राजस्थान सेवा संघ -
राजस्थान सेवा संघ के संस्थापक
स्थापना वर्धा में -
- विजय सिंह पथिक ने रामनारायण चौधरी व हरिभाई किंकर के साथ मिलकर 1919 ई. में वर्धा में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की।
- 1919 में अमृतसर कांग्रेस में पथिक जी के प्रयत्न से बाल गंगाधर तिलक ने बिजोलिया सम्बन्धी प्रस्ताव रखा। पथिक जी ने बम्बई जाकर किसानों की करुण कथा गाँधी जी को सुनाई। गाँधी जी ने वचन दिया कि यदि मेवाड़ सरकार ने न्याय नहीं किया तो वह स्वयं बिजोलिया सत्याग्रह का संचालन करेंगे।
राजस्थान सेवा संघ का अजमेर स्थानान्तरण-
महात्मा गाँधी ने किसानों की शिकायत दूर करने के लिए एक पत्र महाराणा
को लिखा, पर कोई हल नहीं निकला। पथिक जी ने बम्बई यात्रा के समय गाँधी जी
की पहल पर यह निश्चय किया गया कि वर्धा से 'राजस्थान केसरी' नामक समाचार
पत्र निकाला जाये। 'राजस्थान केसरी' पत्र सारे देश में लोकप्रिय हो गया, परन्तु पथिक जी और जमनालाल बजाज की विचारधाराओं ने मेल नहीं खाया और वे वर्धा छोड़कर अजमेर आ गए। तब 1920 ई. में इसका कार्यालय अजमेर स्थानान्तरित किया गया।
राजस्थान सेवा संघ का मुख्य उद्देश्य -
इस संस्था ने राजनीतिक चेतना के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 'राजस्थान सेवा संघ' का मुख्य उद्देश्य जनता में राजनीतिक चेतना जागृत करना और उनकी कठिनाइयों को दूर करना था।
सदस्यता -
राजस्थान सेवा संघ में दो प्रकार की सदस्यता मिलती थी।
- प्रथम वे सदस्य जो आजीवन लोगों की सेवा करते और अपनी निजी सम्पत्ति भी संघ को सौंप देते थे। पथिक, चौधरी व किंकर इसके ऐसे ही सदस्य थे। पथिक जी संघ के अध्यक्ष बने।
- दूसरी श्रेणी की सदस्यता अल्पकालिक थी, जिनमें शेखावाटी के लादूराम जोशी, बिजोलिया के माणिक्य लाल वर्मा, ब्यावर के शोभालाल गुप्त आदि थे।
राजस्थान सेवा संघ के मुख्य कार्य-
- जनता की शिकायतों का समाधान करना,
- बेगार प्रथा को समाप्त करना,
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना तथा
- खादी के प्रयोग को बढ़ावा देना था।
पंचायतों का गठन-
उक्त कार्यों हेतु ठिकानों में राजस्थान सेवा संघ के प्रतिनिधि के नेतृत्व में पंचायतों का गठन कर स्थानीय लोगों की माँगे ठिकानेदार के समक्ष प्रस्तुत की जाती थी। सुनवाई नहीं होने पर लोग संघ के नेतृत्व में सत्याग्रह करते थे। जयपुर, जोधपुर, बूंदी, सीकर, खेतड़ी, कोटा आदि में राजस्थान सेवा संघ की शाखाऐं खोली गई। संघ ने राजनैतिक व सामाजिक जनजागृति के लिए ‘नवीन राजस्थान‘ नामक पत्र का प्रकाशन भी शुरू किया। किन्तु जब ब्रिटिश सरकार द्वारा नवीन राजस्थान समाचार पत्र पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो उसके बाद यह समाचार पत्र 'तरुण राजस्थान' के नाम से निकाला गया।
किसान आन्दोलनों को नेतृत्व-
राजस्थान सेवा संघ ने बेगू, बिजोलिया, बूंदी आदि किसान आन्दोलनों तथा उदयपुर में भील आंदोलन को नेतृत्व भी प्रदान किया। सेवा संघ की कार्य प्रणाली से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। 23 व 30 दिसम्बर, 1923 ई. में 'तरूण राजस्थान’ में छपी सरकार विरोधी खबरों के आधार पर रामनारायण चौधरी व शोभालाल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनो अभियुक्तों को सिटी मजिस्ट्रेट, अजमेर के सम्मुख उपस्थित होना पड़ा। इस मुकदमें में शोभालाल गुप्ता को दो साल की सश्रम सजा हुई व रामनारायण चौधरी बंदी बना दिये गये थे।
राजस्थान सेवा संघ ने बेगू, बिजोलिया, बूंदी आदि किसान आन्दोलनों तथा उदयपुर में भील आंदोलन को नेतृत्व भी प्रदान किया। सेवा संघ की कार्य प्रणाली से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। 23 व 30 दिसम्बर, 1923 ई. में 'तरूण राजस्थान’ में छपी सरकार विरोधी खबरों के आधार पर रामनारायण चौधरी व शोभालाल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनो अभियुक्तों को सिटी मजिस्ट्रेट, अजमेर के सम्मुख उपस्थित होना पड़ा। इस मुकदमें में शोभालाल गुप्ता को दो साल की सश्रम सजा हुई व रामनारायण चौधरी बंदी बना दिये गये थे।
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