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महिला अधिकारिता विभाग


वर्ष 2007–08 के बजट घोषणा में पृथक से महिला अधिकारिता निदेशालय के गठन की घोषणा की गई। इस घोषणा की अनुपालना में महिला एवं बाल विकास विभाग का विभाजन कर पृथक से महिला अधिकारिता निदेशालय का गठन दिनांक 18 जून, 2007 को किया गया। इस विभाग के सृजन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के वैयक्तिक, सामाजिक, आर्थिक एवं आयोत्पादक गतिविधियों को बढ़ावा देना एवं उनका विकास करना था। महिला अधिकारिता निदेशालय के अंतर्गत वर्तमान में महिला विकास से संबन्धित समस्त योजनाएं, जो कि महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु राज्य/जिला/ब्लॉक स्तर पर संचालित है, का क्रियान्वयन एवं प्रबोधन किया जाता है। महिला अधिकारिता निदेशालय द्वारा विभिन्न विभागों की योजनाओं एव नीतियों में समन्वयन कर महिलाओं को वास्तविक लाभ पहुचाने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, परिवार कल्याण, रोजगार तथा प्रशिक्षण एवं उनका सामाजिक सशक्तिकरण महिला अधिकारिता के प्रमुख क्षेत्र हैं। इसके अन्तर्गत महिलाओं को विकास की प्रक्रिया में केवल लाभार्थी के रूप में नहीं देखा जाकर एक आवश्यक भागीदार के रूप में समझा जाता है ताकि एक समेकित मानवीय दृष्टिकोण का विचार पनप सके। महिला विकास से संबन्धित कार्यक्रमों/योजनाओं का मूल्यांकन भौतिक आधार पर नहीं किया जा सकता, कार्यक्रम की पद्धति गुणात्मक हो, जिसमें ग्रामीण महिलाओं में आत्मविश्वास एवं जागरूकता की भावना जागृत करना, विचारों व सोच में परिवर्तन करना शामिल है।

महिला विकास कार्यक्रम –

महिलाओं के समग्र विकास के उद्देश्य से वर्ष 1984 में प्रयोगात्‍मक रूप में राज्य के 7 जिलों यथा जयपुर, अजमेर, जोधपुर, भीलवाडा, उदयपुर, बांसवाडा व कोटा में महिला विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था। कार्यक्रम की सफलता एवं महिलाओं के इसमें रूझान की दृष्टिगत कार्यक्रम का विभिन्न चरणों में विस्तांर किया जाकर वर्तमान में यह कार्यक्रम राज्य के समस्त जिलों में संचालित किया जा रहा है।



महिला विकास कार्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य है–



1. महिलाओं के विकास और आधिकारिता के लिए सकारात्मक आर्थिक एवं सामाजिक नीति के जरिए अवसर उपलब्ध कराने हेतु वातवरण तैयार करना।

2. महिलाओं को उनके राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं नागरिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना।

3. महिलाओं को शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा तथा स्वास्थ्य–रक्षा और नियोजन आदि के बराबर अवसर उपलब्ध कराना।

4. लैंगिक समानता के लिए वातावरण तैयार करना।

5. बालिका एवं किशोरियों की विशेष संरक्षण और सुरक्षा के प्रयास करना। उनके लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था और उनकी सभी प्रकार की हिंसा–पारिवारिक एवं सामाजिक शोषण एवं अन्य विपरीत परिस्थितियों से रक्षा करना।

Comments

  1. प्रह्लाद राय जी आपका हार्दिक आभार...

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  2. कोटा मे यह विभाग कहाँ हैं
    पता बताइए

    ReplyDelete

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