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"Pomacha" - A variety of Rajasthan Odhani - " पोमचा "- राजस्थान की एक प्रकार की ओढ़नी

--> राजस्थान में स्त्रियों की ओढ़नियों मे तीन प्रकार की रंगाई होती है- पोमचा , लहरिया और चूंदड़।  पोमचा मे पोम शब्द पद्म (कमल) का अपभ्रंश है। इस ओढ़नी में पीले रंग की पृष्ठभूमि पर गुलाबी या लाल रंग के कमल रूप आकार होते है। अर्थात पोमचा पद्म या कमल से संबद्ध है , अर्थात इसमें कमल के फूल बने होते हैं। यह एक प्रकार की ओढ़नी है। वस्तुतः पोमचा का अर्थ कमल के फूल के अभिप्राय से युक्त ओढ़नी है।  यह मुख्यतः दो प्रकार से बनता है-  1. लाल गुलाबी 2. लाल पीला। इसकी जमीन पीली या गुलाबी हो सकती है। इन दोनो ही प्रकारों के पोमचो में चारों ओर का किनारा लाल होता है तथा इसमें लाल रंग से ही गोल फूल बने होते हैं। यह बच्चे के जन्म के अवसर पर पीहर पक्ष की ओर से बच्चे की मां को दिया जाता है। पुत्र का जन्म होने पर पीला पोमचा तथा पुत्री के जन्म पर लाल पोमचा देने का रिवाज है। पोमचा राजस्थान में लोकगीतों का भी विषय है। पुत्र के जन्म के अवसर पर " पीला पोमचा " का उल्लेख गीतों में आता है। एक गीत के बोल इस तरह है- " भाभी पाणीड़े गई रे तलाव में , भाभी सुवा तो पंखो ब...

राजस्थान की फड़ कला तथा भोपों का संक्षिप्त परिचय

फड़ लंबे कपड़े पर बनाई गई कलाकृति होती है जिसमें किसी लोकदेवता (विशेष रूप से पाबू जी या देवनारायण) की कथा का चित्रण किया जाता है। फड़ को लकड़ी पर लपेट कर रखा जाता है। इसे धीरे धीरे खोल कर भोपा तथा भोपी द्वारा लोक देवता की कथा को गीत व संगीत के साथ सुनाया जाता है। राजस्थान में कुछ जगहों पर जाति विशेष के भोपे पेशेवर पुजारी होते हैं। उनका मुख्य कार्य किसी मन्दिर में देवता की पूजा करना तथा देवता के आगे नाचना-गाना होता है। पाबू जी तथा देवनारायण के भोपे अपने संरक्षकों (धाताओं) के घर पर जाकर अपना पेशेवर गाना व नृत्य के साथ फड़ के आधार पर लोक देवता की कथा कहते हैं। राजस्थान में पाबूजी तथा देव नारायण के भक्त लाखों की संख्या में हैं। इन लोक देवताओं को कुटुम्ब के देवता के रूप में पूजा जाता है और उनकी वीरता के गीत चारण और भाटों द्वारा गाए जाते हैं। भोपों ने पाबूजी और देवनारायण जी की वीरता के सम्बन्ध में सैंकड़ों लोकगीत रचें हैं और इनकी गीतात्मक शौर्यगाथा को इनके द्वारा फड़ का प्रदर्शन करके आकर्षक और रोचक ढंग से किया जाता है। पाबूजी के भोपों ने पाबूजी की फड़ के गीत को अभिनय के साथ गाने की एक विशेष शै...

समसामयिक घटनाचक्र-

प्रताप अवॉर्ड के लिए 32 खिलाड़ियों का चयन

पिछले पांच साल से राज्य खेल परिषद की उपेक्षा का शिकार रहे महाराणा प्रताप अवॉर्ड के लिए 32 खिलाड़ियों का चयन कर लिया गया है। परिषद की चयन समिति ने वर्ष 2007-08 से 2011-12 तक के लिए ये खिलाड़ी छांटे हैं। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 51 हजार रुपए, महाराणा प्रताप की कांस्य प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। परिषद खेल दिवस के अवसर पर समारोह आयोजित करने का प्रयास कर रही है।   पुरस्कार के लिए चयनित खिलाड़ी > एथलेटिक्स :- 1.       समरजीत सिंह -  2007-08 2.       मंजुबाला -  2010-11 3.       घमंडाराम -  2011-12     >  तीरंदाजी :- 1.       रजत चौहान - 2011-12      > साइक्लिंग :- 1.       राजेन्द्र विश्नोई -  2009-10 2.       दयालाराम सहारण -  2010-11 3.       दयालाराम जाट   - 2010-11 4. ...