विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हो सकती है मेवाड़ की गवरी-
उदयपुर की गवरी का लोकनृत्य नाट्य विधा आज विश्व प्रसिद्ध हो गयी है। भील आदिवासियों की इस लोकनृत्य नाट्य परंपरा पर कई देशी-विदेशी अध्येता शोध भी कर चुके हैं तथा आजकल यह कला और इसकी कथाओं का मंचन न केवल देशी लोगों में इसके प्रति नया आकर्षण पैदा कर रही है अपितु विदेशी सैलानियों में भी इसके प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। ये विदेशी सैलानी न केवल इसके बारें में जान-समझ रहे है बल्कि आदिवासियों के साथ नाच का आनंद भी उठा रहे हैं। ऐसे समय में अगर राज्य सरकार योजनाबद्ध ढंग से इसे प्रोत्साहन करें तो यह लोककला मेवाड़ क्षेत्र में विदेशी सैलानियों के पर्यटन को बढ़ावा देने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हो सकती है। वैसे तो बरसात का मौसम मेवाड़ के अरावली की हरियाली में अभिवृद्धि कर देता है और झीले जलपूरित हो जाती है तथा नदी नालों में उफान ले आता है, जिस कारण बहुसंख्या में पर्यटक उदयपुर की ओर रुख करते हैं। ऐसे में पर्यटकों को ध्यान रखते हुए मेवाड़ के विभिन्न अंचलों में भादवा माह में आयोजित वाली गवरी का मंचन विधिवत रूप से योजनाबद्ध तरीके से कराया जाए तो पर्यटन व्यवसाय को अत्यंत बढ़ावा मिल सकता है तथा आदिवासी कलाकारों व उनकी इस अनूठी कला को नया प्रोत्साहन मिलेगा।
नीचे प्रस्तुत वीडियो में थाली मादल की थाप में मस्त होकर थिरकते और इस लोककला का आनंद लेते विदेशी सैलानियों को देखा जा सकता है, आप भी इस छोटे से दृश्य का आनंद ले -
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