Skip to main content

राजस्थान सामान्य ज्ञान
आर. ए. एस. और अन्य परीक्षा उपयोगी राजस्थान समसामयिकी-)

‘रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल पुरस्कार’ साहित्यकार रामपद चौधरी
को-


शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट की ओर से 1 करोड़ रुपए का ‘रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल पुरस्कार’ प्रारंभ किया गया है। इसका प्रथम पुरस्कार दिल्ली के बंगाली साहित्य के ख्यातिलब्ध साहित्यकार रामपद चौधरी को प्रदान किया गया है। देश में मानवीय मूल्यों के लिए कार्य करने व आर्थिक पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।

"कथा पुरूष यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' पुरस्कार" डॉ राजेन्द्र मोहन भटनागर को-

यादवेन्द्र शर्मा "चन्द्र " स्मृति न्यास की ओर से उदयपुर के उपन्यासकार डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर को उनके उपन्यास "कुली बैरिस्टर" पर दिनांक 20 अगस्त 2011 को कथा पुरूष यादवेन्द्र शर्मा "चन्द्र" पुरस्कार प्रदान किया गया। बीकानेर में आयोजित किए गए एक समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. बी. डी. कल्ला ने पुरस्कार के अंतर्गत डॉ. भटनागर को 11 हजार रूपए, अभिनंदन पत्र, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न एवं साहित्य प्रदान किया गया।

निःशक्त जन का भविष्य निधि अंशदान केंद्र सरकार करेगी वहन

तीन या उससे अधिक वर्षो से कार्यरत नि:शक्त कर्मचारियों को नियोजित करने वाले नियोक्ताओं के हिस्से का भविष्य निधि अंशदान केंद्र सरकार वहन करेगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय अधिकारियों ने अपने क्षेत्र में संचालित प्रतिष्ठानों से ऐसे नि:शक्त कर्मचारियों की सूची मांगी है। इस योजना में पात्र नि:शक्त अभ्यर्थी की वेतन सीमा 25 हजार रुपए से अधिक मान्य नहीं होगी। कर्मचारी को अधिकृत चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी विकलांगता का प्रमाण पत्र देना होगा। योजना में उन कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा जो एक अप्रैल 2008 या उसके बाद सेवा में लगे हैं। योजना में पूर्ण दृष्टिहीनता, कम दिखाई देना, कोढ़ जिसका इलाज हो चुका हो, बधिरता, पोलियो ग्रस्त अपंगता, अविकसित मानसिक स्थिति एवं मनोरोग वाले कर्मचारी शामिल हैं। यह सुविधा निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है।
योजना के तहत लाभ तीन वर्ष के लिए मिलेगा। इसके उपरांत कर्मचारी को अपना अंश स्वयं जमा कराना होगा। इस योजना का उद्देश्य नियोक्ताओं को नि:शक्त व्यक्तियों को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित करना है।

केंद्रीय साहित्य अकादमी का राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार हरीश बी.शर्मा को

केंद्रीय साहित्य अकादमी का राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार दैनिक भास्कर, हनुमानगढ़ के संपादकीय प्रभारी हरीश बी. शर्मा को उनकी कृति ‘सतोलियो’ के लिए दिया जाएगा। पुरस्कार समारोह नवंबर में होगा। पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। अकादमी की त्रिशूर में आयोजित बैठक में यह घोषणा की गई। शर्मा को इससे पहले नाट्य क्षेत्र में प्रतिष्ठित देवीलाल सामर पुरस्कार भी मिला है। हिंदी व राजस्थानी में समान रूप से सृजनरत शर्मा की चार कृतियां प्रकाशित हैं तथा 12 नाटकों का मंचन हुआ है। पुरस्कृत कृति में बच्चों के लिए सात राजस्थानी कहानियों का संग्रह है।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली