Skip to main content

क्या है केन्द्रीय विस्टा एवेन्यू | What is Central Vista Avenue

केंद्रीय विस्टा एवेन्यू का भूमि पूजन समारोह सम्पन्न

केन्द्रीय विस्टा एवेन्यू का भूमि पूजन समारोह आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा आज 04 FEB 2021 किया गया। आज इस समारोह के साथ, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के विकास / पुनर्विकास के लिए काम शुरू हो गया है।

केन्द्रीय विस्टा एवेन्यू का भूमि पूजन समारोह

क्या है केन्द्रीय विस्टा एवेन्यू-

  • सेंट्रल विस्टा एवेन्यू उत्तर और दक्षिण ब्लॉक से इंडिया गेट तक शुरू होता है, जिसमें राजपथ, इसके आसपास के लॉन और नालियां (केनाल), पेड़ की कतारें, विजय चौक और इंडिया गेट प्लाजा सहित एक 3 किलोमीटर लंबा खंड है। 

    सेंट्रल विस्टा एवेन्यू

  • यह मूल रूप से ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय हाउस के लिए एक भव्य जुलूस मार्ग के रूप में बनाया गया था। यह भारत की स्वतंत्रता पर भारत के लोगों और सरकार द्वारा विनियोजित किया गया था।  

  • स्वतंत्रता के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में कुछ संशोधन कर इस जगह का परिदृश्य बदल दिया गया था। 

  • पेड़ों की नई पंक्तियों को 1980 में जोड़ा गया था, उत्तर-दक्षिण सम्पर्क में सुधार के लिए एक नई सड़क रफी अहमद किदवई मार्ग का निर्माण किया गया था। 

  • प्रतिवर्ष इस एवेन्यू पर वार्षिक गणतंत्र दिवस समारोह (आरडीसी) आयोजित किया जाता है। 

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, भारतीय खाद्य उत्सव, पर्यटन पर्व, ओडिया पार्व और पराक्रम पर्व जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी यहां प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते हैं। 

  • इसमें बहुत ऊंचे पदयात्रा चिन्ह हैं। 

  • यह दिल्ली में सबसे अधिक बार देखी जाने वाली जगह और महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण केंद्र है। 

क्या परिवर्तन होगा इसमें-

  • सरकार ने 10 नवंबर, 2020 को  608 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के विकास के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 

  • केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को इस महत्वपूर्ण कार्य को करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। सीपीडब्ल्यूडी द्वारा विकास के चरण- एक का कार्य प्रमुख निर्माण कंपनियों मेसर्स शापूरजी पल्लोनजी कंपनी (प्राइवेट) लिमिटेड को 477 करोड़ रुपये की लागत के साथ 08.01.2021 को प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से प्रदान किया गया है और आज दिनांक 04.02.2021 इस पर काम शुरू किया जा रहा है।


चरण -1 के तहत क्या क्या होंगे विकास कार्य-

  • भू-सौंदर्यीकरण और लॉन का पुनर्निर्माण।

  • हरित क्षेत्र को 3,50,000 वर्गमीटर से बढ़ाकर लगभग 3,90,000 वर्गमीटर करना । उचित सिंचाई प्रणाली । 

  • आगंतुकों और पर्यटकों के लिए 10 स्थानों पर शौचालय, पीने के पानी की सुविधा और वेंडिंग क्षेत्र के साथ उचित सार्वजनिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। 

  • पैदल यत्रियो के लिये राजपथ के साथ जनपथ और सी-हेक्सागन चौराहे पर उपलब्ध कराए जा रहे अंडरपास के साथ इसे और अधिक अनुकूल बनाया जा रहा है। 

  • राजपथ, नालियों के साथ पर्याप्त पैदल मार्ग। 


  • 12 उपयुक्त स्थानों पर पार्किंग, सार्वजनिक सुविधाओं के साथ बेहतर सम्पर्क सुनिश्चित करने के लिए नहरों पर निम्न स्तर के पुलों के साथ लॉन के साथ रास्ते पर पैदल मार्ग। 

  • नहरों को समुचित तरीके से पुनर्निर्मित करना और पानी को साफ रखने के लिए एरेटर प्रदान करना 

  • अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट। 

  • कारों, दो पहिया वाहनों, बसों आदि के लिए पर्याप्त पार्किंग की जगह। 

  • संकेतक, प्रकाश की व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे, ड्रेनेज, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर सप्लाई सिस्टम। 

  • गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान अस्थायी बैठने की व्यवस्था की स्थापना एवं फोल्डिंग सीट पर बैठने की व्यवस्था। 

  • जल संरक्षण और जल के उचित उपयोग पर ध्यान देने के साथ निर्माण / रेट्रोफिटिंग कार्य के दौरान पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय।

 

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...