जल संरक्षण के लिए राजस्थान को मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कार -
राजस्थान के जल संरक्षण, सिंचाई जल के दक्षतापूर्ण उपयोग के प्रयास भारत सरकार के राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। राजस्थान की नर्मदा नहर परियोजना को जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त इन्दिरा गांधी नहर परियोजना द्वितीय चरण के अन्तर्गत तेजपुर नहर प्रणाली को भी सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर जल के दक्षतापूर्ण उपयोग पर द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
यह दोनों पुरस्कार नई दिल्ली में दिनांक 24 सितंबर से 28 सितंबर तक आयोजित छठे इंडिया वाटर वीक 2019 में प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री, जल शक्ति श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा बुधवार को यह पुरस्कार प्रदान किए गए। राज्य सरकार की ओर से शासन सचिव, जल संसाधन विभाग श्री नवीन महाजन ने दोनों पुरस्कार प्राप्त किए। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के राष्ट्रीय जल मिशन द्वारा जल संरक्षण व कुशलतम जल उपयोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
प्रथम राष्ट्रीय जल मिशन अवार्ड के अन्तर्गत जल संरक्षण व बचाव के क्षेत्र में राज्यों द्वारा की गई कार्यवाही की श्रेणी में नर्मदा नहर परियोजना को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। परियोजना का भौतिक सत्यापन इस हेतु गठित केन्द्रीय दल द्वारा किया जाकर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से जल के कुशलतम उपयोग की सराहना करते हुए केन्द्रीय दल द्वारा अवार्ड की अनुशंषा पर भारत सरकार द्वारा गठित पुरस्कार चयन समिति द्वारा प्रथम पुरस्कार निर्धारित किया गया।
प्रथम राष्ट्रीय जल मिशन अवार्ड के अन्तर्गत जल संरक्षण व बचाव के क्षेत्र में राज्यों द्वारा की गई कार्यवाही की श्रेणी में नर्मदा नहर परियोजना को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। परियोजना का भौतिक सत्यापन इस हेतु गठित केन्द्रीय दल द्वारा किया जाकर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से जल के कुशलतम उपयोग की सराहना करते हुए केन्द्रीय दल द्वारा अवार्ड की अनुशंषा पर भारत सरकार द्वारा गठित पुरस्कार चयन समिति द्वारा प्रथम पुरस्कार निर्धारित किया गया।
नर्मदा नहर परियोजना भारत की पहली वृहद परियोजना है जिसमें पूरे 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर सिंचाई जल उपयोग किया जा रहा है। राजस्थान को नर्मदा नदी से आवंटित 0.5 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग जालोर व बाड़मेर जिलों के 2.46 लाख हैक्टेयर कमाण्ड में सिंचाई उपलब्ध करवाने के साथ-साथ 3 शहरों व 1541 गांवों को पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है। परियोजना में कमाण्ड क्षेत्र पूर्व में 1.35 लाख हैक्टेयर आंकलित था, जिसे सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर परिवर्तित करने से 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा दिया जाना संभव हुआ। परियोजना के फलस्वरूप जालोर व बाड़मेर के मरू क्षेत्र आज खेती से सरसब्ज हो रहे हैं तथा अनार जैसे फलों की खेती भी संभव हुई है। परियोजना का सिंचाई प्रबंधन काश्कारों की गठित 2232 जल उपयोगिता संगमों द्वारा किया जा रहा है।
साथ ही इन्दिरा गांधी नहर परियोजना स्टेज द्वितीय के अन्तर्गत तेजपुर माईनर में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर सिंचाई दक्षता में वृद्धि के लिये द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी नहर परियोजना स्टेज द्वितीय में जलांक केवल 2 क्यूसेक प्रति 1000 एकड निर्धारित किया गया है। सामान्य प्रचलित पद्धति से तेजपुर माईनर में निर्धारित 1857 हैक्टेयर क्षेत्र में से केवल औसतन 144 हैक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई संभव हो पाती थी। इस माईनर पर राज्य सरकार द्वारा 2012-13 में फव्वारा पद्धति से सिंचाई प्रणाली लागू की गयी, जिससे सिंचाई जल दक्षता में वृद्धि के फलस्वरूप पूर्व 144 हैक्टेयर के विरूद्ध 1111 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव हुई तथा कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी संभव हुई। परियोजना में दक्षतापूर्ण कार्यां का भौतिक सत्यापन केन्द्रीय दल द्वारा किया जाकर उनकी सराहना व अनुशंषा उपरान्त भारत सरकार की गठित अवार्ड चयन समिति द्वारा परियोजना को द्वितीय पुरस्कार हेतु चयनित किया गया।
क्या है राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार, 2019
जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग के राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) ने जल संरक्षण, सक्षम जल उपयोग तथा सतत जल प्रबंधन व्यवहारों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए ‘राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार’ प्रारंभ किया है।
मिशन दस्तावेज में राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) ने 5 लक्ष्य और 39 रणनीतियां निर्धारित की है। लक्ष्य 4 में राष्ट्रीय जल मिशन की एक रणनीति में जल संरक्षण तथा जल के उचित उपयोग के लिए पुरस्कारों के माध्यम से संगठन/कम्पनियों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है। इसलिए एनडब्ल्यूएम ने जल संरक्षण, उचित जल उपयोग तथा सतत जल प्रबंधन व्यवहारों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार प्रारंभ किया है। राष्ट्रीय जल मिशन के 5 लक्ष्यों के अंतर्गत 10 श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाते हैं। ये श्रेणी निम्नलिखित हैं-
- सार्वजनिक दायरे में व्यापक जल डाटा बेस को लाना।
- जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का मूल्यांकन।
- जल संरक्षण और सुदृढ़ीकरण के लिए नागरिकों और राज्य के कार्य को प्रोत्साहित करना।
- अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्र सहित कमजोर क्षेत्रों पर फोकस करना।
- जल उपयोग दक्षता 20 प्रतिशत तक बढ़ाना। (स्थानीय व्यक्ति/किसान/नागरिक)
- जल उपयोग दक्षता 20 प्रतिशत तक बढ़ाना। (जल उपयोग करने वाले संघ/स्वयं सहायता समूह/निवासी कल्याण संघ)
- जल उपयोग दक्षता 20 प्रतिशत तक बढ़ाना। (सार्वजनिक एजेंसियां-शहरी स्थानीय निकाय/शहर, सरकारी संगठन)
कौन कौन है राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार के विजेता-
श्रेणी 1 ए: सार्वजनिक डोमेन में व्यापक जल डेटा बेस (Category 1A: Comprehensive Water Data Base in Public Domain)
प्रथम पुरस्कार-
जल संसाधन विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार (आंध्र प्रदेश जल संसाधन सूचना और प्रबंधन प्रणाली (APWRIMS) के लिए)
जल संसाधन विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार (आंध्र प्रदेश जल संसाधन सूचना और प्रबंधन प्रणाली (APWRIMS) के लिए)
द्वितीय पुरस्कार-
सिंचाई और सीएडी विभाग, तेलंगाना सरकार (तेलंगाना जल संसाधन सूचना प्रणाली (TWRIS) के लिए। )
प्रथम पुरस्कार-
पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन (ईपीसीओ), पर्यावरण विभाग, भोपाल, मध्यप्रदेश (जलवायु परिवर्तन भेद्यता मूल्यांकन (CCVA) का अध्ययन के लिए। )
द्वितीय पुरस्कार-
जल संसाधन विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार (जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर कार्य के लिए )
प्रथम पुरस्कार-
जल संसाधन विभाग, राजस्थान सरकार को नर्मदा नहर परियोजना, सांचोर में जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए।
द्वितीय पुरस्कार-
जलपोषण ट्रस्ट को 200 साल पुरानी जक्कुर झील का संरक्षण की दिशा में अपने कार्य के लिए (Jalaposhan Trust for its work in Conservation and Preservation of 200 years old Jakkur Lake)
तृतीय पुरस्कार-
मृदा और जल संरक्षण विभाग, पंजाब सरकार को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), फगवाड़ा के उपचारित अपशिष्ट जल का सिंचाई में उपयोग के लिए (Department of Soil and Water Conservation, Govt of Punjab for Utilisation of treated waste water for Irrigation from Sewerage Treatment Plant (STP), Phagwara)
तृतीय पुरस्कार-
Pampa Parirakshana Samithy for its efforts on Rejuvenation of Varanchal (flood plain wetland) and Pampa rejuvenation, Kerala
सिंचाई और सीएडी विभाग, तेलंगाना सरकार (तेलंगाना जल संसाधन सूचना प्रणाली (TWRIS) के लिए। )
श्रेणी 1 बी: जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन (Assessment of the impact of Climate Change on Water Resource)
प्रथम पुरस्कार-
पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन (ईपीसीओ), पर्यावरण विभाग, भोपाल, मध्यप्रदेश (जलवायु परिवर्तन भेद्यता मूल्यांकन (CCVA) का अध्ययन के लिए। )
द्वितीय पुरस्कार-
जल संसाधन विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार (जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर कार्य के लिए )
श्रेणी 2: जल संरक्षण, वृद्धि और संरक्षण के लिए नागरिक और राज्य कार्रवाई को बढ़ावा देना (Category 2: Promotion of citizen and state action for water conservation, augmentation and preservation )
प्रथम पुरस्कार-
जल संसाधन विभाग, राजस्थान सरकार को नर्मदा नहर परियोजना, सांचोर में जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए।
द्वितीय पुरस्कार-
जलपोषण ट्रस्ट को 200 साल पुरानी जक्कुर झील का संरक्षण की दिशा में अपने कार्य के लिए (Jalaposhan Trust for its work in Conservation and Preservation of 200 years old Jakkur Lake)
तृतीय पुरस्कार-
मृदा और जल संरक्षण विभाग, पंजाब सरकार को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), फगवाड़ा के उपचारित अपशिष्ट जल का सिंचाई में उपयोग के लिए (Department of Soil and Water Conservation, Govt of Punjab for Utilisation of treated waste water for Irrigation from Sewerage Treatment Plant (STP), Phagwara)
तृतीय पुरस्कार-
Pampa Parirakshana Samithy for its efforts on Rejuvenation of Varanchal (flood plain wetland) and Pampa rejuvenation, Kerala