देवका सूर्यमंदिर, बाड़मेर
राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के बाड़मेर-जैसलमेर मार्ग पर देवका गांव में 12 वीं शताब्दी का जीर्ण-शीर्ण ऐतिहासिक सूर्य मंदिर एवं अन्य प्राचीन मंदिरों का समूह स्थित है। बाड़मेर से करीब 72 मील दूर देवका के इस प्राचीन सूर्यमंदिर का राजस्थान के पुरातत्व में महत्वपूर्ण स्थान है। देवका के मंदिर समूह में सूर्य मंदिर के अतिरिक्त शिव, कुबेर और विष्णु के मंदिर भी विद्यमान हैं। सूर्य पूजा के प्राचीन महत्व को दर्शाने वाले यहाँ के पूर्वाभिमुख शिखरवाले सूर्य मंदिर के अंदर गर्भगृह बना है तथा आगे सभामंडप बना हुआ है। सभामंडप के उत्तर और दक्षिण में अत्यंत सुंदर गोख व मकर तोरण निर्मित हैं।
सभामंडप के एक स्तम्भ पर संवत 1631 फाल्गुन सुदी 7 और बाईं ओर संवत 1674 के लेख उकेरे गए हैं। मंदिर के मूल गंभारे पर द्वारपालिका, सूर्य स्थानक पत्रलता, सूर्य तथा द्वारपाल की मूर्तियाँ उकेरी हुई हैं। इन आकृतियों के कारण इस सूर्य मंदिर को सिद्ध माना जाता है। इस सूर्य मंदिर के शिखर पर छोटे-छोटे छिद्र हैं और इसे छोटी-छोटी पट्टिकाओं को जोड़ कर बनाया गया है। शिखर के ऊपर गोलाकार पत्थर स्थित है, जिस पर रेखाएं अंकित हैं। इसके पीछे ताक में पश्चिमाभिमुख परशुराम, उत्तर में कुबेर तथा दक्षिण में ब्रह्माजी की प्रतिमाएं पूजित हैं। इन मूर्तियों के पास कुछ और प्रतिमाएं भी हैं, जो क्षतिग्रस्त होने के कारण पहचानी नहीं जा सकती हैं।
मंदिर के चारों कोनों पर चार छोटी देवकुलिकाएं अंकित होने का आभास होता है। मंदिर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में दो देवलियां विद्यमान हैं। उत्तराभिमुख देवली कुबेर की है, जिसके बाह्य भाग पर पूर्व में शिव-पार्वती, पश्चिम में ब्रह्मा और दक्षिणी भाग में कुबेर सपत्नीक विराजमान हैं। आगे के भाग में मूल देवली के प्रवेश द्वार पर कुबेर की लघु आकृतियां उकेरी हुई हैं।
मंदिर के चारों कोनों पर चार छोटी देवकुलिकाएं अंकित होने का आभास होता है। मंदिर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में दो देवलियां विद्यमान हैं। उत्तराभिमुख देवली कुबेर की है, जिसके बाह्य भाग पर पूर्व में शिव-पार्वती, पश्चिम में ब्रह्मा और दक्षिणी भाग में कुबेर सपत्नीक विराजमान हैं। आगे के भाग में मूल देवली के प्रवेश द्वार पर कुबेर की लघु आकृतियां उकेरी हुई हैं।
इसके सामने स्थित शिव देवली के बाहरी भाग पर पूर्व में गणेश और दक्षिण में सूर्य की मूर्तियां अलंकृत प्रतीत होती हैं। इस मंदिर के पार्श्व भाग की पट्टी पर नवगृह और मध्यम में शिव की मूर्तियां दृश्य हैं। इस देवली की जीर्ण-शीर्ण सीढ़ियोँ से नीचे उतरने पर उत्तर की तरफ एक गोवर्धन स्तम्भ है, जहाँ पर उमा, महेश, सूर्य, गणेश और गोवर्धन पर्वत धारण किए हुए भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं हैं। सूर्य मंदिर के सामने इस परिसर मेँ यहाँ एक विष्णु मंदिर भी है। इस विष्णु मंदिर की प्रवेश द्वार पट्टिका पर ब्रह्मा, सूर्य, नवग्रहों, राहु-केतु तथा विष्णु की मूर्तियां अलंकृत हैं। इस मंदिर के परिक्रमा स्थल पर भी प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं, परंतु जीर्ण-शीर्ण होने के कारण इनकी आकृतियां स्पष्ट पहचानी नहीं जा सकती हैं। इन मंदिरों के समीप ही देवका गांव है जिसके तालाब के किनारे स्मारको पर प्राचीन शिलालेख अंकित है, जो पुरातत्ववेत्ताओं के लिए शोध का विषय है। कहा जाता है कि सूर्य मंदिर के चारों कोनों पर चार अप्रधान मंदिर पालीवालों ने बनवाए थे। इस मंदिर के परिसर में दो और मंदिर हैं, जिनमें एकल पत्थर पर बनी गणेशजी की मूर्तियां बहुत सुंदर लगती हैं।
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