>राजस्थान के टौंक में प्रचलित चारबैत लोक गायन शैली में गायक ढप बजाकर कव्वालों की तरह घुटनों के बल खड़े हो कर भावावेश में गीत गाते हैं। कुछ गायक ऊँची कूद लेकर ढप को उछालते हुए भी गाते हैं।
>ये गायक दलों में होते हैं और इनकी प्रतियोगिता भी होती है। दलनायक एक एक बंद गाता है एवं सहयोगी उसकी पुनरावृत्ति करते हैं।
>इसमें समस्यापूर्ति का प्रावधान भी होता है। अतः दल में एक आशुकवि भी होना जरूरी है जो प्रतिद्वंद्वी का उत्तर तुरंत रचना कर के देता है।
>यह विधा मूलतः पठानी मूल की काव्य विधा है जिसका गायन पहले पश्तो भाषा में होता था।
>भारत में इस कला को लोक भाषा में प्रस्तुत करने का श्रेय अब्दुल करीम खाँ को है। उनके द्वारा इसे लोक भाषा में प्रस्तुत करने के कारण परंपरागत उस्तादे ने उनका बहिष्कार भी किया था।
>टौंक में चारबैत की परंपरा नवाब फैजुल्ला के समय प्रारंभ हुई थी।
>टौंक में इसकी शुरुआत अब्दुल करीम खाँ द्वारा भेजे गए खलीफा करीम खाँ निहंग ने की थी।
>इसमें मुस्लिम कलाकार धार्मिक परिधि से निकल कर राम और कृष्ण की महिमा के गीत भी गाते हैं।
>इस समय इन चारबैत में सामाजिक एवं अन्य पहलुओं को भी शामिल किया जाता है।
>ये गायक दलों में होते हैं और इनकी प्रतियोगिता भी होती है। दलनायक एक एक बंद गाता है एवं सहयोगी उसकी पुनरावृत्ति करते हैं।
>इसमें समस्यापूर्ति का प्रावधान भी होता है। अतः दल में एक आशुकवि भी होना जरूरी है जो प्रतिद्वंद्वी का उत्तर तुरंत रचना कर के देता है।
>यह विधा मूलतः पठानी मूल की काव्य विधा है जिसका गायन पहले पश्तो भाषा में होता था।
>भारत में इस कला को लोक भाषा में प्रस्तुत करने का श्रेय अब्दुल करीम खाँ को है। उनके द्वारा इसे लोक भाषा में प्रस्तुत करने के कारण परंपरागत उस्तादे ने उनका बहिष्कार भी किया था।
>टौंक में चारबैत की परंपरा नवाब फैजुल्ला के समय प्रारंभ हुई थी।
>टौंक में इसकी शुरुआत अब्दुल करीम खाँ द्वारा भेजे गए खलीफा करीम खाँ निहंग ने की थी।
>इसमें मुस्लिम कलाकार धार्मिक परिधि से निकल कर राम और कृष्ण की महिमा के गीत भी गाते हैं।
>इस समय इन चारबैत में सामाजिक एवं अन्य पहलुओं को भी शामिल किया जाता है।
बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट.राजस्थान से जोड़ता आपका ब्लॉग अच्छा लगा ..
ReplyDeleteसराहना के लिए धन्यवाद शालिनी जी। आप सभी का स्नेह इसी प्रकार बना रहेगा तो इस प्रयास को संबल मिलेगा। मार्गदर्शन की आशा में।
ReplyDeleteNICEMI
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