1. श्रीनाथद्वारा- उदयपुर से लगभग 45 किमी दूर पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय की प्रधान पीठ यहाँ स्थित है। यहाँ श्रीनाथजी का विशाल मंदिर है जिसमें अन्य मंदिरों की तरह वास्तुकला दिखाई नहीं देती। भगवान श्रीनाथजी को कृष्ण का बाल रूप माना गया है , इसी बाल रूप की लीलाओं की झाँकी हमें इस मंदिर और इसमें होने वाले दर्शनों में मिलती है। पुष्टिमार्ग में इस मंदिर को मंदिर न मान कर हवेली की संज्ञा दी गई है। हवेली का तात्पर्य है भवन। वस्तुत: इसे नंदबाबा के भवन का प्रतीक माना गया है। मंदिर में श्रीकृष्ण की काले पत्थर की अत्यंत मनोहारी आदमकद मूर्ति है , जिसका प्रतिदिन आकर्षक श्रंगार किया जाता है। पुष्टिमार्ग की परंपरा के अनुसार इस मंदिर में प्रतिदिन आठ दर्शन होते हैं , ये दर्शन मंगला , ग्वाल , श्रृंगार , राजभोग , उत्थापन , भोग , आरती और शयन के होते है। यहाँ जन्माष्टमी , डोल , स्नान जात्रा (यात्रा) , छप्पन भोग और दीपावली (खेखरा , गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव) आदि उत्सव विशेष उत्साह के साथ मनाए जाते हैं जिनमें से दीपावली एवं जन्माष्टमी के उत्सवों में भारी भी...
राजस्थान की कला, संस्कृति, इतिहास, भूगोल व समसामयिक तथ्यों के विविध रंगों से युक्त प्रामाणिक एवं मूलभूत जानकारियों की वेब पत्रिका "The web magazine of various colours of authentic and basic information of Rajasthan's Art, Culture, History, Geography and Current affairs