मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा उल्लेख किया था तवांग के मोनपा हस्तनिर्मित कागज का -
प्रधानमंत्री द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में विशेष रूप से मोनपा हस्तनिर्मित कागज या “मोन शुगु” का उल्लेख किया था। इसके बाद 1000 वर्ष पुरानी धरोहर मोनपा हस्तनिर्मित कागज या “मोन शुगु” की बिक्री गति पकड़ रही है। 25 दिसंबर 2020 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में इस प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने वाले खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने मोनपा हस्तनिर्मित कागज को रविवार (31 जनवरी) को ऑनलाइन बिक्री के लिए ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.in पर उपलब्ध करवाया था । अपने लॉन्च के पहले दिन मोनपा हस्तनिर्मित कागज की 100 से अधिक शीट बिक्री हैं।
क्या होता है मोनपा या मोन शुगु -
- विशेषतः मोनपा हस्तनिर्मित कागज अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले पेड़ शुगु शेंग की छाल से बनाया जाता है। इस कारण मोनपा को स्थानीय भाषा में 'मोन शुगु' भी कहा जाता है।
- यह विशिष्ट पारभासी रेशेदार बनावट से पहचाना जाता है।
- यह कागज भारहीन होता है लेकिन इसके प्राकृतिक रेशे इसमें लचीली मजबूती लाते हैं जो इसे विभिन्न कलात्मक कार्यों के लिए उपयुक्त कागज बनाता है।
- इस हस्तनिर्मित कागज की लंबाई 24 इंच और चौड़ाई 16 इंच होती है जिसकी कीमत 50 पैसे प्रति शीट के किफायती दाम पर तय की गई है।
- मोनपा हस्तनिर्मित कागज का उपयोग बौद्ध धर्मग्रंथों, पांडुलिपियों को लिखने और प्रार्थना ध्वजों को बनाने में किया जाता था।
- इस पेपर पर लिखावट क्षति रहित मानी जाती है।
- तवांग में बनाए गए मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को इस कला से पेशेवर रूप में जोड़ना और कमाना है।
- शुरू में इस पेपर यूनिट में 9 कारीगर लगे हैं जो प्रतिदिन मोनपा हस्तनिर्मित कागज के 500 से 600 शीट का उत्पादन कर सकते हैं।
- यह कारीगर प्रतिदिन 400 रुपये की आय कमाएंगे।
- इसे शुरू करने के लिए स्थानीय गांव से 12 महिलाओं और 2 पुरुषों को मोनपा हस्तनिर्मित कागज बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
- इस कला के पुनरुद्धार को अहम माना जा रहा है कि क्योंकि एक समय तवांग के सभी घरो में मोनपा हस्तनिर्मित कागज का उत्पादन किया जाता था और फिर इसे तिब्बत, भूटान, म्यांमार और जापान जैसे कई अन्य देशों में निर्यात किया जाता था।
- हालांकि नई तकनीक के आने के साथ,पिछले 100 सालों में हस्तनिर्मित कागज का यह उद्योग लगभग विलुप्त हो गया था।
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के चेयरमैन श्री विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि अपनी
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के कारण मोनपा हस्तनिर्मित कागज के लिए भारत
और विदेशों के बाजार में काफी संभावनाएं हैं।
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