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Kathodi Tribe of Rajasthan - राजस्थान की कथौड़ी जनजाति

Kathodi Tribe of Rajasthan - राजस्थान की कथौड़ी जनजाति राज्य की कुल कथौड़ी आबादी की लगभग 52 प्रतिशत कथौड़ी लोग उदयपुर जिले की कोटडा, झाडोल, एव सराडा, पंचायत समिति में बसे हुए है। शेष मुख्यतः डूंगरपुर, बारां एवं झालावाड़ में बसे है। ये महाराष्ट्र के मूल निवासी है। खैर के पेड़ से कत्था बनाने में दक्ष होने के कारण वर्षो पूर्व उदयपुर के कत्था व्यवसायियों ने इन्हें यहाँ लाकर बसाया। कत्था तैयार करने में दक्ष होने के कारण ये कथौड़ी कहलाए गए। राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार कथौड़ी जनजाति की कुल आबादी मात्र 4833 है। ये Kathodi,  Katkari,   Dhor Kathodi,   Dhor Katkari,   Son Kathodi,   Son Katkari के अलग-अलग उपजातियों में पाए जाते हैं। वर्तमान में वृक्षों की अंधाधुध कटाई व पर्यावरण की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा इस कार्य को प्रति बंधित घोषित कर दिए जाने कथौड़ी लोगों की आर्थिक स्थिति बडी शोचनीय एवं बदतर हो गयी है। आज य जनजाति समुदाय जगंल से लघु वन उपज जैसे बांस, महुआ, शहद, सफेद मूसली, डोलमा, गोंद, कोयला एकत्र कर और चोरी-छुपे लकड़ियाँ काटकर बेचने तक ...

कैसे करें राजस्थान में खजूर की खेती - राज्य की सूक्ष्म एवं गर्म जलवायु में खजूर की खेती

खजूर शुष्क जलवायु में उगाया जाने वाला प्रचीनतम फलदार वृक्ष है। पाल्मेसी कुल के इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम फीनिक्स डेक्टीलीफेरा है। मानव सभ्यता के सबसे पुराने कृषि किए जाने वाले फलों में से यह एक फल है। इसकी उत्पत्ति फारस की खाड़ी मानी जाती है। दक्षिण इराक (मेसोपोटोमिया) में इसकी खेती ईसा से 4000 वर्ष पूर्व प्रचलित थी। मोहनजोदड़ों की खुदाई के अनुसार भारत-पाकिस्तान में भी ईसा से 2000 वर्ष पूर्व इसकी कृषि विद्यमान थी। पुरातन विश्व में खजूर की व्यवसायिक खेती पूर्व में सिन्धु घाटी से दक्षिण में तुर्की-परशियन-अफगान पहाड़ियों, इराक किरकुक-हाईफा तथा समुद्री तटीय सीमा के सहारे-सहारे टयूनिशिया तक बहुतायत में की जाती थी। इसकी व्यवसायिक खेती की शुरूआत सर्वप्रथम इराक में हुई। ईराक, सऊदी अरब, इरान, मिश्र, लिबिया, पाकिस्तान, मोरक्को, टयूनिशिया, सूडान, संयुक्त राज्य अमेरिका व स्पेन विश्व के मुख्य खजूर उत्पादक देश है। हमारे देश में सर्वप्रथम 1955 से 1962 के मध्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय केन्द्र अबोहर द्वारा मध्यपूर्व के देशों संयुक्त राज्य अमेरिका व पाकिस्तान से खजूर की कुछ व्यवसायिक ...

Bovine animals in Rajasthan राजस्थान में गौ-वंश - (राजस्थान में पशुधन)

राजस्थान में गौ-वंश राजस्थान के पशुपालन के क्षेत्र में गाय का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। राजस्थान की अर्थव्यवस्था में गौधन का महत्वपूर्ण स्थान है।  भारत की समस्त गौ वंश का लगभग 8 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है। गौ वंश संख्या में भारत में प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश का है। राजस्थान राज्य का भारत में गौ-वंश संख्या में सातवाँ स्थान है। राज्य में कुल पशु-सम्पदा में गौ-वंश प्रतिशत 22.8 % है। संख्या में बकरी के पश्चात् गौवंश का स्थान दूसरा है। राजस्थान में अधिकतम गौवंश उदयपुर जिले में हैं जबकि न्यूनतम धौलपुर में हैं। गौशाला विकास कार्यक्रम की राज्य में शीर्ष संस्था राजस्थान गौशाला पिजंरापोल संघ, जयपुर है। बस्सी (जयपुर) में गौवंश संवर्धन फार्म स्थापित किया गया है। राज्य गौ सेवा आयोग, जयपुर की स्थापना 23 मार्च 1951 को की गई थी। गौ-संवर्धन के लिए दौसा व कोड़मदेसर (बीकानेर) में गौ सदन स्थापित किए गए हैं। राज्य में पशुगणना 2012 के अनुसार कुल गौधन संख्या 1,33,24,462 या लगभग 133.2 लाख (13.32 मिलियन) है।  अन्तर पशुगणना अवधि (2007-2012) के दौरान गौधन की संख्या में 9.94% ...

Fabulous Koftgiri art of Rajasthan - राजस्थान की बेहतरीन कोफ़्तगिरी कला

Koftgiri art of Rajasthan - राजस्थान की कोफ्तगिरी कला कोफ़्तगिरी एक पारंपरिक शिल्प है जिसका अभ्यास वर्षों से मेवाड़ के विभिन्न जिलों में किया जाता रहा है। वर्तमान यह शिल्प जयपुर, अलवर और उदयपुर में दृष्टिगोचर होता है। जयपुर में, आयात-निर्यात बाजार में कोफ़्तगिरी शिल्प के आर्टिकल्स देखे जा सकते हैं जबकि, उदयपुर में इसके क्लस्टर पाए जाते हैं। अलवर के तलवारसाज लोग इस कला से जुड़े हुए हैं। उदयपुर के सिकलीगर लोग इस कला में महारत रखते हैं। कोफ़्तगिरी एक मौसमी शिल्प नहीं है, बल्कि एक बार किसी कलाकार को जब इसमें उचित गुणवत्ता हासिल हो जाती है तो उसके कोफ़्तगिरी के उत्पाद की अत्यधिक मांग हो जाती है, जो वर्षभर बनी रहती है। कोफ़्त गिरी हथियारों को अलंकृत करने की कला है, जो भारत में मुगलों के प्रभाव के कारण उभरी थी। इसमें जडाव (इनले) और ओवरले दोनों प्रकार की कला का कार्य होता है। फौलाद अथवा लोहे पर सोने की सूक्ष्म कसीदाकारी कोफ्त गिरी कहलाती है। कोफ़्तगिरी शब्द लोहे को "पीट-पीट कर" उस पर किसी कलात्मक पैटर्न को उभारने की क्रिया को कहते हैं। यह एक ओवरले कला है जिसमे विशेष...

Rajasthan Current Affairs - जून 2018

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे को मिला ’पर्सन ऑफ द ईयर’ अवार्ड राजस्थान को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पायोनियर स्टेट बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे को मिली ’पर्सन ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड प्राप्त हुआ है।  श्रीमती राजे की ओर से वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित बीडब्ल्यू बिजनेस वर्ल्ड डिजिटल इंडिया समिट के दौरान यह पुरस्कार प्राप्त किया था।  राज्य मेें ई-गवर्नेंस को मजबूती प्रदान करने और सेवाओं डिजिटलीकरण की दिशा में किये गए प्रयासों के लिए पहली बार किसी मुख्यमंत्री को यह सम्मान दिया गया।  उल्लेखनीय है कि इस समिट के दौरान केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों के बीच प्रतिस्पर्धा में राजस्थान सरकार के आईटी और संचार विभाग को 10 नवाचारों के लिए पुरस्कार मिले थे।  इनमें अभय कमांड सेंटर , महिला सुरक्षा एप , इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, आई-स्टार्ट, भामाशाह योजना , सीएम हेल्पलाइन , राजस्थान सम्पर्क , राज-काज , ई-मित्र तथा राजस्थान पेमेंट प्लेटफार्म को पुरस्...