Skip to main content

राजस्थान की योजनाएँ- मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष योजना - Mukhya Mantri BPL Jeevan Raksha Kosh Yojana

बी.पी.एल. परिवारों को निःशुल्क चिकित्सा जाँच एवं उपचार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार के आदेश दिनांक 29 जनवरी 2009 द्वारा "मुख्यमंत्री बी.पी.एल. जीवन रक्षा कोष" योजना लागू की गई।

इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों सहित निम्नलिखित को शामिल किया गया है-
  • एचआईवी पीड़ित
  • वृद्धावस्था पेंशनर
  • विधवा
  • विकलांग
  • सहरिया कार्डधारी
  • आस्था कार्डधारी
  • अंत्योदय अन्न योजना एवं अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी
इस योजना के आउटडोर एवं इनडोर रोगियों को राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध चिकित्सालयों, जिला/सैटेलाइट अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर में रोग के निदान एवं उपचार की समस्त सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना में खर्च की कोई सीमा नहीं रखी गई है।
इस योजना में समस्त बीपीएल परिवारों के रोगी निशुल्क उपचार के पात्र होते हैं। इस योजना में लाभ पाने के लिए रोगी को सभी स्तर के चिकित्सा संस्थानों में बी.पी.एल. कार्ड अथवा नरेगा कार्ड प्रस्तुत करना होता है।
उक्त प्रमाण पत्र भर्ती होने के समय उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में ऑनलाईन बी.पी.एल. सूची से मिलान कर तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा 24 घण्टे में रोगी के सहायक को प्रमाण पत्र अथवा अन्य पहचान पत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया जाता है।
इसमें सामान्य रोगों से ग्रस्त रोगियों का उपचार अथवा निदान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में किया जाता है लेकिन गंभीर बीमारियों का उपचार जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में संबद्ध चिकित्सालयों में किया जाता है।
यदि इन अस्पतालों में उपचार एवं निदान की सुविधा नहीं होने पर रोगी को एम्स, नई दिल्ली अथवा स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चण्डीगढ़ भेजा जा सकता है।
निशुल्क चिकित्सा के लिए राज्य सरकार द्वारा पुनर्भरण के आधार पर मेडिकल रिलीफ समितियां औषधियाँ अपने स्तर पर क्रय करती है तथा आवश्यकता होने पर कृत्रिम अंग तथा उपकरण भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
इस योजना में 1 जनवरी 2009 से 31 दिसंबर 2010 तक कुल 56.80 लाख रोगियों को 54.69 करोड़ रुपए के व्यय से निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई गई।
इस योजना की समस्त जानकारी, सूची व लेखा जोखा राज्य सरकार द्वारा एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर द्वारा उपलब्ध कराई गई है। इस सॉफ्टवेयर का लिंक निम्न हैं -
http://cmbpljrk.raj.nic.in/





Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली