पर्यटन विभाग के तत्वावधान में लोकपर्व गणगौर से जुड़े तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव का आयोजन उदयपुर में किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन दिनांक 6 से 8 अप्रैल तक किया गया। इसके तहत उदयपुर के पुराने शहर व गणगौर घाट पर मेला भरा गया। 6 अप्रैल को गणगौर व ईसरजी की भव्य सवारियां निकाली गई तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियाँ हुई।
इसमें महिलाएं गणगौर संबंधी विभिन्न लोकगीत गाते हुए तथा सभी लोग जयकारे लगाते चल रहे थे।
चैत्र नवरात्रि की तीज के अवसर पर अंचल में गणगौर—ईसरजी की पूजा विधि विधान से की गई। व्रतार्थी महिलाओं ने घर—घर गणगौर व ईसरजी की प्रतिमाओं को सजाया और उनको जल आचमन करवाया। गणगौर व्रत की कथाओं को सुनकर आरती की।
पहले दिन की गणगौर को गुलाबी गणगौर माना जाता है। इस दिन महिलाओं ने गणगौर की प्रतिमाओं को गुलाबी वस्त्र धारण करवाए तथा नख—शिख आभूषण धारण करवाए और उन्हें लाड़ लड़ाते हुए उनके सामने घूमर नृत्य किया।
शहर के विभिन्न समाजों की सजी धजी गणगौरों की सवारियां गणगौर घाट पर पहुंची जहाँ पर्यटन विभाग की ओर से सर्वश्रेष्ठ गणगौर का खिताब लगातार तीसरी बार राजमाली समाज को तथा द्वितीय स्थान कहार भोई समाज को मिला।
महोत्सव में दिनांक 7 अप्रैल को हुई विदेशी युगल की बेस्ट राजस्थानी ड्रेस प्रतियोगिता में फिनलैंड के किमो लेथूला तथा फ्रांस की यूलेन वेले की जोड़ी प्रथम रही। इसमें पहली बार स्थानीय लोगों के लिए मेवाड़ी पाग बांधने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें दौलत सेन प्रथम, राहुल सेन द्वितीय तथा सिद्धांत भटनागर तृतीय स्थान पर रहे।
इस मौके पर दूसरे दिन के कार्यक्रम मांड गायिका मांगी देवी के गायन से शुरू हुआ। इसमें फारूख मोहम्मद का भपंग वादन व जोधपुर के कलाकारों का नृत्य, किशनगढ़ के वीरेंद्र सिंह दल के कलाकारों ने चरी नृत्य, भरतपुर के कलाकारों ने मयूर नृत्य एवं होली नृत्य प्रस्तुत किया। इस महोत्सव में 8 अप्रैल को गोवर्धन सागर की पाल पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में सनातन धर्म सेवा समिति दक्षिणांचल की ओर से जादूगर आंचल का प्रदर्शन तथा जैसलमेर व बाड़मेर के कलाकारों द्वारा लोक प्रस्तुतियां दी गई।
मेवाड़ महोत्सव के अंतर्गत पर्यटन विभाग की ओर से गोगुंदा में तीन दिवसीय ग्रामीण गणगौर मेला भी आयोजित हुआ जिसमें हाट बाजार, गणगौर शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां दी गई।
इसमें महिलाएं गणगौर संबंधी विभिन्न लोकगीत गाते हुए तथा सभी लोग जयकारे लगाते चल रहे थे।
चैत्र नवरात्रि की तीज के अवसर पर अंचल में गणगौर—ईसरजी की पूजा विधि विधान से की गई। व्रतार्थी महिलाओं ने घर—घर गणगौर व ईसरजी की प्रतिमाओं को सजाया और उनको जल आचमन करवाया। गणगौर व्रत की कथाओं को सुनकर आरती की।
पहले दिन की गणगौर को गुलाबी गणगौर माना जाता है। इस दिन महिलाओं ने गणगौर की प्रतिमाओं को गुलाबी वस्त्र धारण करवाए तथा नख—शिख आभूषण धारण करवाए और उन्हें लाड़ लड़ाते हुए उनके सामने घूमर नृत्य किया।
शहर के विभिन्न समाजों की सजी धजी गणगौरों की सवारियां गणगौर घाट पर पहुंची जहाँ पर्यटन विभाग की ओर से सर्वश्रेष्ठ गणगौर का खिताब लगातार तीसरी बार राजमाली समाज को तथा द्वितीय स्थान कहार भोई समाज को मिला।
महोत्सव में दिनांक 7 अप्रैल को हुई विदेशी युगल की बेस्ट राजस्थानी ड्रेस प्रतियोगिता में फिनलैंड के किमो लेथूला तथा फ्रांस की यूलेन वेले की जोड़ी प्रथम रही। इसमें पहली बार स्थानीय लोगों के लिए मेवाड़ी पाग बांधने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें दौलत सेन प्रथम, राहुल सेन द्वितीय तथा सिद्धांत भटनागर तृतीय स्थान पर रहे।
इस मौके पर दूसरे दिन के कार्यक्रम मांड गायिका मांगी देवी के गायन से शुरू हुआ। इसमें फारूख मोहम्मद का भपंग वादन व जोधपुर के कलाकारों का नृत्य, किशनगढ़ के वीरेंद्र सिंह दल के कलाकारों ने चरी नृत्य, भरतपुर के कलाकारों ने मयूर नृत्य एवं होली नृत्य प्रस्तुत किया। इस महोत्सव में 8 अप्रैल को गोवर्धन सागर की पाल पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में सनातन धर्म सेवा समिति दक्षिणांचल की ओर से जादूगर आंचल का प्रदर्शन तथा जैसलमेर व बाड़मेर के कलाकारों द्वारा लोक प्रस्तुतियां दी गई।
मेवाड़ महोत्सव के अंतर्गत पर्यटन विभाग की ओर से गोगुंदा में तीन दिवसीय ग्रामीण गणगौर मेला भी आयोजित हुआ जिसमें हाट बाजार, गणगौर शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां दी गई।
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