Skip to main content

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्थान लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी विधेयक को मंजूरी
(उपयोगी राजस्थान समसामयिकी)

24 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में जनसाधारण को समयबद्ध तरीके से सेवा प्रदत्त करने के उद्देश्य से राजस्थान लोक सेवा प्रदान करने की गारन्टी विधेयक 2011 को मंजूरी दी गई। इस विधेयक को इसी विधानसभा सत्रा में प्रस्तुत करने का भी निर्णय लिया गया। राज्य सरकार इस विधेयक के माध्यम से यह सुनिश्चित करने जा रही है कि प्रत्येक आम आदमी को उनके कार्यों के लिये प्रशासन को और अधिक चुस्त एवं जिम्मेदार बनाया जाये। इस विधेयक में प्रारम्भिक तौर में 15 विभागों की 53 महत्वपूर्ण सेवाओं को सम्मिलित किया गया है। अधिकारी द्वारा समयबद्ध तरीके से ये सेवाएं प्रदान नहीं करने पर उस पर 500 रूपये से 5 हजार रूपये तक की पैनल्टी तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की व्यवस्था को रखा गया है। शास्ती अधिकारी के वेतन से काटी जायेगी। राजस्थान के इस प्रस्तावित विधेयक में सेवाओं का दायरा काफी व्यापक है तथा इसमें समय-समय पर और भी सेवाएं जोड़ी जायेगी। आमजन सेवा विशेष के लिये अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करेगा तथा उसकी रसीद प्राप्त करेगा। जिन विभागों की सेवाएं प्रस्तावित विधेयक में स्वीकृत की गई है वे विभाग निर्धारित की गई सेवाओं के लिये अधिकारी विशेष की इसमें जिम्मेदारी निश्चित होगी। संबंधित अधिकारी विशेष इन सेवा कार्य को निर्धारित अवधि में प्रदान करना सुनिश्चित करेगा अथवा कार्य सम्पन्न नहीं करवाए जाने के कारणों को अंकित करते हुए आवेदक के प्रार्थना पत्र को अस्वीकृत करेगा। असंतुष्ट आवेदक 30 दिवस में अपनी अपील प्रथम अपील अधिकारी के यहां प्रस्तुत कर सकेगा, जो संबंधित विभाग के अधिकारी को आवेदक के कार्य को करने का आदेश देगा अथवा आवेदन को अस्वीकृत करने का निर्णय भी ले सकेगा। यदि प्रथम अपील के स्तर पर भी आवेदक का प्रार्थना पत्र अस्वीकृत किया जाता है तो आवेदक 60 दिवस में द्वितीय अपील अधिकारी के यहां अपनी अपील प्रस्तुत कर सकेगा जो कि सेवा प्रदान करने के आदेश के साथ-साथ विभाग के संबंधित अधिकारी पर शास्ती लगाने के लिये भी अधिकृत होगा। प्रस्तावित विधेयक में जिन 15 विभागों की सेवाओं को सम्मिलित किया गया है वे निम्नांकित है-
  • 1- ऊर्जा विभाग के विद्युत कनेक्शन, विद्युत बिल ठीक करने, मीटर बदलवाने आदि,
  • 2- पुलिस विभाग के सर्विस सत्यापन, पासपोर्ट के लिये सत्यापन, लाइसेंस नवीनीकरण आदि,
  • 3- चिकित्सा विभाग के विकलांगता प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि,
  • 4- यातायात विभाग के वाहन चालक लाइसेंस, लाइसेंस नवीनीकरण आदि,
  • 5- जन स्वास्थ्य विभाग के जल कनेक्शन, हैण्डपम्प मरम्मत आदि,
  • 6- राजस्व विभाग के लैण्ड रिकोर्ड की प्रतियां उपलब्ध करवाना, कृषि भूमि नामांतरण, कन्वर्सन सेवा, जाति प्रमाणपत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, अनुसूचित जाति जनजाति प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र और
  • 7- स्थानीय निकाय के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र, भवन व भूमि स्वीकृतियां आदि
  • 8- नगरीय विकास एवं आवासन विभाग में नाम हस्तांतरण, दस्तावेज व मानचित्र की प्रतियां प्राप्त करना आदि,
  • 9- खाद्य विभाग के बीपीएल/ एपीएल राशन कार्ड
  • 10- वित्त विभाग के सेवानिवृत अधिकारी / कर्मचारी की पेंशन तथा उनकी समस्याओं के प्रकरण,
  • 11- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन,
  • 12- सार्वजनिक निर्माण विभाग के अमानत / धरोहर राशि पुनर्भुगतान आदि
  • 13- जल संसाधन विभाग की महत्वपूर्ण सेवाएं
  • 14- जेडीए की महत्वपूर्ण सेवाएं
  • 15- यूआईटी की महत्वपूर्ण सेवाएं
इसके अलावा अनेक अन्य विषयों को भी सम्मिलित किया गया है।

राजस्थान नगरपालिका द्वितीय संशोधन विधेयक, 2011

राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में राजस्थान नगरपालिका संशोधन अध्यादेश 2011 द्वारा नई धारा 99 (ए) में जोड़ी गई शब्दावली को परिवर्तन करने हेतु अध्यादेश के स्थान पर विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत करने का भी निर्णय लिया गया। प्रस्तावित विधेयक की धारा 99 (ए) के प्रावधानों के अनुसार सीएजी एक्ट 1971 के अनुसार नगरीय निकायों का अंकेक्षण सीएजी द्वारा किया जा सकेगा। राज्य सरकार नगरपालिकाओं के लेखों के अंकेक्षण के संबंध में सीएजी को तकनीकी राय एवं पर्यवेक्षण का कार्य दे सकेगी। लोकल फण्ड ऑडिट की अंकेक्षण रिपोर्ट के साथ सीएजी की टीजीएण्डएस बाबत वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की जा सकेगी।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली