BPL Servey Process in Rajasthan - राजस्थान में बी.पी.एल. सर्वे प्रक्रिया
राजस्थान में बीपीएल का निर्धारण करने के लिए 2 प्रमुख प्रक्रियाओं यथा - राजस्थान बी.पी.एल. जनगणना 2002 तथा सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 का सहारा लिया गया है, जिनका आगे विस्तार से वर्णन किया गया है -
1. राजस्थान बी.पी.एल. जनगणना 2002 (Rajasthan BPL Census 2002) -
प्रत्येक पंचवर्षीय योजना के प्रारम्भ में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले उन परिवारों, जिन्हें विभिन्न गरीबी उपशमन कार्यक्रमों के अंतर्गत सहायता दी जा सकती है, का पता लगाने के लिये राज्य सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशन में बीपी.एल. जनगणना करती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह की सिफारिश के अनुसार अपनाई गई क्रियाविधि में गरीब परिवारों का निर्धारण करने के लिए पूर्व जनगणना में अपनाई गई आय अथवा व्यय पद्धति की बजाय 13 अंक आधारित सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों को सम्मिलित किया गया।
विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के अनुसार राज्यों को बी.पी.एल. परिवारों का निर्धारण इस तरह करना था, जिससे कि किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में कुल व्यक्तियों की संख्या उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में बी.पी.एल. व्यक्तियों की संख्या जैसा कि योजना आयोग द्वारा वर्ष 1999-2000 के लिए अनुमानित है अथवा योजना आयोग द्वारा संगठित समायोजित अंश अथवा इनमें से जो भी अधिक है, से अधिक नहीं हो। अस्थाई गरीब लोगों के लिए अतिरिक्त 10 प्रतिशत छूट की अनुमति दी गई।
बी.पी.एल. जनगणना 2002 के परिणामों को वर्ष 2003 में अंतिम रूप दिया जाना था, किंतु पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) द्वारा रिट याचिका संख्या 196 दायर करने के कारण बी.पी.एल. सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। उक्त रोक हटने के उपरान्त भारत सरकार ने अपने पत्र क्रमांक क्यू. 21022/4/2003-एआई (आईडी) दिनांक 10.10.2005 के द्वारा बी.पी.एल. सेन्सस 2002 के माध्यम से सर्वे किये गये परिवारों में से बी.पी.एल परिवारों के चयन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। तद्नुसार पुनः चयन की प्रक्रिया ग्रामीण विकास विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 2(11)ग्राविवि/4/2004 दिनांक 25.11.05 के द्वारा शुरू की गई।
राज्य सरकार द्वारा अपीलों के सम्बन्ध में दिये गये दिशा-निर्देशों के सम्बन्ध में ग्राम सभा/वार्ड सभा से प्रोविजनल सूचियों के अनुमोदन उपरान्त द्विस्तरीय अपील का प्रावधान था, जिसमें प्रथम अपील सम्बंधित उपखण्ड अधिकारी/तहसीलदार एवं द्वितीय अपील जिला कलेक्टर को की जा सकती थी। वार्ड/ग्राम सभा से अनुमोदन एवं द्वि-स्तरीय अपील की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए बी.पी.एल. सूचियां तैयार की गई। बी.पी.एल. परिवारों के चयन हेतु संख्या पूर्व में ही भारत सरकार द्वारा 17.36 लाख निर्धारित की गई थी। राज्य सरकार के स्तर से सर्वे में 0-52 तक अंक प्राप्त हुए उनका कट-ऑफ बिन्दु निर्धारित करते हुए उक्त परिवारों का चयन किया गया है। कट-ऑफ स्कोर गणना के आधार पर अंक 12 एवं 13 के बीच में आया है अर्थात 12 अंक प्राप्त करने वाले समस्त परिवार एवं 13 अंक प्राप्त करने वाले आंशिक परिवारों का चयन किया गया।
दिनांक 15.9.2006 को बी.पी.एल. सूची (नामजद) प्रकाशित/जारी एवं प्रभावी की गई व बी.पी. एल. सूची वेबसाईट bpl2002raj.nic.in पर उपलब्ध है। इसे तुरन्त प्रभाव से ग्रामीण विकास विभाग की योजना हेतु लागू कर दिया गया है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय/भारत सरकार के पत्र दिनांक 23.2.2006 द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार पात्र परिवारों का चयन एवं अपात्र परिवारों को सूची से हटाये जाने की प्रक्रिया निरन्तर जारी रहेगी, जिस हेतु द्वि-स्तरीय अपील का प्रावधान है। इससे यह भी स्पष्ट है कि प्रस्तावित सूची अन्तिम नहीं है। अपील के प्रावधानों के अनुसार चयनित परिवारों की संख्या घट-बढ सकती है।
बी.पी.एल. सेन्सस सूची-2002 के विरूद्ध अपील की प्रक्रिया विभागीय पत्र दिनांक 25.09.2006 द्वारा समस्त जिला कलेक्टर्स को प्रेषित की गई।
भारत सरकार द्वारा उल्लेखित परिवार से भिन्न व्यक्ति को चयन की समीक्षा करने व ग्राम स्तर पर 1997 की सूची से चयनित परिवारों में 30 प्रतिशत भिन्नता (कम/ज्यादा) पाये जाने पर स्वयंमेव (Suo Moto) सर्वे कर अपील करने के निर्देश भी जिला कलेक्टर्स को विभागीय पत्र दिनांक 03.10.2006 व 04.10.2006 से दिये गये। स्वयंमेव पूर्ण सर्वे व अपीलों के आधार पर सभी जिलों की सूची वेबसाईट bpl2002raj.nic.in पर उपलब्ध है।
बी.पी.एल. सेन्सस-2002 की सूचियों के सम्बन्ध में अपील की प्रक्रिया माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं भारत सरकार के निर्देशानुसार सूचियों के प्रभावी रहने तक सतत् जारी रहेगी ।
राज्य ग्रामीण बी.पी.एल. सूची
वर्ष 1997 में चयनित किन्तु बी.पी.एल. सूची-2002 में चयन से वंचित परिवारों हेतु पृथक से राज्य ग्रामीण बी.पी.एल. सूची जारी की गई है। इस सूची में सम्मिलित परिवार मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष एवं मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना से लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।
2. सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 (SECC-2011)
भारत सरकार द्वारा सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 का कार्य राज्य में नवम्बर 2011 से शुरू किया गया। सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 का मुख्य उद्देश्य घर-घर जाकर सामाजिक आर्थिक गणना करना, जिसमें परिवारों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के आधार पर उनके स्तर का पता लगाना तथा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सूची तैयार करना है।
सामाजिक-आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 में परिवारों को तीन स्तरीय प्रक्रिया द्वारा रैंक प्रदान की गई है।परिवारों का एक समूह जो गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में स्वतः अलग करना।
परिवारों का एक समूह जो गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में स्वतः शामिल करना।
शेष बचे परिवारों को 7 वंचन सूचकांकों का प्रयोग करते हुये रैंक देना। सबसे अधिक वंचन स्कोर वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में शामिल करने के लिये सबसे उच्च प्राथमिकता देना।
परिवारों का एक समूह जो गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में स्वतः अलग हो गए, जो निम्न हैं -
1. मोटर चालित दोपहिया/तिपहिया/चार पहियों वाले वाहन/मछली पकड़ने की नाव।
2. मशीन चालित तीन/चार पहियों वाले कृषि उपकरण।
3. 50 हजार और इससे अधिक की मानक सीमा के किसान क्रेडिट कार्ड।
4. सरकारी सेवक वाले किसी सदस्य के परिवार।
5. सरकार में पंजीकृत गैर-कृषि उद्योग वाले परिवार।
6. परिवार का कोई सदस्य 10,000 रूपये प्रति मास से अधिक कमाता है।
7. आयकर अदा करते हैं।
8. व्यावसायिक कर अदा करते हैं।
9. सभी कमरों में पक्की दीवारें और छत के साथ तीन अथवा अधिक कमरें
10. घर में रेफ्रिजरेटर है।
11. घर में लैंडलाइन फोन है।
12. जिनके पास कम से कम 1 सिंचाई उपकरण के साथ 2.5 एकड़ अथवा इससे अधिक सिंचित भूमि है।
13. जिनके पास दो अथवा उससे अधिक फसल के मौसम के लिए 5 एकड़ अथवा इससे अधिक सिंचित भूमि है।
14. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ कम से कम 7.5 एकड़ अथवा इससे अधिक भूमि है।
परिवारों का एक समूह जो गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में स्वतः शामिल हो गए।
स्वतः ही शामिल होने वाले परिवार में निम्न परिवार शामिल हैं-
1. बेघर परिवार (शहरी क्षेत्र पर लागू)
2. निराश्रित/भिक्षुक (शहरी क्षेत्र पर लागू)
3. मैला ढ़ोने वाले
4. आदिम जनजातीय समूह
5. कानूनी रूप से मुक्त किये गये बंधुआ मजदूर
शेष बचे परिवारों को 7 वंचन सूचकांकों का प्रयोग करते हुये रैंक दिया गया है। सबसे अधिक वंचन स्कोर वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों की सूची में शामिल करने के लिये सबसे उच्च प्राथमिकता दी जायेगी।
ये 7 वंचन सूचक निम्न हैंः-
कच्ची दीवारों और कच्ची छत के साथ केवल 1 कमरे में रहने वाले परिवार।
परिवार में 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
महिला मुखिया वाले परिवार जिसमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क पुरूष सदस्य नहीं है।
निःशक्त सदस्य वाले और किसी सक्षम शरीर वाले वयस्क सदस्य से रहित परिवार।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के परिवार।
ऐसे परिवार, जहां 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क साक्षर नहीं है।
भूमिहीन परिवार, जो अपनी ज्यादातर कमाई दिहाडी मजदूरी से प्राप्त करते है।
सामाजिक,आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 के आंकडे -
भारत सरकार द्वारा सामाजिक,आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 के आंकडे जारी कर किये गये थे, जिनमें राज्य की स्थिति निम्ननुसार है:-
कुल परिवारों की संख्या - 10223073
स्वतः अलग होने वाले परिवारों की संख्या - 4069999
स्वतः शामिल होने वाले परिवारों की संख्या - 6153074
वंचन 7 सूचकांकों के आधार पर सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की सूची में उच्च प्राथमिकता दी जायेगी।
7 वंचन सूचकांकों के आधार पर परिवारों की संख्या निम्न हैं:-
कच्ची दीवारों और कच्ची छत के साथ केवल 1 कमरे में रहने वाले परिवारों की संख्या- 2043530
परिवार में 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं है, वाले परिवारों की संख्या-327627
महिला मुखिया वाले परिवार जिसमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क पुरूष सदस्य नहीं है वाले परिवारों की संख्या -314491
निःशक्त सदस्य वाले और किसी सक्षम शरीर वाले वयस्क सदस्य से रहित परिवारों की संख्या- 78404
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति वाले परिवारों की संख्या - 2792590
ऐसे परिवार, जहां 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क साक्षर नहीं है, वाले परिवारों की संख्या - 3208621
भूमिहीन परिवार, जो अपनी ज्यादातर कमाई दिहाडी मजदूरी से प्राप्त करते है वाले परिवारों की संख्या - 2242666
अन्य तथ्य -
शून्य डेप्रीवेशन वाले परिवारों की संख्या 915771 हैं, जो स्वतः अलग होने वाले परिवार तथा 7 वंचन सूचकांकों की श्रेणी में शामिल नहीं हैं।
भारत सरकार के स्तर पर समय समय पर आयेाजित बैठकों में बी.पी.एल. सेन्सस 2002 के डाटा का उपयोग 01.04.2016 के बाद से भारत सरकार द्वारा नहीं लिये जाने को मौखिक रूप से निर्देशित किया गया है।
01 अप्रेल, 2016 से इन्दिरा आवास के स्थान पर प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत वर्ष 2016-17 के लिए पात्र परिवारों को सामाजिक,आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 के आधार पर राज्य में लाभान्वित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।
भारत सरकार के मौखिक निर्देषानुसार राज्य सामाजिक,आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 के आंकडों का उपयोग अन्य योजनाओं में लाभान्वित करने में उपयोग में ले सकती है।
सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 (SECC-2011) में वंचित परिवारों का पुनः सर्वे में अपील के माध्यम से शामिल करने का प्रावधान नहीं है।
इस वेब पेज पर आने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद व आभार.... (c)
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Kya mera name ayushman bhart me j
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