मल्लिनाथजी अत्यंत पराक्रमी थे। आपने पराक्रम के सहारे उन्होंने पूरे महेवा क्षेत्र को अपने अधिकार में कर लिया , यही क्षेत्र बाद में उनके नाम से मालाणी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस प्रदेश में उनके वंशजों का ही कब्जा रहा। सिद्ध पुरुष के रूप में विख्यात हुए मल्लीनाथ मारवाड़ के राव सलखाजी के पुत्र थे। मुंहता नैणसी के अनुसार " मल्लिनाथ केवल सिद्ध पुरुष ही नहीं थे , अपितु उनको देवताओं के चमत्कार भी प्राप्त थे। वे भविष्य में घटने वाली बातों को पहले ही जान लेते थे। " यह कहा जाता है कि एक सिद्ध साधु के आशीर्वाद से ही उन्होंने रावल पदवी धारण की थी। इसी कारण उनके वंशज रावल कहलाते हैं। मारवाड़ के लोग उनको सिद्ध तथा अवतारी पुरुष मानते रहे हैं तथा इसका प्रमाण है , लूणी नदी के किनारे बसे बाड़मेर जिले के तिलवाड़ा गाँव में बना हुआ इनका मंदिर , जहाँ प्रतिवर्ष चैत्र महीने में एक विशाल मेला लगता है। इसके अतिरिक्त जोधपुर के मंडोर में स्थित दे...
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