होली की मस्ती के साथ फाल्गुन पूर्णिमा शनिवार 19 मार्च की शाम को जयपुर के रामबाग पोलो ग्राउंड में पर्यटन विभाग की ओर से शानदार हाथी महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें जयपुर आए विदेशी सैलानियों ने हाथियों पर सवारी करते हुए रंगों के साथ मस्ती की। देश के एक अलग ही रूप को देख रहे ये पर्यटक होली की मस्ती में ऐसे डूबे कि सब कुछ भूल गए। शाम चार बजे जैसे ही एलिफेंट फेस्टिवल शुरू हुआ तो अबीर गुलाल एवं फूलों के बीच क्या देसी क्या विदेशी सभी होली के रंगों में रंग गए। इस महोत्सव में विदेशियों के लिए देसी खेलों मटका दौड़, रस्साकशी का भी आयोजन किया गया। इसमें रंगीन पानी से भरे मटके को सिर पर रखकर जहां विदेशी पर्यटकों ने दौड़ लगाई। वहीं रस्साकशी में स्थानीय नागरिकों एवं विदेशी पर्यटकों के मध्य जोर आजमाइश हुई। साथ ही राजस्थान के लोक नृत्यों से भी पर्यटकों का मनोरंजन किया गया। इस आयोजन में नगाडे की थाप पर गज श्रृंगार का आगाज हुआ तथा
हाथियों के जुलूस में राजस्थान का वैभव एवं संस्कृति के रंग के दर्शन हुए। गज श्रृंगार में बीस हाथियों ने भाग लिया तथा जुलूस में निकले इन हाथियों के भव्य श्रृंगार राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का परिचय दिया। रंग-बिरंगे रंगों में हाथियों पर उम्दा चित्र और आकृतियां उकेरी गई। एक हाथी पर शेर की आकृति बनी थी जो सभी के विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। चांदी-सोने से सजे-धजे हाथियों की सवारी का भी पर्यटकों ने भरपूर आनंद लिया।
गौरतलब है कि हाथी महोत्सव का प्रारंभ 25 साल पहले आमेर महल में पूर्व राजमाता स्व. गायत्री देवी के सानिध्य में हुआ था।
इस बार के महोत्सव में 88 हाथियों ने इस उत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर आकर्षक राजस्थानी लोक नृत्यों का भी आयोजन किया गया। महोत्सव में हुई कच्छी घोड़ी, कालबेलिया, गबेला व गैर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति इतनी उम्दा थी कि इसे देख कर पर्यटक जुलूस में नाचने तक भी पहुंच गए।
हाथियों के जुलूस में राजस्थान का वैभव एवं संस्कृति के रंग के दर्शन हुए। गज श्रृंगार में बीस हाथियों ने भाग लिया तथा जुलूस में निकले इन हाथियों के भव्य श्रृंगार राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का परिचय दिया। रंग-बिरंगे रंगों में हाथियों पर उम्दा चित्र और आकृतियां उकेरी गई। एक हाथी पर शेर की आकृति बनी थी जो सभी के विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। चांदी-सोने से सजे-धजे हाथियों की सवारी का भी पर्यटकों ने भरपूर आनंद लिया।
गौरतलब है कि हाथी महोत्सव का प्रारंभ 25 साल पहले आमेर महल में पूर्व राजमाता स्व. गायत्री देवी के सानिध्य में हुआ था।
इस बार के महोत्सव में 88 हाथियों ने इस उत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर आकर्षक राजस्थानी लोक नृत्यों का भी आयोजन किया गया। महोत्सव में हुई कच्छी घोड़ी, कालबेलिया, गबेला व गैर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति इतनी उम्दा थी कि इसे देख कर पर्यटक जुलूस में नाचने तक भी पहुंच गए।
ReplyDeleteAwesome,
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