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पीटीईटी में सफल के लिए कॉलेज आवंटन लिस्ट जारी, 26 तक करनी होगी रिपोर्टिंग

प्रदेश के बीएड कॉलेजों में दो व चार वर्षीय कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित पीटीईटी में दिनांक 20 जुलाई को कॉलेज आवंटन की लिस्ट जारी कर दी गई। छात्रों को आवंटित कॉलेज में 26 जुलाई तक रिपोर्ट करनी होगी। उधर प्रदेश के कई वि.वि. व कॉलेजों में यूजी व पीजी फाइनल ईयर के रिजल्ट नहीं आने से स्टूडेंट्स चिंतित हो गए हैं। हालांकि इन स्टूडेंट्स को अपवर्ड मूवमेंट में मौका जरुर मिल पाएगा। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के समन्वयक डॉ. आलोक चौहान के अनुसार काउंसलिंग प्रक्रिया में अभ्यर्थियों ने 14 जुलाई तक ऑनलाइन विकल्प भर दिए थे। अब प्रथम काउंसलिंग के बाद कॉलेज अलॉटमेंट लिस्ट 19 जुलाई को जारी कर दी गई। कॉलेज अलॉट होने के बाद में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को शेष शुल्क 22 हजार रुपए ई-मित्र के जरिए 19 जुलाई से 25 जुलाई तक जमा कराने होंगे। अभ्यर्थियों को आवंटित कॉलेज में 19 से 26 जुलाई तक दस्तावेजों व फीस चालान के साथ रिपोर्टिंग करनी होगी। अपवर्ड मूवमेंट के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 21 से 26 जुलाई तक रहेगी। अपवर्ड मूवमेंट के बाद कॉलेज आवंटन की सूचना 28 जुलाई को जारी की जाएगी और कॉलेज में रिपोर्टिं
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Kaun tha Hashmat Wala Raja Rao Maldev - कौन था हशमत वाला राजा राव मालदेव

राव मालदेव राठौड़ का इतिहास | History of Rao Maldev Rathod (मालदेओ राठौड़ इतिहास)   राव मालदेव का जन्म 5 दिसंबर 1511 को हुआ था । वह अपने पिता राव गांगा को मारकर 5 जून, 1532 को जोधपुर के राज्य सिंहासन पर आसीन हुए थे । इसलिए इसे पितृहंता शासक कहते हैं। जिस समय राव मालदेव ने गद्दी संभाली, उस समय दिल्ली के शासक मुगल बादशाह हुमायूँ थे । राव मालदेव की माँ का नाम रानी पद्मा कुमारी था जो सिरोही के देवड़ा शासक जगमाल की पुत्री थी । जैसलमेर के शासक राव लूणकरण की पुत्री उमादे से राव मालदेव का विवाह हुआ था । रानी उमादे विवाह की प्रथम रात्रि को ही अपने पति से रूठ गई और आजीवन उनसे रूठी रही । इस कारण उमादे इतिहास में ‘ रूठी रानी ‘ के नाम से प्रसिद्ध हो गई । राव मालदेव की मृत्यु होने पर रानी उमादे सती हो गई । मालदेव के राज्याभिषेक के समय जोधपुर और सोजत परगने ही उनके अधीन थे। वीर और महत्वाकांक्षी राव मालदेव ने शासन संभालते ही राज्य प्रसार का प्रसार करने पर ध्यान केंद्रित किया और जल्दी ही उन्होंने सींधल वीरा को परास्त कर भाद्राजूण पर अधिकार कर लिया। साथ ही फलौदी को जैसलमेर के भाटी शासकों

Sangeet Natak Acedamy Award to 3 prominient Artists of Rajastha राजस्थान के तीन ख्यातनाम कलाकारों को मिला संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

राजस्थान के तीन ख्यातनाम कलाकारों को मिला संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  ने 23 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी की फैलोशिप (अकादेमी रत्न) और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार Sangeet Natak Akademi  Award) प्रदान किए, जिसमें राजस्थान के निम्नांकित कलाकारों को राष्ट्रपति ने ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम् व एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया। 1. वर्ष 2019 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार- नाथूलाल सोलंकी (पुष्कर) - नगाड़ा वादक, क्षेत्र - Folk Music, Rajasthan 2. वर्ष 2020 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार- गफूर खां मांगणियार (बाड़मेर) प्रख्यात लोकगायक, क्षेत्र - Folk Music, Rajasthan 3. वर्ष 2021 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार- विलास जानवे (उदयपुर) मूकाभिनय रंगमंच कलाकार, क्षेत्र -Theatre थिएटर मूकाभिनय 68 वर्षीय श्री जानवे पिछले पांच दशकों से मूकाभिनय से जुड़े हैं। मूकाभिनय में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे देश के पांचवें कलाकार हैं। इससे पूर्वं यह पुरस्कार प.बंगाल के गुरु योगेश दत्ता, पद्मश्री निरंजन गोस्वामी, अस

Vedic Period - Early Vedic Society वैदिक काल- प्रारम्भिक वैदिक समाज

प्रारम्भिक वैदिक समाज Vedic Period - Early Vedic Society प्रारम्भिक वैदिक समाज कबीलाई समाज था तथा वह जातीय एवं पारिवारिक संबंधों पर आधारित था। प्रारम्भिक वैदिक समाज जाति के आधार पर विभाजित नहीं था एवं विभिन्न व्यावसायिक समूह अर्थात् मुखिया, पुरोहित, कारीगर आदि एक ही जन समुदाय के हिस्से थे। प्रारम्भिक वैदिक समाज में कबीले के लिए ‘जन’’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता था और ऋग्वेद में विभिन्न जन का उल्लेख है। विभिन्न कबीलों में पारस्परिक संघर्ष सामान्य थे, जैसे ऋग्वेद में ‘‘दशराज युद्ध’’ का वर्णन हुआ है और इसी युद्ध के वर्णन से हमें कुछ कबीलों के नाम प्राप्त होते हैं जैसे भरत, पुरु, यदु, द्रहयु, अनू और तुरवासू। प्रारम्भिक वैदिक समाज में कबीलों के युद्ध जैसे कि पहले भी कहा गया है पशुओं के अपरहय एवं पशुओं की चोरी को लेकर होते रहते थे। ‘‘राजा’’ या ‘‘गोपति’’- कबीले का मुखिया ‘‘राजा’’ या ‘‘गोपति’’ होता था। वह युद्ध में नेता तथा कबीले का रक्षक था। ‘‘राजा’’ या ‘‘गोपति’’ का पद अन्य व्यावसायिक समूहों की भांति ही पैतृक नहीं था बल्कि उसका जन के सदस्यों में से चुनाव होता था। ‘राजन्य’- योद्धा को ‘राजन्य’ क

Why is world Wetland Day celebrated on 2nd February | 2 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस

Why is world Wetland Day celebrated on 2nd February 2 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स अर्थात आर्द्र  भूमि पर रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention on Wetlands) पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस  (World Wetland Day) जाता है। 1971 में ईरान के रामसर Ramsar में रामसर संधि पत्र (Ramsar Treaty) पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी , 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए।  1982 से 2013 के दौरान , रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया , हालांकि , इस दौरान 2014 से 2022 तक , देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं। रामसर स्थलों की अधिकतम संख्या तमिलनाडु में है (रामसर स्थलों की संख्या - 14) , इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं। भारत 1982 से इस कन्वेंशन

National Gopal Ratna Awards -2022 - राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2022

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Awards) पशुधन और डेयरी क्षेत्र के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है। भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लें काफी पुष्ट हैं और ये देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता रखती हैं।   यह भारत सरकार के मत्स्यपालन , पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा दिया जाता है ।   देश में पहली बार "राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission - RGM)" दिसंबर 2014 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित तथा विकसित करना था। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission - RGM) के तहत, दुग्ध उत्पादक किसानों और इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों तथा दुग्ध उत्पादकों को बाजार तक सुलभ पहुंच प्रदान करने वाली डेयरी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से निम्नलिखित श्रेणियों में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Awards) प्र