डिप्रेशन एक उदासी नही, बीमारी है इसका इलाज किया जाए
डिप्रेशन का इलाज परिवार एवं समाज के सहयोग के बिना संभव नही- शुभ्रता प्रकाश
जयपुर, 1 दिसम्बर। समाज में आम धारणा है कि डिप्रेशन एक उदासी है जबकि
वास्तविकता यह है कि यह एक उदासी नही बल्कि एक बीमारी है और बीमारी की तरह
ही इसका इलाज किया जाना चाहिए। समाज डिप्रेशन को एक कलंक के रूप में मानता
है। इसकी शुरूआत परिवार एवं समाज से ही होती है अतः ऎसे में डिप्रेशन का
इलाज परिवार एवं समाज के सहयोग के बिना संभव नही है। यह जानकारी आई.आर.एस
अधिकारी श्रीमती शुभ्रता प्रकाश ने दी।
आई.ए.एस
एसोसियेशन की तरफ से रविवार को साहित्यिक संवाद कार्यक्रम के तहत आई.आर.एस
श्रीमती शुभ्रता प्रकाश की पुस्तक ‘द वर्ड- ए सर्वाइवर गाइड टू डिप्रेशन‘
पर एस.एम.एस हॉस्पिटल के मनोवैज्ञानिक हैड डॉ.आर. के. सोलंकी तथा अपेक्स
हॉस्पिटल के निदेशक एवं फाउंडर श्रीमती शीनू झंवर लेखिका से उनकी पुस्तक पर
संवाद कर रहे थे। इस मौके पर लेखिका ने कहा कि -
''वे स्वयं 10 वर्षों तक
डिप्रेशन में रही और 5 वर्ष तक मुझे पता ही नही चला, कि मुझे डिप्रेशन की
बीमारी है।''
उन्होने कहा कि -
''बीमारी से उबरने के
बाद ही समाज की इस आम लेकिन गंभीर बीमारी से लोगो को जागरूक करने के
उद्दे्श्य से इस पुस्तक की रचना की गई है। मेरे जीवन और
मेरी बीमारी, मेरी गोपनीयता और मेरे परिवार के बीच संतुलन की यह कहानी मेरी
जीवन की नही बल्कि मेरी बीमारी की कहानी है जो डिप्रेशन मे आये लोगो को
उबारने में मदद करती है।''
''कई प्रकार की धारणाएं जो समाज
में प्रचलित है उन्हें तोड़ने के लिए यह किताब लिखी है ताकि अवसाद पर काबू
पाया जा सके और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहा जा सके। इसके माध्यम से इस
बीमारी के लक्षण और उपायों के बारे में बताते हुए खुद से लड़ना और बीमारी से
उबरना बताया गया है।''
श्रीमती शुभ्रता ने कहा कि-
''कई लोगो को पता भी नही चलता की डिप्रेशन की कौनसी स्टेज से गुजर रहे है। ''
''डिप्रेशन से उबरने के लिए दवाई के साथ-साथ साइको थैरेपी एवं परिवार का
सहयोग होना बहुत आवश्यक है। ''
''डिप्रेशन जेनेटिकल एवं वातावरण
सहित अन्य प्रभावो से होता है और आज तक इसका कोई कारण वैज्ञानिकों को भी
पता नही चल पाया है, अतः समाज एवं परिवार की यह जिम्मेदारी है कि बच्चो पर
किसी प्रकार का दबाव नही डाले , उनसे खुलकर बात करे एवं फ्रेंडली माहौल
उपलब्ध करायें। ''
डॉ. आर.के.सोलंकी ने कहा कि -
''लेखिका की यह पुस्तक डिप्रेशन की प्रति समाज मे फैली इस कंलक की मानसिकता
को दूर करती है एवं लोगो को डिप्रेशन के प्रति सचेत कर सही इलाज के लिए
प्रेरित करती है । उन्होंने कहा कि प्रति दिन डिप्रेशन के दो से चार बच्चें
मेरे पास आते है ऎसे में और कितने बच्चे अन्य डॉक्टर्स के पास जाते होंगे।
ऎसे में इस गम्भीर बीमारी से जागरूक हो कर इस का सही समय पर इलाज करना
आवश्यक है। डिप्रेशन के कारण कही लोग वीआरएस लेने को मजबूर हो रहे है। अतः
सामाजिक वातावरण को सुधार कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।''
श्रीमती
शीनू झंवर ने कहा कि -
''डिप्रेशन दिमाग में रसायन के स्राव के कारण होता है
और प्रत्येक व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण होते है और सभी का इलाज भी अलग
-अलग तरीके से होता है। जिसको होता है। उसको पता नहीं चलता है और
धीरे-धीरे गंभीर होता है। जिसके कारण व्यक्ति मृत्यु को गले लगा लेता है।
अतः समय पर इसका इलाज जरूरी है ।''
आई.ए.एस
एसोसियेशन की साहित्यिक सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि -
''डिप्रेशन
पीडित व्यक्ति को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर परिवार उसका सहयोग
करें एवं इलाज कर उसे उबार ने में सहयोग करेें ताकि वह बेहतर जीवन के साथ
समाज को भी खुशियां दे सकें।''
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