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सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति | Policy for retailers of Saras milk and milk products

राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन से सम्बद्ध दुग्ध संघों के सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति SARAS Dairy Policy for retailers of SARAS milk and milk products of milk unions affiliated to Rajasthan Co-operative Dairy Federation 1. प्रारम्भिक 1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और प्रसार   I. इस नीति का नाम राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन एवं इससे सम्बद्ध दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो की खुदरा विक्रेताओं की नीति वर्ष 2017 हैं।   II. यह नीति राजस्थान के समस्त जिला दुग्ध संघों में लागू होगी। 2. उद्देश्य:- इस नीति का उद्देश्य सहकारिता मूवमेन्ट के अन्तर्गत राजस्थान में उच्च गुणवत्तायुक्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ उचित मूल्य से उपभोक्ताओं को समय पर उपलब्ध करवाना हैं। 3. परिभाषा:- जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस नीति में:-   i. ‘‘आर.सी.डी.एफ.‘‘ से अभिप्राय ऐसी शीर्ष सोसायटी जो राज्य मे समस्त जिला दुग्ध संघों पर एक परिसंघीय निकाय है ओर सहकारी क्षेत्र मे सम्बद्ध दुग्ध संघो के दुग्ध संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन के कार्य क्षेत्रों मे दुग्ध संघो को मार्गदर्शन, सहाय...

कामधेनू डेयरी योजना आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर, 2018

कामधेनू डेयरी योजना  आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर, 2018 जयपुर, 21 दिसम्बर। गोपालन विभाग द्वारा आर.के.वी.वाई- रफ्तार अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 10 कामधेनू डेयरी स्थापित की जानी है। जिसमें आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर, 2018 रखी गई है। गोपालन निदेशालय के निदेशक श्री विश्राम मीना ने बताया कि कामधेनू डेयरी स्थापित करने के इच्छुक पशुपालक, गोपालक एवं लघु सीमान्त कृषक जिनके पास डेयरी की आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए जगह के अतिरिक्त एक एकड़ स्वयं की जमीन हो, इसके लिए आवेदन कर सकते है। उन्होंने बताया कि कामधेनू योजना में एक ही नस्ल की 30 देशी (गीर,थारपारकर आदि) दुधारू नयी गाये क्रय करना आवश्यक है।  श्री मीना ने बताया कि आवेदक को पशुपालन या डेयरी का तीन से पांच वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। तथा आवेदन के पास 50 रूपये प्रति लीटर दुग्ध क्रय करने की क्षमता होनी चाहिए।  उन्होंने बताया कि योजना में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों को प्राथमिकता दी जायेगी। योजना के विस्तृत दिशा...

Some Important Facts About Dairy Development in Rajasthan राजस्थान में डेयरी विकास के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

राजस्थान में डेयरी विकास के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य- बेहतरीन दुधारू पशु की नस्लों के साथ राजस्थान के देश का एक प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्य है जो भारत में पांचवां सबसे बड़ा पशु जनसंख्या वाला राज्य भी है। राजस्थान में गिर, थारपारकर, राठी और साहीवाल सबसे अच्छी दुग्ध उत्पादक स्वदेशी नस्लें हैं तथा नागौरी बैल एक प्रमुख प्रजनन नस्ल है। राजस्थान राज्य भैंस जनसंख्या के मामले में भारत में दूसरे स्थान पर है। यह वर्ष 2015 में देश में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य था और राज्य में सकल दुग्ध उत्पादन करीब 17,000 लाख टन था जो भारत के कुल दूध उत्पादन का 12% है। वर्ष 2015 में राजस्थान में दुग्ध उत्पादन में भैंस का सबसे बड़ा योगदान था, जिसके पश्चात् क्रमश: गाय और बकरी का योगदान दूसरा और तीसरा स्थान था। राज्य में समस्त दुग्ध उत्पादन के विपणन को सहकारी समितियों के मजबूत नेटवर्क द्वारा सुगमता से किया जाता है। सहकारी समितियों का नेटवर्क एक राज्य स्तरीय शीर्ष संगठन, RCDF (राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन) के नेतृत्व में कार्यरत है। वर्तमान में राजस्थान में ऐसी 13,878 डेयरी सहकारी स...