राजस्थान देश का वह प्रथम राज्य है, जहाँ सौर ऊर्जा नीति लागू की गई है। राज्य में सौर ऊर्जा के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दिनांक 13 अप्रैल को इस सौर ऊर्जा नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
>इस नीति से राज्य के ऊर्जा के क्षेत्र में बाहरी कंपनियों के लिए निवेश के रास्ते खुलेंगे।
>बैठक के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया कि सौर ऊर्जा नीति में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है।
> केंद्र सरकार ने भी जवाहर लाल नेहरू सौर ऊर्जा मिशन के प्रथम चरण के लक्ष्य 825 मेगावाट में अकेले राजस्थान में 589 मेगावाट के संयंत्र लगाने का प्रावधान किया गया है।
> इसके द्वितीय चरण में 300 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र को मंजूरी मिल सकती है।
>राज्य में 700 मेगावाट के प्लांट पहले से ही प्रक्रियाधीन है, जिसमें एक-एक मेगावाट के लघु संयंत्र भी सम्मिलित हैं।
>देश का 5 मेगावाट का प्रथम संयंत्र नागौर जिले के खींवसर में प्रारंभ हुआ।
> देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की सर्वाधिक संभावना राजस्थान में है।
>इस नीति में सन् 2013-14 तक 1500 मेगावाट के ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य है जिससे राज्य में 15,000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा। इसमें प्रावधान है कि 500 मेगावाट के संयंत्र लगाने वाले को 100 मेगावाट के उपकरण लगाने की स्वीकृति अलग से दी जाएगी।
>2013-14 तक 500 मेगावाट क्षमता के "सौर ऊर्जा उपकरण निर्माण केंद्रों" की स्थापना का लक्ष्य भी इस सौर ऊर्जा नीति में निर्धारित किया गया है।
> इस नीति के अनुसार सन् 2016-17 तक 3000 मेगावाट के सोलर संयंत्र लग जाएंगे।
> वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक 3000 अतिरिक्त मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विकास करने का लक्ष्य है। इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है।
> सौर ऊर्जा की दिशा में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस नीति के अन्तर्गत प्रदेश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादकों को राज्य सरकार द्वारा कृषि भूमि हेतु निर्धारित डी. एल. सी. दर की 10 प्रतिशत दर पर भूमि आवंटन का प्रावधान किया गया है।
>राज्य में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु ‘‘राजस्थान अक्षय ऊर्जा ढांचागत विकास कोष" गठित किया जाएगा, जिसका उपयोग विद्युत प्रसारण तंत्र, सडक निर्माण आदि के लिए किया जाएगा।
>सौर ऊर्जा में निवेश करने वाले निवेशकों द्वारा स्वयं उपयोग में ली गई ऊर्जा को विद्युत शुल्क से मुक्त रखा जाएगा।
> सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा तथा प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा अन्य औद्योगिक इकाइयों को देय सभी प्रोत्साहन एवं छूट सौर विद्युत उत्पादकों को भी देय होगी।
>सौर तापीय विद्युत परियोजनाओं को जल संसाधन विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार उपलब्धता के आधार पर जल उपलब्ध कराया जाएगा।
>इस नीति से राज्य के ऊर्जा के क्षेत्र में बाहरी कंपनियों के लिए निवेश के रास्ते खुलेंगे।
>बैठक के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया कि सौर ऊर्जा नीति में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है।
> केंद्र सरकार ने भी जवाहर लाल नेहरू सौर ऊर्जा मिशन के प्रथम चरण के लक्ष्य 825 मेगावाट में अकेले राजस्थान में 589 मेगावाट के संयंत्र लगाने का प्रावधान किया गया है।
> इसके द्वितीय चरण में 300 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र को मंजूरी मिल सकती है।
>राज्य में 700 मेगावाट के प्लांट पहले से ही प्रक्रियाधीन है, जिसमें एक-एक मेगावाट के लघु संयंत्र भी सम्मिलित हैं।
>देश का 5 मेगावाट का प्रथम संयंत्र नागौर जिले के खींवसर में प्रारंभ हुआ।
> देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की सर्वाधिक संभावना राजस्थान में है।
>इस नीति में सन् 2013-14 तक 1500 मेगावाट के ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य है जिससे राज्य में 15,000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा। इसमें प्रावधान है कि 500 मेगावाट के संयंत्र लगाने वाले को 100 मेगावाट के उपकरण लगाने की स्वीकृति अलग से दी जाएगी।
>2013-14 तक 500 मेगावाट क्षमता के "सौर ऊर्जा उपकरण निर्माण केंद्रों" की स्थापना का लक्ष्य भी इस सौर ऊर्जा नीति में निर्धारित किया गया है।
> इस नीति के अनुसार सन् 2016-17 तक 3000 मेगावाट के सोलर संयंत्र लग जाएंगे।
> वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक 3000 अतिरिक्त मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विकास करने का लक्ष्य है। इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है।
> सौर ऊर्जा की दिशा में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस नीति के अन्तर्गत प्रदेश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादकों को राज्य सरकार द्वारा कृषि भूमि हेतु निर्धारित डी. एल. सी. दर की 10 प्रतिशत दर पर भूमि आवंटन का प्रावधान किया गया है।
>राज्य में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु ‘‘राजस्थान अक्षय ऊर्जा ढांचागत विकास कोष" गठित किया जाएगा, जिसका उपयोग विद्युत प्रसारण तंत्र, सडक निर्माण आदि के लिए किया जाएगा।
>सौर ऊर्जा में निवेश करने वाले निवेशकों द्वारा स्वयं उपयोग में ली गई ऊर्जा को विद्युत शुल्क से मुक्त रखा जाएगा।
> सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा तथा प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा अन्य औद्योगिक इकाइयों को देय सभी प्रोत्साहन एवं छूट सौर विद्युत उत्पादकों को भी देय होगी।
>सौर तापीय विद्युत परियोजनाओं को जल संसाधन विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार उपलब्धता के आधार पर जल उपलब्ध कराया जाएगा।
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