भारतीय सेना पश्चिमी राजस्थान से लगती पाक सीमा के नजदीक थार रेगिस्तान में इस सदी के सबसे बड़े युद्धाभ्यास ऑपरेशन "सुदर्शन चक्र" के अंतर्गत अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही है। शीतकालीन युद्धाभ्यास का शंखनाद नौ अक्टूबर को बाड़मेर के रेतीले इलाके में सेना के अर्जुन टैंक, बोफोर्स तोपों व आधुनिक हथियारों के साथ काल्पनिक युद्ध के रूप में हो रहा।
उधर खबर यह भी है कि पाकिस्तान पश्चिमी सीमा क्षेत्र में मिसाइलों की तैनाती में भी जुटा है। इससे जैसलमेर, जोधपुर व जयपुर सहित देश के कई बड़े नगर लुधियाना, अमृतसर, दिल्ली, अहमदाबाद, भोपाल व मुम्बई इन मिसाइलों के निशाने पर हैं। इसका मुँहतोड़ जवाब देने की भारतीय सेना ने भी पूरी तैयारी कर ली है तथा इस अभ्यास के माध्यम से वह यह व्यक्त कर देगी कि वह पाकिस्तान के मिसाइल हमलों का करारा जवाब देने में सक्षम है। समाचारों के अनुसार दो माह पहले पश्चिम सीमा पर जैसलमेर सेक्टर के सामने धोरों में ड्रेगन (चीन) की इंजीनियरिंग व मैकेनाइज्ड रेजिमेंट के साथ पाक ने गुपचुप युद्धाभ्यास किया था। अब वह सीमा के पास लघु दूरी की हत्फ, हत्फ-1, अब्दाली, गजनवी, मध्यम दूरी की शाहीन-1, शाहीन-2 तथा लम्बी दूरी की गौरी मिसाइलें तैनात कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिमी मोर्चे पर यदि भविष्य में युद्ध हो जाता है तो जमीनी युद्ध से ज्यादा मिसाइल वार होगा। ऐसे खतरों को देखते हुए थार में होने वाले थलसेना के इस युद्धाभ्यास के दौरान मिसाइल हमले से बचाव की रणनीति का अभ्यास आवश्यक है।
पश्चिम सीमा पर चल रहे भारतीय थल सेना के युद्धाभ्यास सुदर्शन चक्र में भविष्य के पाकिस्तानी मिसाइल आक्रमण से बचाव का भी अभ्यास होगा। भारतीय सेना की 21 कोर के नेतृत्व में दो महीने तक चलने वाले इस दीर्घकालीन युद्धाभ्यास में अल्प समय में अचूक वार कर प्रतिद्वंद्वी को नेस्तनाबूद करने के कौशल का अभ्यास सेना द्वारा किया जा रहा है। इसमें थलसेना के साथ वायुसेना के जांबाज पायलट भी आकाश से दुश्मन पर प्रहार कर अपनी मारक क्षमता की अभिवृद्धि करेंगे जिसमें सुपरसोनिक विमान सुखोई 30 का प्रदर्शन मुख्य रूप से होगा। साथ ही लड़ाकू विमान मिग, जगुआर व मिराज द्वारा दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी और मिसाइलों से निशाने दागने, बैटल टैंक से दुश्मन की सेना को नेस्तनाबूद करने तथा हेलिकॉप्टर से दुश्मन की जमीन पर कमांडो उतार कर उनके ठिकाने नष्ट करने का जीवंत प्रदर्शन भी होगा। इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व सेना की दक्षिण कमान की शक्तिशाली 21 स्ट्राइक कोर के लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. सिंह कर रहे हैँ। यह अभ्यास भोपाल, पुणे, ग्वालियर के अलावा जोधपुर से सेना की टुकड़ियों सहित अन्य संसाधनों के साथ बाड़मेर व जैसलमेर के रेगिस्तान में किया जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में सेना की मैकेनाइज्ड कोर, आर्मड कोर तथा आर्टिलरी कोर की यूनिटों के जवान भाग ले रहें हैं जो रेत के टीलों में सैनिकों को तोप, बख्तरबंद गाड़ियों व टैंकों से दुश्मन से लड़ने व नेस्तनाबूद करने में महारत हासिल करने के कौशल में वृद्धि कर रहे हैं। युद्ध रणनीति कौशल, रात्रिकालीन विजन की मारक क्षमता और कम से कम समय में दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने का प्रदर्शन भी इस ऑपरेशन में का भाग है। इस काल्पनिक जंग में सेना के जवानों का दम-खम परखने के साथ साथ आधुनिक हथियारों की मारक क्षमता का परीक्षण भी प्रावधान है। यह अभ्यास दुश्मन व भारतीय सेना के बीच रेड व ब्ल्यू टीम के नाम से काल्पनिक जंग के रूप में हो रहा है।
उधर खबर यह भी है कि पाकिस्तान पश्चिमी सीमा क्षेत्र में मिसाइलों की तैनाती में भी जुटा है। इससे जैसलमेर, जोधपुर व जयपुर सहित देश के कई बड़े नगर लुधियाना, अमृतसर, दिल्ली, अहमदाबाद, भोपाल व मुम्बई इन मिसाइलों के निशाने पर हैं। इसका मुँहतोड़ जवाब देने की भारतीय सेना ने भी पूरी तैयारी कर ली है तथा इस अभ्यास के माध्यम से वह यह व्यक्त कर देगी कि वह पाकिस्तान के मिसाइल हमलों का करारा जवाब देने में सक्षम है। समाचारों के अनुसार दो माह पहले पश्चिम सीमा पर जैसलमेर सेक्टर के सामने धोरों में ड्रेगन (चीन) की इंजीनियरिंग व मैकेनाइज्ड रेजिमेंट के साथ पाक ने गुपचुप युद्धाभ्यास किया था। अब वह सीमा के पास लघु दूरी की हत्फ, हत्फ-1, अब्दाली, गजनवी, मध्यम दूरी की शाहीन-1, शाहीन-2 तथा लम्बी दूरी की गौरी मिसाइलें तैनात कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिमी मोर्चे पर यदि भविष्य में युद्ध हो जाता है तो जमीनी युद्ध से ज्यादा मिसाइल वार होगा। ऐसे खतरों को देखते हुए थार में होने वाले थलसेना के इस युद्धाभ्यास के दौरान मिसाइल हमले से बचाव की रणनीति का अभ्यास आवश्यक है।
पश्चिम सीमा पर चल रहे भारतीय थल सेना के युद्धाभ्यास सुदर्शन चक्र में भविष्य के पाकिस्तानी मिसाइल आक्रमण से बचाव का भी अभ्यास होगा। भारतीय सेना की 21 कोर के नेतृत्व में दो महीने तक चलने वाले इस दीर्घकालीन युद्धाभ्यास में अल्प समय में अचूक वार कर प्रतिद्वंद्वी को नेस्तनाबूद करने के कौशल का अभ्यास सेना द्वारा किया जा रहा है। इसमें थलसेना के साथ वायुसेना के जांबाज पायलट भी आकाश से दुश्मन पर प्रहार कर अपनी मारक क्षमता की अभिवृद्धि करेंगे जिसमें सुपरसोनिक विमान सुखोई 30 का प्रदर्शन मुख्य रूप से होगा। साथ ही लड़ाकू विमान मिग, जगुआर व मिराज द्वारा दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी और मिसाइलों से निशाने दागने, बैटल टैंक से दुश्मन की सेना को नेस्तनाबूद करने तथा हेलिकॉप्टर से दुश्मन की जमीन पर कमांडो उतार कर उनके ठिकाने नष्ट करने का जीवंत प्रदर्शन भी होगा। इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व सेना की दक्षिण कमान की शक्तिशाली 21 स्ट्राइक कोर के लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. सिंह कर रहे हैँ। यह अभ्यास भोपाल, पुणे, ग्वालियर के अलावा जोधपुर से सेना की टुकड़ियों सहित अन्य संसाधनों के साथ बाड़मेर व जैसलमेर के रेगिस्तान में किया जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में सेना की मैकेनाइज्ड कोर, आर्मड कोर तथा आर्टिलरी कोर की यूनिटों के जवान भाग ले रहें हैं जो रेत के टीलों में सैनिकों को तोप, बख्तरबंद गाड़ियों व टैंकों से दुश्मन से लड़ने व नेस्तनाबूद करने में महारत हासिल करने के कौशल में वृद्धि कर रहे हैं। युद्ध रणनीति कौशल, रात्रिकालीन विजन की मारक क्षमता और कम से कम समय में दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने का प्रदर्शन भी इस ऑपरेशन में का भाग है। इस काल्पनिक जंग में सेना के जवानों का दम-खम परखने के साथ साथ आधुनिक हथियारों की मारक क्षमता का परीक्षण भी प्रावधान है। यह अभ्यास दुश्मन व भारतीय सेना के बीच रेड व ब्ल्यू टीम के नाम से काल्पनिक जंग के रूप में हो रहा है।
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