Skip to main content

Ceramic Electrical Research & Development Center (CERDC) Bikaner


सिरेमिक विद्युत अनुसंधान एवं विकास केंद्र , सीईआरडीसी

बीकानेर में चाइना एवं वाल क्ले, जिप्सम, क्ले स्टोनाईट, मेट्रोनाईज आदि खनिज के विपुल भंडार है। बीकानेर में सिरेमिक टाइल्स, इन्सुलेटर्स, जिप्सम, प्लास्टर ऑफ़ पेरिस बनाने वाली इकाईयाँ बहुतायत में कार्यरत है। इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने तथा नये उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से बीकानेर में सिरेमिक सेन्टर की स्थापना वर्ष 2007 में की गई थी। बाद में वर्ष 2010 में इसका नाम बदल कर सिरेमिक इलेक्ट्रीकल रिसर्च एवं डवलपमेंट सेंटर (सीईआरडीसी) रख दिया गया। इसमें सिरेमिक टेस्टिंग लेब व प्रशिक्षण केंद्र स्थापित है। इसे राजस्थान सरकार द्वारा सिरेमिक विद्युत विकास समिति, बीकानेर के माध्यम से स्थापित किया गया है। हाई वॉल्टेज इन्सुलेटर के क्षेत्र में टेस्टिंग एवं रिसर्च कार्य के लिए उत्तर भारत की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है, जिसे राजस्थान सरकार द्वारा लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया गया था। सीईआरडीसी में पूरी तरह से सुसज्जित परीक्षण और अनुसंधान 5 प्रयोगशालाएं यथा- विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला, मैकेनिकल परीक्षण प्रयोगशाला, भौतिक परीक्षण प्रयोगशाला, रासायनिक परीक्षण प्रयोगशाला, खनिज विज्ञान और उत्पाद परीक्षण प्रयोगशाला।

1- विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला में दृश्य विसर्जन परीक्षण, आवेग वोल्टेज के साथ स्टैंड परीक्षण , पंचर परीक्षण, आवेग वोल्टेज परीक्षण, फ्लो डिटेक्शन परीक्षण, आर्द्र शक्ति आवृत्ति वोल्टेज के साथ स्टैंड परीक्षण किया जाता है।

2- मैकेनिकल परीक्षण प्रयोगशाला में भारतीय मानकों के अनुसार दृश्य परीक्षा, आयाम सत्यापन का परीक्षण, तापमान चक्र परीक्षण, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल फेलिंग लोड टेस्ट, यांत्रिक फेलिंग लोड परीक्षण, 24 घंटे यांत्रिक शक्ति परीक्षण, सरंध्रता टेस्ट, गैल्वनाइजिंग टेस्ट, TMT बार / कोण प्लेट / पाइप तन्यता परीक्षण, बेंड-रिबेंड टेस्ट, कठोरता परीक्षण, टाइल / ईंट / घन आदि का संपीड़न परीक्षण, इंसुलेटर टाइप टेस्ट आदि किया जाता है।

3- फिजिकल टेस्टिंग लैब में पीएच परीक्षा, फायर्ड रंग, कण आकार विश्लेषण, गीला व सूखा चलनी विश्लेषण, विस्कासिता परीक्षण, TGA / DTA टेस्ट, डाईलेटोमीटर, ग्रिट कंटेंट टेस्ट, मॉइस्चर कंटेंट टेस्ट, इम्पैक्ट स्ट्रेंथ टेस्ट, रिफलेक्टेन्स या परावर्तन टेस्ट, आभासीघनत्व और सरंध्रता परीक्षण, बल्क घनत्व परीक्षण, जल अवशोषण परीक्षण आदि किया जाता है।

4. रासायनिक परीक्षण लैब में क्ले, डोलोमाइट, क्वार्ट्ज, फेल्स्पार, सीमेंट, जिप्सम व प्लास्टर ऑफ़ पेरिस तथा जैसे सभी सिरेमिक कच्चे माल एवं शास्त्रीय विधियों द्वारा तैयार उत्पाद आदि का रासायनिक विश्लेषण, पानी में भारी धातुओं का परीक्षण, पेट्रोलियम उत्पादों का परीक्षण किया जाता है।

5. खनिज विज्ञान और उत्पाद परीक्षण प्रयोगशाला में इंसुलेटर का डिजाइन और विकास किया जाता है।

सिरेमिक इलेक्ट्रिकल रिसर्च एवं डवलमेंट सेंटर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) राष्ट्रीय मान्यता वर्ष 2016 में प्राप्त हुई। 

पता- 

करणी औद्योगिक क्षेत्र, पुगल रोड बीकानेर (राजस्थान)

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...