6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने में शिक्षकों का दायित्व भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा के अधिकार कानून की राज्य में क्रियान्विति के व्यापक स्तर पर शिक्षिकों की क्षमता संवर्धन और व्यावसायिक संबलन की आवश्यकता है। शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के लिए सेवापूर्व तथा सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा पाठ्यचर्या में सुधार करने के लिए "आईआईसीआईसी फाउंडेशन फॉर इंक्ल्यूसिव ग्रोथ" तथा राज्य सरकार के मध्य हाल ही में एक एम. ओ. यू. किया गया है जिसके तहत राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (SIERT) उदयपुर में एक "यूनिट फॉर टीचर एजुकेशन" का गठन किया गया है। इस यूनिट में चार अधिकारी आईसीआईसीआई फाउंडेशन के और चार अधिकारी एसआईईआरटी से नियुक्त किए हैं। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए अध्यक्ष, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर को बनाया गया है।
टीचर एजुकेशन यूनिट के प्रमुख कार्य-
> सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण ( S.T.C. ) कार्यक्रम का नवीन पाठ्यक्रम निर्माण|
> डाईट व SIERT के संकाय सदस्यो (faculty Members) सहित शिक्षक प्रशिक्षकों का क्षमता संवर्धन करना तथा इनके बहुस्तरीय (multi-tier) अकादमिक संबल तंत्र में समन्वय में वृद्धि करना।
> निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा अधिनियम-2009 (RTE-2009) एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF- 2005) के संदर्भों के परिप्रेक्ष्य में कक्षा 1 से 5 तक की नवीन पाठ्यपुस्तकों का निर्माण।
>चयनित दो जिलों चुरु व बारां के क्रमशः सुजानगढ़ तथा शाहाबाद में RTE के प्रावधानों को आदर्श रूप में पूर्णतः लागू करने के कुल 100 विद्यालयों में शिक्षा सुधार के कार्यक्रम का संचालन।
> कार्यक्रम के अंतर्गत लिए गए दोनों जिलों के चयनित ब्लॉक में शिक्षकों व विद्यार्थियों के संबल के लिए एक ई-लर्निग हब का विकास करना।
> इस कार्यक्रम में 500 मास्टर ट्रेनर्स, 80-100 नोडल प्रधानाध्यापक, 20,000 छात्राध्यापक, 250 मुख्य संदर्भ व्यक्तियों तथा लगभग 2,10,000 सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण का लक्ष्य है जो संपूर्ण राज्य में लगभग 8 मिलियन विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करेंगे।
इसी संदर्भ में पाठ्यपुस्तक निर्माण संबंधी एक दो दिवसीय कार्यशाला SIERT उदयपुर में दिनांक 27 जून को प्रारंभ हुई जिसकी अध्यक्षता शिक्षा सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता ने की। श्रीमती गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज राज्य की सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा में गुणवत्ता सुधार है तथा गुणवत्ता सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में अंग्रेजी, गणित तथा विज्ञान विषय दुष्कर साबित हुए हैं। आज शिक्षा में आरटीई के रूप में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है जिसमें भी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात पर जोर दिया गया है। विद्यालयों में शिक्षा सुधारनी है तो हमें इसके हर मोर्चे पर सुधार करना होगा जिसमें शिक्षक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण एवं नवीन पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तक निर्माण अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इन सभी कार्यों में सतत और व्यापक मूल्यांकन को भी एकीकृत करना होगा। राज्य सरकार इस हेतु विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से कार्य कर रही है। इस कार्यशाला में ICICI फाउन्डेशन के अध्यक्ष श्री सुब्रतो चटर्जी, उपाध्यक्ष डॉ सुधांशु जोशी व अन्य अधिकारी, NCERT के डॉ रंजना अरोड़ा, डॉ अमरेन्द्र बहेरा, डॉ मेघनाथन, एकलव्य संस्था के श्री अरविन्द सरधाना, श्री प्रमोद मिथाली, एससीईआरटी छत्तीसगढ़ के श्री उत्पल चक्रवर्ती के अलावा एसआईईआरटी के सभी संकाय सदस्यों ने भाग लिया तथा राजस्थान के संदर्भ में नवीन पाठ्यपुस्तक निर्माण पर विचार विमर्श किया।
टीचर एजुकेशन यूनिट के प्रमुख कार्य-
> सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण ( S.T.C. ) कार्यक्रम का नवीन पाठ्यक्रम निर्माण|
> डाईट व SIERT के संकाय सदस्यो (faculty Members) सहित शिक्षक प्रशिक्षकों का क्षमता संवर्धन करना तथा इनके बहुस्तरीय (multi-tier) अकादमिक संबल तंत्र में समन्वय में वृद्धि करना।
> निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा अधिनियम-2009 (RTE-2009) एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF- 2005) के संदर्भों के परिप्रेक्ष्य में कक्षा 1 से 5 तक की नवीन पाठ्यपुस्तकों का निर्माण।
>चयनित दो जिलों चुरु व बारां के क्रमशः सुजानगढ़ तथा शाहाबाद में RTE के प्रावधानों को आदर्श रूप में पूर्णतः लागू करने के कुल 100 विद्यालयों में शिक्षा सुधार के कार्यक्रम का संचालन।
> कार्यक्रम के अंतर्गत लिए गए दोनों जिलों के चयनित ब्लॉक में शिक्षकों व विद्यार्थियों के संबल के लिए एक ई-लर्निग हब का विकास करना।
> इस कार्यक्रम में 500 मास्टर ट्रेनर्स, 80-100 नोडल प्रधानाध्यापक, 20,000 छात्राध्यापक, 250 मुख्य संदर्भ व्यक्तियों तथा लगभग 2,10,000 सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण का लक्ष्य है जो संपूर्ण राज्य में लगभग 8 मिलियन विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करेंगे।
इसी संदर्भ में पाठ्यपुस्तक निर्माण संबंधी एक दो दिवसीय कार्यशाला SIERT उदयपुर में दिनांक 27 जून को प्रारंभ हुई जिसकी अध्यक्षता शिक्षा सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता ने की। श्रीमती गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज राज्य की सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा में गुणवत्ता सुधार है तथा गुणवत्ता सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में अंग्रेजी, गणित तथा विज्ञान विषय दुष्कर साबित हुए हैं। आज शिक्षा में आरटीई के रूप में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है जिसमें भी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात पर जोर दिया गया है। विद्यालयों में शिक्षा सुधारनी है तो हमें इसके हर मोर्चे पर सुधार करना होगा जिसमें शिक्षक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण एवं नवीन पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तक निर्माण अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इन सभी कार्यों में सतत और व्यापक मूल्यांकन को भी एकीकृत करना होगा। राज्य सरकार इस हेतु विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से कार्य कर रही है। इस कार्यशाला में ICICI फाउन्डेशन के अध्यक्ष श्री सुब्रतो चटर्जी, उपाध्यक्ष डॉ सुधांशु जोशी व अन्य अधिकारी, NCERT के डॉ रंजना अरोड़ा, डॉ अमरेन्द्र बहेरा, डॉ मेघनाथन, एकलव्य संस्था के श्री अरविन्द सरधाना, श्री प्रमोद मिथाली, एससीईआरटी छत्तीसगढ़ के श्री उत्पल चक्रवर्ती के अलावा एसआईईआरटी के सभी संकाय सदस्यों ने भाग लिया तथा राजस्थान के संदर्भ में नवीन पाठ्यपुस्तक निर्माण पर विचार विमर्श किया।
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