Skip to main content

Universities of Rajasthan : name, place and year of establishment
राजस्थान के विश्वविद्यालय : नाम, स्थान एवं स्थापना वर्ष



1. Rajasthan University, jaipur, 1947

2. Jainarayan Vyas University, Jodhpur, 1967

3. Mohan lal Sukhadiya University, Udaipur, 1962

4. Maharshi Dayanand University, Ajmer, 1987

5.
Swami Keshwanand Rajasthan Agriculture University, Bikaner, 1987

6. Rajasthan Sanskrit University ( Jagadguru Ramanandachary Sanskrit University), 1998

7. National Law University, Jodhpur, 1999

8. Maharana Pratap Agricultural University Udaipur, 2000

9.
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Rajasthan Ayurved University, Jodhpur, 2002

10. Maharaja Ganga Singh University, Bikaner, 2003

11. Kota University, Kota, 2003

12. Rajasthan University of Health Sciences, 2005

13. Rajasthan Technical University, Kota, 2006

14. Jodhpur National University, Jodhpur, 2009



15. Rajasthan Veterinary and Animal Science University, Bikaner

16.  Vardhman Mahavir Open University, Kota

Private Universities of Rajasthan Established under Rajasthan Private University Act 2005 and respective universities acts


1. Sir Padampat Singhania University, Udaipur, 2008

2. Jaipur National University, Jaipur,2008

3. Singhania University,Pacheri Bari ( Jhunjhunu ), 2008

4. NIMS University Rajasthan, Jaipur, 2008

5. AMITY University, Rajasthan, Jaipur, 2008

6. Suresh Gyan Vihar University, Jaipur, 2008

7. Jyoti Vidhyapeeth Women's University, Jaipur, 2008

8. Bhagwant University, Ajmer, 2008

9. Jagannath University, Jaipur, 2008

10. Jhabarmal Tibrewala University, Chudela (Jhunjhunu), 2009

11. Mahatma Jyoti Rao Phoole University, Jaipur,2009

12. Mewar University Chittorgarh, 2009

13. Manipal University, Jaipur, 2011

14. Sunrise University, Bagad Rajput (Alwar), 2011

15. Pratap University, Jaipur, 2011

16. ICFAI University, Jaipur 2011

17. J. K. Laxmipat University, Jaipur 2011

18. Raffles University, Neemrana, (Alwar) 2011



Deemed Universities of Rajasthan - राजस्थान के डीम्ड विश्वविद्यालय



1. Vanasthali Vidyapeeth, Tonk -1983

2. Janardan Rai Nagar Rajasthan Vidyapeeth, Udaipur - 1983

3. Jain Vishv Bharti, Ladnu { Nagour } - 1991

4. Birla Institute of Technology and Science- BITS, Pilani { Jhunjhunu } - 1991

5. Malviya National institute of Technology- MNIT, Jaipur - 2002

6. IASE, Gandhi Vidya Mandir, Sardarshahar { Churu } - 2002

7. Modi Institute of Technology and Science, Laxmangarh { Sikar }

8. LNM Institute of Information and Technology, Jaipur- 2003

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली