राजस्थान में राज्य महिला आयोग की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 23 अप्रैल, 1999 को एक विधेयक राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक के पारित होने पर 15 मई, 1999 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन किया गया।
आयोग के मुख्य कार्य–
(आयोग के कार्यों का विस्तृत उल्लेख अधिनियम की धारा 11 में किया गया है।)
10 (1) ए॰ किसी भी गवाह को बुलवाने और उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करना, और उसकी पड़ताल करना
10 (1) बी॰ किसी भी दस्तावेज की खोज और उसकी प्रस्तुति
10 (1) सी॰ हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना
10 (1) डी॰ किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रतिलिपि का सार्वजनिक कार्यालय से अधिग्रहण
10 (1) ई॰ गवाहों की पड़ताल के लिए अभियान देना या सम्मन जारी करना
*. अध्यक्ष–
राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर राज्य सरकार द्वारा किसी महिला को 3 वर्ष के लिए मनोनीत किया जाता है।
*. सदस्य-
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम की धारा 3 के अनुसार आयोग में तीन सदस्य होंगे।
इन सदस्यों में से एक अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति की महिला तथा
एक अन्य पिछड़ी जाति की महिला होनी अनिवार्य है।
*. सदस्य सचिव–
महिला आयोग के सदस्य सचिव के पद पर राज्य सरकार द्वारा पदस्थापित किसी अधिकारी को लगाया जाता है।
श्रीमती कांता कथूरिया- कार्यकाल 25-05-1999 से 24-05-2002
प्रो पवन सुराना- कार्यकाल 28-01-2003 से 27-01-2006
श्रीमती तारा भंडारी- कार्यकाल 15-04-2006 से 14-04-2009
श्रीमती मीरा महर्षि (कार्यवाहक अध्यक्ष)- कार्यकाल 17-10-2009 से 18-08-2010
प्रो लाड कुमारी जैन - कार्यकाल 24-11-2011 से 23-11-2014
Fax: 01412779002
E-mail ID: raj.rajyamahilaaaayog@gmail.com
इतिहास-
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की। फिर उस के बाद से 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं के दशक के रूप में 1976-85 की घोषणा की।
सीईडीएडब्ल्यू (कन्वेंशन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन) पर 1979 में हस्ताक्षर किए, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सुनिश्चित करता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है। लेकिन भारत ने 9 जुलाई, 1993 इस संधि सीईडीएडब्ल्यू पर कुछ संशोधनों के साथ हस्ताक्षर किए हैं, कि इससे न केवल लैंगिक भेदभाव को रोकता है, लेकिन यह भी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए, संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत में महिलाओं के लिए प्रदान की संवैधानिक अधिकार के कार्यान्वयन धीमा था। और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में वृद्धि थी । इस पर अंकुश लगाने के लिए, और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप, महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति को 1996 में घोषित किया गया था। इसमें महिलाओं के विकास के लिए, और उनके खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए, महिलाओं के लिए के लिए राष्ट्रीय आयोग व राज्य आयोगों के गठन का प्रस्ताव किया गया । राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम 1999 के तहत 15 मई 1999 को राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन, एक सांविधिक निकाय व स्वायत्त संस्था के रूप में किया गया।
आयोग के मुख्य कार्य–
(आयोग के कार्यों का विस्तृत उल्लेख अधिनियम की धारा 11 में किया गया है।)
- महिलाओं के खिलाफ होने वाले किसी भी प्रकार के अनुचित व्यवहार की जाँच करना एवं उस मामले में सरकार को सिफारिश करना।
- प्रवृत्त विधियों व उनके प्रवर्तन को महिलाओं के हित में प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाना।
- राज्य लोक सेवाओं और राज्य लोक उपक्रमों में महिलाओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकना।
- महिलाओं की दशा में सुधार करने की दृष्टि से कदम उठाना।
- आयोग की दृष्टि में यदि किसी भी लोक सेवक ने महिलाओं के हितों का संरक्षण करने में अत्यधिक उपेक्षा या उदासीनता बरती है तो उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए सरकार से सिफारिश करना।
- महिलाओं से सम्बन्धित विद्यमान कानूनों की समीक्षा करना तथा महिलाओं को समुचित न्याय मिले, इस दृष्टि से कानून में आवश्यक संशोधन की सरकार से सिफारिश करना।
- महिला सशक्तीकरण के लिए आयोग द्वारा सीधा जनता से जुड़कर जन सुनवाई व जनसंवाद करके, डाक द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर जिलों में जनसुनवाई अथवा व्यक्तिगत सुनवाई करके तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों पर प्रसंज्ञान लेकर समय समय पर कार्यवाही करने के प्रयास किए जाते हैं।
आयोग की शक्तियां
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 की धारा 10,11,12 और 13 के तहत आयोग के पास निम्नलिखित शक्तियाँ हैं:
अधिनियम के तहत आयोग के पास:
धारा 10 (1) के तहत आयोग के पास एक सिविल कोर्ट की शक्तियाँ हैं, मुकदमे को दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम 5) के तहत सुनवाई करते समय।
10 (1) ए॰ किसी भी गवाह को बुलवाने और उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करना, और उसकी पड़ताल करना
10 (1) बी॰ किसी भी दस्तावेज की खोज और उसकी प्रस्तुति
10 (1) सी॰ हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना
10 (1) डी॰ किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रतिलिपि का सार्वजनिक कार्यालय से अधिग्रहण
10 (1) ई॰ गवाहों की पड़ताल के लिए अभियान देना या सम्मन जारी करना
10 (2): आयोग को एक सिविल कोर्ट माना जाएगा और जब कोई अपराध जैसा कि अनुभाग 175, अनुभाग 178, अनुभाग 179, अनुभाग 180, या भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुभाग 228 (1860 का केन्द्रीय अधिनियम) में वर्णित है, आयोग की नजर मे घटित होता है, तो आयोग अपराध से संबन्धित तथ्यों और अभियुक्त के बयान की रिकॉर्डिंग के बाद जैसा भारतीय दंड संहिता, 1860 (1860 का केन्द्रीय अधिनियम 45) या अपराध प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का केन्द्रीय अधिनियम 2) के तहत मामले को एक मजिस्ट्रेट जिसके क्षेत्राधिकार मे वह आता है, को अग्रेषित कर सकता है, और मजिस्ट्रेट जिसे ऐसे मामले अग्रेषित किए जाते हैं, उसे अभियुक्त के विरुद्ध शिकायत ठीक उसी प्रकार सुननी होगी जैसे कि उसे शिकायत आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 346 (1974 के केन्द्रीय अधिनियम का अधिनियम 2) के तहत अग्रेषित की गयी हो।
10 (3) आयोग के सम्मुख प्रत्येक कार्यवाही अनुभाग 193 और 228 के तहत न्यायिक कार्यवाही के रूप में मानी जाएगी, और भारतीय दंड संहिता 1860 के अनुभाग 196 (केंद्रीय अधिनियम 1860 के अधिनियम 45) के प्रावधानों के अंतर्गत, और आयोग को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अनुभाग 195 और अध्याय XXVI (केन्द्रीय अधिनियम 1974 का अधिनियम 2) के सभी प्रयोजनों के लिए एक सिविल कोर्ट माना जाएगा।
महिला सलाह और सुरक्षा केन्द्र (एम.एस.एस.के): 39 एम.एस.एस.के. केन्द्रों गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा महिलाओं के शिकार लोगों की शिकायतों का समाधान करने के लिए राजस्थान राज्य भर में चलाए जा रहे।
ऑनलाइन शिकायत का लिंक - http://rscw.rajasthan.gov.in/onlinecomplaints.aspx
निगरानी:
आयोग महिलाओं के घरों, बच्चों के घरों, लड़कियों के हॉस्टल और अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर नजर रखता है, और उनकी स्थिति में सुधार करने के लिए सरकार को रिपोर्ट भेजता है।ऑनलाइन शिकायत:
कोई भी महिलाओं के लिए राजस्थान राज्य आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन फार्म में महिलाओं की शिकायतों से संबंधित शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।महिला सलाह और सुरक्षा केन्द्र (एम.एस.एस.के): 39 एम.एस.एस.के. केन्द्रों गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा महिलाओं के शिकार लोगों की शिकायतों का समाधान करने के लिए राजस्थान राज्य भर में चलाए जा रहे।
ऑनलाइन शिकायत का लिंक - http://rscw.rajasthan.gov.in/onlinecomplaints.aspx
जिला महिला सहायता समिति:
ये समितियां 1997 के बाद से राज्य के सभी 33 जिलों में चल रही हैं। समिति मे जिला प्रमुख की अध्यक्षता और जिला कलेक्टर अपने उप-अध्यक्ष के रूप में कार्य करता हैमहिला डेस्क:
ये डेस्क राजस्थान के सभी पुलिस थानों में स्थापित कर रहे हैं। कोई भी औरत शिकायतों के निवारण के लिए डेस्क का रुख कर सकती हैं।आयोग की संरचना–
*. अध्यक्ष–
राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर राज्य सरकार द्वारा किसी महिला को 3 वर्ष के लिए मनोनीत किया जाता है।
*. सदस्य-
राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम की धारा 3 के अनुसार आयोग में तीन सदस्य होंगे।
इन सदस्यों में से एक अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति की महिला तथा
एक अन्य पिछड़ी जाति की महिला होनी अनिवार्य है।
*. सदस्य सचिव–
महिला आयोग के सदस्य सचिव के पद पर राज्य सरकार द्वारा पदस्थापित किसी अधिकारी को लगाया जाता है।
अध्यक्ष, सदस्यों और अधिकारियों की आयोग की सूची-
क्र.सं. | नाम | पद | कार्यकाल |
---|---|---|---|
1 | श्रीमती सुमन शर्मा | अध्यक्ष | 20-10-2015 से 19-10-2018 |
2 | डॉ. रीटा भार्गव | सदस्य | 21-01-2016 से 20-01-2019 |
3 | श्रीमती सुषमा कुमावत | सदस्य | 21-11-2016 से 20-01-2019 |
4 | श्रीमती अरुणा मीणा | सदस्य | 21-11-2016 से 20-11-2019 |
आयोग के पूर्व अध्यक्ष -
श्रीमती कांता कथूरिया- कार्यकाल 25-05-1999 से 24-05-2002
प्रो पवन सुराना- कार्यकाल 28-01-2003 से 27-01-2006
श्रीमती तारा भंडारी- कार्यकाल 15-04-2006 से 14-04-2009
श्रीमती मीरा महर्षि (कार्यवाहक अध्यक्ष)- कार्यकाल 17-10-2009 से 18-08-2010
प्रो लाड कुमारी जैन - कार्यकाल 24-11-2011 से 23-11-2014
संपर्क-
RAJASTHAN STATE COMMISSION FOR WOMEN, JAIPUR
Lal Kothi, Gandhi Nagar mode, Tonk Road,Jaipur,Rajasthan, 302015
Tel: 0141-2779001-4Fax: 01412779002
E-mail ID: raj.rajyamahilaaaayog@gmail.com
Hamare yha ek ladki NE suside ke hi ghawa ke kuch logone use milkar jaladi hi
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