्रह) भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा
निर्मित प्रथम उपग्रह है।
|
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आई.आर.एन.एस.एस.-1सी (भारतीय प्रादेशिक नौवहन उपग्रह प्रणाली-1सी)-
यह भारत का तृतीय नौवहन उपग्रह है जिसे 16.10.2014
को पी.एस.एल.वी.-सी26 द्वारा सुबह 01.32
बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा
से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
आई.आर.एन.एस.एस. एक स्वतंत्र प्रादेशिक नौवहन
उपग्रह प्रणाली है, जो भारतीय क्षेत्र और 1500 कि.मी. के भारतीय मुख्य
भू-भाग में स्थिति की जानकारी प्रदान करने हेतु डिजाइन किया गया है।
|
भारतीय के अन्तरिक्ष उपग्रहों की सूची-
क्र.सं.
|
उपग्रह
|
प्रमोचन दिनांक
|
प्रमोचन यान
|
उपग्रह के प्रकार
|
1
|
आर्यभट्ट
|
19.04.1975
|
सी-1 इंटरकॉस्मॉस
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह
|
2
|
भास्कर-I
|
07.06.1979
|
सी-1
इंटरकॉस्मॉस
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
3
|
रोहिणी प्रौद्योगिकी नीतभार (आरटीपी)
|
10.08.1979
|
एसएलवी-3
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह
|
4
|
रोहिणी
(आरएस-1)
|
18.07.1980
|
एसएलवी-3
|
प्रायोगिक
/ लघु उपग्रह
|
5
|
रोहिणी (आरएस-डी1)
|
31.05.1981
|
एसएलवी-3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
6
|
एरियाने
नीतभार पैसेंजर परीक्षण(एप्पल)
|
19.06.1981
|
एरियाने-1(वी-3)
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
7
|
भास्कर-II
|
20.11.1981
|
सी-1 इंटरकॉस्मॉस
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
8
|
इन्सैट-1ए
|
10.04.1982
|
डेल्टा
3910 PAM-D
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
9
|
रोहिणी (आरएस-डी2)
|
17.04.1983
|
एसएलवी-3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
10
|
इन्सैट-1बी
|
30.08.1983
|
शटल [पीएएम-डी]
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
11
|
विस्तारित रोहिणी उपग्रह श्रृंखला (श्रोस-1)
|
24.03.1987
|
एएसएलवी
|
अंतरिक्ष मिशन
|
12
|
आईआरएस-1ए
|
17.03.1988
|
वोस्तोक
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
13
|
विस्तारित रोहिणी उपग्रह श्रृंखला (श्रोस-2)
|
13.07.1988
|
एएसएलवी
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
14
|
इन्सैट-1सी
|
21.07.1988
|
एरियाने-3
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
15
|
इन्सैट-1डी
|
12.06.1990
|
डेल्टा 4925
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
16
|
आईआरएस-1बी
|
29.08.1991
|
वोस्तोक
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
17
|
विस्तारित रोहिणी उपग्रह श्रृंखला (श्रोस-सी)
|
20.05.1992
|
एएसएलवी
|
अंतरिक्ष मिशन
|
18
|
इन्सैट-2
ए
|
10.07.1992
|
एरियाने-44LH10
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
19
|
इन्सैट-2 बी
|
23.07.1993
|
एरियाने-44LH10+
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
20
|
आईआरएस-1ई
|
20.09.1993
|
पीएसएलवी-डी1
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
22
|
विस्तारित रोहिणी उपग्रह श्रृंखला (श्रोस-सी2)
|
04.05.1994
|
एएसएलवी
|
अंतरिक्ष मिशन
|
23
|
आईआरएस-पी2
|
15.10.1994
|
पीएसएलवी-डी2
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
24
|
इन्सैट-2सी
|
07.12.1995
|
एरियाने-44LH10-3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
25
|
आईआरएस-1सी
|
28.12.1995
|
मोलनिया
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
26
|
आईआरएस-पी3
|
21.03.1996
|
पीएसएलवी-डी3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
27
|
इन्सैट-2डी
|
04.06.1997
|
एरियाने-44LH10-3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
28
|
आईआरएस-1डी
|
29.09.1997
|
पीएसएलवी-सी1
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
29
|
इन्सैट-2डीटी
|
Jan-98
|
एरियाने-44LH10
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
30
|
इन्सैट-2ई
|
03.04.1999
|
एरियाने-42PH10-3
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
31
|
ओशनसैट
(आईआरएस-पी4)
|
26.05.1999
|
पीएसएलवी-सी2
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
32
|
इन्सैट-3बी
|
22.03.2000
|
एरियाने-5जी
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
33
|
जीसैट-1
|
18.04.2001
|
जीएसएलवी-डी1
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
34
|
प्रौद्योगिकी परीक्षण उपग्रह (टीईएस)
|
22.10.2001
|
पीएसएलवी-सी3
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
35
|
इन्सैट-3सी
|
24.01.2002
|
एरियाने-42LH10-3
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
36
|
कल्पना-1 (मेटसैट)
|
12.09.2002
|
पीएसएलवी-सी4
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
37
|
जीसैट-2
|
08.05.2003
|
जीएसएलवी-डी2
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
38
|
इन्सैट-3ई
|
28.09.2003
|
एरियाने-5जी
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
39
|
इन्सैट-3ए
|
10.04.2003
|
एरियाने-5जी
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
40
|
रिसोर्ससैट-1 (आईआरएस-पी6)
|
17.10.2003
|
पीएसएलवी-सी5
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
41
|
एडुसैट
(जीसैट-3)
|
20.09.2004
|
जीएसएलवी-एफ़01
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
42
|
कार्टोसैट-1
|
05.05.2005
|
पीएसएलवी-सी6
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
43
|
हैमसैट
|
05.05.2005
|
पीएसएलवी-सी6
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह
|
44
|
इन्सैट-4ए
|
22.12.2005
|
एरियाने-5 जीएस
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
45
|
इन्सैट-4सी
|
10.07.2006
|
जीएसएलवी-एफ़02
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
46
|
इन्सैट-4सीआर
|
02.09.2007
|
जीएसएलवी-एफ़04
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
47
|
एसआरई-1
|
10.01.2007
|
पीएसएलवी-सी7
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह
|
48
|
कार्टोसैट-2
|
10.01.2007
|
पीएसएलवी-सी7
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
49
|
इन्सैट-4बी
|
12.03.2007
|
एरियाने-5 ईसीए
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
50
|
आईएमएस-1
|
28.04.2008
|
पीएसएलवी-सी9
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
51
|
कार्टोसैट-2ए
|
28.04.2008
|
पीएसएलवी-सी9
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
52
|
चंद्रयान-1
|
22.10.2008
|
पीएसएलवी-सी11
|
अंतरिक्ष मिशन
|
53
|
रिसैट-2
|
20.04.2009
|
पीएसएलवी-सी12
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
54
|
अनुसैट
|
20.04.2009
|
पीएसएलवी-सी12
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
55
|
ओशनसैट-2
|
23.09.2009
|
पीएसएलवी-सी14
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
56
|
जीसैट-4
|
15.04.2010
|
जीएसएलवी-डी3
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
57
|
कार्टोसैट-2बी
|
12.07.2010
|
पीएसएलवी-सी15
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
58
|
स्टुडसैट
|
12.07.2010
|
पीएसएलवी-सी15
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
59
|
जीसैट-5पी
|
25.12.2010
|
जीएसएलवी-एफ़06
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
60
|
यूथसैट
|
20.04.2011
|
पीएसएलवी-सी16
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह
|
61
|
रिसोर्ससैट-2
|
20.04.2011
|
पीएसएलवी-सी16
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
62
|
जीसैट-8
|
21.05.2011
|
एरियाने-5 वीए-202
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
63
|
जीसैट-12
|
15.07.2011
|
पीएसएलवी-सी17
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
64
|
मेघा ट्रॉपिक्स
|
12.10.2011
|
पीएसएलवी-सी18
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
65
|
एसआरएमसैट
|
12.10.2011
|
पीएसएलवी-सी18
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
66
|
जुगुनू
|
12.10.2011
|
पीएसएलवी-सी18
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
67
|
रिसैट-1
|
26.04.2012
|
पीएसएलवी-सी19
|
भू-प्रेक्षण
उपग्रह
|
68
|
जीसेट-10
|
29.09.2012
|
एरियाने-5 वीए-209
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
69
|
जीसैट-7
|
30.08.2013
|
एरियाने-5 वीए-209
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
70
|
सरल
|
25.2. 2013
|
पीएसएलवी-C20
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
71
|
आईआरएनएसएस-1ए
|
01.07.2013
|
पीएसएलवी-C22
|
नौवहन
उपग्रह प्रणाली
|
72
|
आईआरएनएसएस-1बी
|
04.04.2014
|
पीएसएलवी-C24
|
नौवहन उपग्रह प्रणाली
|
73
|
आईआरएनएसएस-1सी
|
10.11.2014
|
पी.एस.एल.वी.-सी.26
|
नौवहन
उपग्रह प्रणाली
|
74
|
जीसैट-16
|
07.12.2014
|
एरियाने-5 वीए-221
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
75
|
आईआरएनएसएस 1डी
|
28.03.2015
|
पीएसएलवी-C27
|
नौवहन
उपग्रह प्रणाली
|
76
|
जीसैट-6
|
27.08.2015
|
GSLV-D6
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
एस्ट्रोसैट
|
28.09.2015
|
पीएसएलवी-C30
|
प्रथम
समर्थित भारतीय खगोलीय मिशन
|
|
77
|
जीसैट-15
|
11.11.2015
|
भू-स्थिर उपग्रह
|
|
78
|
आईआरएनएसएस-1ई
|
20.01.2016
|
पीएसएलवी-C31
|
नौवहन
उपग्रह प्रणाली
|
79
|
आईआरएनएसएस-1एफ
|
10.03.2016
|
पीएसएलवी-C32
|
नौवहन उपग्रह प्रणाली
|
80
|
आईआरएनएसएस-1जी
|
28.04.2016
|
पीएसएलवी-C33
|
नौवहन
उपग्रह प्रणाली
|
81
|
कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह
|
22.6. 2016
|
पीएसएलवी-C34
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
82
|
स्वयं
|
22.06.2016
|
पीएसएलवी-C34
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
83
|
सत्यभामासेट
|
22.06.2016
|
पीएसएलवी-C34
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
84
|
इन्सैट -3DR
|
08.09. 2016
|
GSLV-F05
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
85
|
प्रथम
|
26.09.2016
|
पीएसएलवी-C35
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
86
|
पाइसेट
|
26.09.2016
|
पीएसएलवी-C35
|
प्रायोगिक / लघु उपग्रह/ विश्व विद्यालय/शैक्षणिक संस्था उपग्रह
|
87
|
SCATSAT-1
|
26.09.2016
|
पीएसएलवी-C35
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
88
|
जीसैट-18
|
06.10.2016
|
Ariane-5 VA-231
|
भू-स्थिर
उपग्रह
|
89
|
रिसोर्ससैट-2A
|
07.12.2016
|
पीएसएलवी-C36
|
भू-प्रेक्षण उपग्रह
|
Source- ISRO
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