मीणा जनजाति आन्दोलन- ऐतिहासिक परिदृश्य- राजपूताना के कई राज्यों में मीणा जनजाति शताब्दियों से निवास करती आ रही है। मीणा जन्मजात सैनिक थे और अपने आपको क्षत्रिय मानते थे। ढूँढाड़ क्षेत्र के खोहगंग, आमेर, भांडारेज, मांची, गेटोर, झोटवाड़ा, नरेठ, शोभनपुर आदि इलाकों में सैंकड़ों वर्षों तक मीणाओं के जनपद रहे हैं। इन स्थानों पर मीणा शासकों का प्राचीन काल से ही आधिपत्य रहा था। कर्नल टॉड के अनुसार दुल्हराव ने खोहगंग के मीणा शासक आलनसिंह को एक युद्ध में परास्त कर ढूंढाड़ में कछवाहा राज्य की नींव डाली। इस युद्ध में आलनसिंह एवं उसके करीब 1500 मीणा साथी मारे गए। मीणा स्त्रियाँ अपने पति के साथ सती हो गई। खोहगंग के निकट आज भी उनकी छतरियां और देवल पाए जाते हैं। इसके बाद दुल्हराव ने मांची के मीणा शासक राव नाथू मीणा को हरा कर अपने राज्य का विस्तार किया। परवर्ती कछवाहा शासकों कोकिल और मैकुल ने गेटोर, आमेर, झोटवाड़ा आदि मीणा जनपदों के शासकों को हरा कर अपने राज्य की वृद्धि की। इस प्रकार ढूंढाड़ में मीणाओं का शासन समाप्त हो गया। किन्तु लम्बे समय तक मीणाओं का एक वर्ग छापामार युद्ध करके ...
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